- डीजीएम को बना दिया कार्यकारी निदेशक
- नागर विमानन मंत्रालय की रोक के बावजूद प्रबंधकों ने कर दिया प्रमोशन
- सरकार ने एयर इंडिया और उसकी दो अनुषंगी कंपनियां टाटा को 18000 करोड़ रुपए में बेचने का फैसला लिया है
नई दिल्ली। एयर इंडिया को टाटा समूह के हाथों बेचने के निर्णय से ठीक पहले नागर विमानन मंत्रालय ने घाटे में चल रही इस एयरलाइन में अधिकारियों की प्रोन्नति पर पाबंदी लगाने का स्पष्ट निर्देश इसके प्रबंधकों को जारी किया था लेकिन प्रबंधकों ने इस आदेश की अनदेखी कर उप महाप्रबंधक कैप्टन डीपीएस धालीवाल को महाप्रबंधक बना दिया।
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यही नहीं, कैप्टन धालीवाल को कार्यकारी निदेशक का भी कार्यभार सौंप दिया गया है। एयरलाइन के सूत्रों से बात और न्यूज एजेंसी यूएनआई की निगाह में पड़ने वाले दस्तावेजों में यह बात सामने आई है। नागर विमानन मंत्रालय ने एक अक्टूबर को पत्र जारी कर इस एयरलाइन में कर्मचारियों की प्रोन्नति पर पाबंदी लगा दी थी। उसी पत्र में इस निर्देश का कड़ाई से पालन करने को कहा गया था। यह पत्र नागर विमानन सचिव राजीव बंसल की सहमति से जारी किया गया था।
मजे की बात यह है कि श्री बंसल उस समय एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के पद को भी संभाल रहे थे। कैप्टन धालीवाल के उप महाप्रबंधक परिचालन से प्रोन्नत कर महाप्रबंधक बनाने का आदेश छह अक्टूबर को जारी किया गया। उसके दो दिन बाद ही सरकार ने एयरलाइन को टाटा समूह को बेचने के निर्णय की घोषणा की। इसके कुछ सप्ताह बाद 15 नवंबर को धारीवाल को कार्यकारी निदेशक परिचालन का प्रभार भी दे दिया गया। इस संबंध में यूनीवार्ता के सवालों के जवाब में एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा कोई विशिष्ट आधिकारिक आदेश नहीं था कि कर्मचारियों की प्रोन्नति न की जाए।
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नागर विमानन सचिव बंसल से एक व्हाट्सएप मैसेज के जरिए इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। उन्नीस नवंबर को यूएनआई ने स्पष्टीकरण के लिए मेल भी डाला था लेकिन खबर लिखे जाने तक उसका भी जवाब नहीं आया। बंसल भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1988 के बैच के अधिकारी हैं, वह नागालैंड कैडर के हैं और कई केंद्रीय मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं।
एयर इंडिया ने इस बारे में जो भी कहा है लेकिन वह यूएनआई को प्राप्त पत्र व्यवहार के तथ्याें के इतर है। इन दस्तावेजों से स्पष्ट है कि नागर विमानन मंत्रालय ने एयरलाइन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक को स्पष्ट निर्देश दिया था कि एयर इंडिया का विनिवेश अपरिहार्य हो चुका है। इसलिए कर्मचारियों की प्रोन्नति न की जाए, मंत्रालय ने एयर इंडिया के प्रमुख श्री बंसल को निर्देश दिया था, “…उपरोक्त के संदर्भ में और यह देखते हुए कि एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है और यह जल्दी पूरी भी हो सकती है, अत: यह सिफारिश की जाती है कि एयर इंडिया के कर्मचारियों की प्रोन्नति की कोई कार्यवाही इस महत्वपूर्ण दौर में न की जाए। ”
श्री बंसल ने उसी दिन नागर विमानन सचिव का पदभार संभाला था। इस बारे में प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी थी। मंत्रालय ने एयर इंडिया के सीएमडी को इस आदेश का इस निर्देश का कड़ाई से पालन करने को कहा था। उस समय मीडिया की रिपोर्टों में यह चर्चा थी कि एयर इंडिया 126 पायलटों की प्रोन्नति करने वाली है। प्राेन्नति पर रोक के संबंध में उड्डयन मंत्रालय के अवर सचिव संजय सिंह ने लिखा था, “यह पत्र सचिव की स्वीकृति के साथ जारी किया जा रहा है। इस पत्र के विषय में लिखा गया है… एयर इंडिया का वित्तीय घोटाला, एयर इंडिया के निजीकरण से पहले 126 पायलटों की प्रोन्नति कर रही है।”
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यूएनआई ने 16 नवंबर को एयर इंडिया से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा था और पूछा था कि क्या एयरलाइन में कैप्टन डीपीएस धालीवाल को महाप्रबंधक से प्रोन्नत कर महाप्रबंधक बनाया है। एयर इंडिया के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने औपचारिक जवाब में कहा था कि कैप्टन धालीवाल को सरकारी आदेश की अवहेलना करके डीजीएम से जीएम पद पर प्रोन्नत नहीं किया गया है। वास्तविकता यह है कि ऐसा कोई स्पष्ट आदेश नहीं है कि कर्मचारियों को प्रोन्नत नहीं किया जाए। कैप्टन धारीवाल को कुछ समय से डीजीएम (परिचालन) पर काम कर रहे थे। परिचालन की आवश्यकता के अनुसार एक कार्यवाहक जिम्मेदारी उन्हें दी गई है।
गाैरतलब है कि सरकार ने एयर इंडिया और उसकी दो अनुषंगी कंपनियों एयर इंडिया एक्सप्रेस तथा ग्राउंड हैंडलिंग संयुक्त उपक्रम एआई साइट्स को टाटा को 18000 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया है।