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विशेष ऑडिट के आदेश से छूट देने की श्री पद्मनाभस्वामी ट्रस्ट की अर्जी खारिज

विशेष ऑडिट के आदेश से छूट देने की श्री पद्मनाभस्वामी ट्रस्ट की अर्जी खारिज
विशेष ऑडिट के आदेश से छूट देने की श्री पद्मनाभस्वामी ट्रस्ट की अर्जी खारिज

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तिरुवनंतपुरम के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ट्रस्ट की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें मंदिर के लिए 25 साल के विशेष ऑडिट के आदेश से छूट देने का आग्रह किया गया था। पद्मनाभस्वामी मंदिर उस समय चर्चा में आया था जब वर्ष 2011 में कोर्ट के आदेश पर मंदिर का गुप्त तहखाना खोला गया था जिसमें करीब दो लाख करोड़ की संपत्ति का पता चला था। इसके बाद दिखाना बी को खोला ही नहीं गया।

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न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की खंडपीठ ने कहा कि विशेष ऑडिट का उद्देश्य मंदिर तक सीमित नहीं होना था और इसमें ट्रस्ट को भी शामिल किया गया था।

खंडपीठ ने मंदिर के लिए गठित प्रशासनिक समिति को प्रशासनिक पर्यवेक्षण से मुक्त करने के लिए ट्रस्ट द्वारा की गई दूसरी प्रार्थना के संबंध में कुछ भी व्यक्त करने से परहेज किया और कहा कि इसके लिए तथ्यात्मक विश्लेषण की आवश्यकता है तथा इसलिए इस मुद्दे को एक सक्षम न्यायालय के विचार के लिए छोड़ दिया गया था।

खंडपीठ ने गत 17 सितंबर को ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार और मंदिर की प्रशासनिक समिति के वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।

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न्यायमूर्ति ललित ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा, “हमने पहली प्रार्थना खारिज कर दी है। यह स्पष्ट है कि ऑडिट का उद्देश्य केवल मंदिर तक ही सीमित नहीं था बल्कि ट्रस्ट तक भी था।”

न्यायाधीश ने कहा कि एमिकस क्यूरी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आलोक में ऑडिट का आदेश दिया गया था।

1733 ईस्वी में त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने कराया था पुनर्निर्माण
पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है। मंदिर की संरचना में निरंतर सुधार कार्य किए जाते रहे हैं। 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है।

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गर्भ ग्रह में है भगवान विष्णु की विशाल लेटी हुई प्रतिमा

द्रविड़ स्थापत्यकला (कोविल)
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहां आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के ‘अनंत’ नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहां पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को ‘पद्मनाभ’ कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहां पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।

केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक

तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है।

भगवान पद्मनाभस्वामी हैं मंदिर और उसकी संपत्ति के स्वामी

मंदिर तथा इसकी सम्पत्ति के स्वामी भगवान पद्मनाभस्वामी ही हैं। बहुत दिनों तक यह मंदिर तथा इसकी सम्पत्तियों की देखरेख और सुरक्षा एक न्यास (ट्रस्ट) द्वारा की जाती रही जिसके अध्यक्ष त्रावणकोर के राजपरिवार का कोई सदस्य होता था। किन्तु वर्तमान समय में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने राजपरिवार को इस मंदिर के प्रबन्धन की अध्यक्षता करने से रोक दिया था।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 13 जुलाई 2020 को केरल उच्च न्यायालय के जनवरी 2011 के फैसले को पलटते हुए निर्णय दिया कि पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन और नियंत्रण पूर्ववर्ती त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाएगा।

तहखाना बी को अब तक नहीं खोला गया
जून 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने पुरातत्व विभाग तथा अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि मंदिर के गुप्त तहखानों को खोलें और उनमें रखी वस्तुओं का निरीक्षण करें। इन तहखानों में रखी करीब दो लाख करोड़ की संपत्ति का पता चला। हालांकि अभी भी तहखाने-बी को नहीं खोला गया है। सुप्रीमकोर्ट ने इस तहखाने को खोलने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश किया है कि ये संपत्ति मंदिर की है और मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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