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जिला अस्पताल व सभी सीएचसी पर सर्पदंश का इलाज उपलब्ध- सीएमओ

जिला अस्पताल व सभी सीएचसी पर सर्पदंश का इलाज उपलब्ध- सीएमओ

जिला अस्पताल व सभी सीएचसी पर सर्पदंश का इलाज उपलब्ध- सीएमओ

इटावा। बारिश के मौसम में अक्सर कई कीड़े मकोड़ों के साथ कई सर्प भी निकलते रहते हैं इसलिए सर्पदंश के उपचार के संदर्भ में जनजागरूकता होना बेहद ही आवश्यक है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ गीता राम का। उन्होंने बताया कि सर्पदंश को राज्य सरकार द्वारा राज्य आपदा घोषित किया जा चुका है इसलिए इसके इलाज के प्रति स्वास्थ्य विभाग भी बेहद गंभीरता से काम भी कर रहा है। सीएमओ ने बताया कि जिला अस्पताल में 200 व सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर एंटीवेनम की लगभग 25 से 30 वायल सदैव ही मौजूद रहती है। जिससे कभी कोई सर्पदंश का मरीज आए तो उसे तुरंत आकस्मिक इलाज दिया जा सके। उन्होंने बताया कि जनपद इटावा में सर्पदंश जागरूकता अभियान के तहत वन्यजीव विशेषज्ञ सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी सही उपचार के बारे में लोगों को लगातार ही जागरूक कर रहे हैं।

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सीएमओ ने बताया कि डॉ आशीष ने अब अपने व्यक्तिगत फोन नंबर को सर्पदंश हेल्पलाइन नंबर में बदल दिया है जिस पर लोग उनसे 24×7 सर्प दंश से जुड़ी जानकारी व सुझाव लेते रहते है। विगत वर्षों में डॉ आशीष जनपद इटावा में डायल 112 पुलिस सहायता सेवा व वन विभाग के सहयोग से अब तक लगभग 300 से भी अधिक विभिन्न सांपों का सुरक्षित रेस्क्यू कर उन्हें उनके प्राकृतवास में सुरक्षित छोड़ चुके हैं। साथ ही वे व्यक्तिगत रूप से जनपद के कई शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न विद्यालयों में जाकर अपने विशेष सर्पदंश जागरूकता अभियान के व्याख्यान व पोस्टर के माध्यम से स्कूली बच्चों सहित कई ग्रामीणों को सर्पदंश उपचार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं। यह उनकी एक प्रशंशनीय सामाजिक पहल भी है।

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विषखापर नहीं होती जहरीली

डॉ आशीष ने यह भी बताया कि क्षेत्रीय लोगों में एक बड़ी भ्रांति यह भी है कि विषखापर एक बेहद ही जहरीला जीव है। जो कि बिल्कुल गलत धारणा है उन्होंने बताया कि, छोटी बड़ी विषखापर में कोई जहर ही नहीं होता। बस उसके मुँह में खतरनाक बैक्टीरिया ही होता है जिसके काटने पर लापरवाही करने से गैंग्रीन (गलाव) हो सकता है लेकिन किसी व्यक्ति की मृत्यु कभी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि, अक्सर देखा गया है कि,लोगों में जागरूकता न होने के कारण सांप के काटने पर लोग घबरा जाते हैं जिससे मानसिक आघात के साथ हृदयाघात होने का खतरा बेहद ही बढ़ जाता है और कभी-कभी व्यक्ति की घबराहट से मृत्यु भी हो जाती है।

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