स्पीकर ने 19 बागी विधायकों को दिया नोटिस
जयपुर: राजस्थान में चल रहे सियासी संघर्ष के बीच विधानसभा स्पीकर की तरफ से आज सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जाएगी। स्पीकर जोशी ने कहा कि मैंने 19 विधायकों को सिंपल नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि संविधान में कोर्ट और विधानसभा के अधिकार तय हैं।स्पीकर सी.पी.जोशी ने कहा कि स्पीकर के पद की गरिमा का सम्मान बनाये रखने के पक्ष में हूं। उन्होंने कहा मैं कोर्ट का सम्मान करता हूं। पहले कोर्ट ने 21 जुलाई तक का समय दिया तो मैंने उसका सम्मान किया, फिर मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि 24 तारीख तक स्पीकर कोई निर्णय नहीं करे मैं उसका भी सम्मान करता हूं। विधानसभा नियम व संविधान के अनुसार चलती है। मंगलवार शाम को मुझे कोर्ट का आर्डर मिला, मैं उसका सम्मान करता हूं। स्पीकर की इस कार्रवाई से पायलट खेमें के विधायकों की मुसीबतें बढ़ सकती है ।
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राजस्थान में जारी सियासी रार के बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा को कानूनी नोटिस भेजा है। मलिंगा ने सोमवार को जयपुर में मीडिया कर्मियों से कहा था कि सचिन पायलट ने भाजपा में जाने के लिए 35 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था। पायलट ने यह पेशकश दो बार की, लेकिन मैंने मना कर दिया। मलिंगा के मुताबिक उन्होंने कहा था कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे। इस पर मंगलवार को पायलट ने मलिंगा को कानूनी नोटिस भेजा है। पायलट का कहना है कि मलिंगा ने असत्य बात कही है। मलिंगा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के हैं।
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इससे पहले राजस्थान हाई कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को जारी कारण बताओ नोटिस पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा। तब तक विधानसभा अध्यक्ष कोई कार्रवाई नहीं करें। इसे पायलट खेमे के लिए राहत माना जा रहा है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने खूब जिरह की। सचिन पायलट खेमे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पैरवी की, तो स्पीकर की तरफ से कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं थी ।
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माना जा रहा है कि कोर्ट के तीन दिन बाद फैसला सुनाने से गहलोत और पायलट खेमों को जोड़ तोड़ के लिए समय मिलेगा। इस दौरान गहलोत बागी विधायकों को तोड़ने का प्रयास करेंगे। वह विधानसभा सत्र भी बुला सकते हैं। तब व्हिप जारी किया जाएगा, जिसका उल्लंघन कर सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होने पर विधायक की सदस्यता समाप्त हो सकती है। सत्र बुलाए जाने पर बागी विधायकों को सदन में आना पड़ेगा। वहीं, पायलट को कांग्रेस आलाकमान में अपने शुभचितकों के साथ बातचीत करने का मौका मिलेगा।