नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच में 38 साल बाद बड़ा एक्शन लेते हुए गठित की गई विशेष जांच दल (एसआईटी) ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों को उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जिले के घाटमपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया है, बताते चलें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में सिख समुदाय के खिलाफ दंगे भड़क गए थे। इस नरसंहार में बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
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इस मामले में एसआईटी का गठन केंद्रीय मंत्रालय द्वारा 3 साल पहले 2019 में किया गया था, केंद्र सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के 7 मामलों को फिर से खोलने के लिए एसआईटी गठित की थी, इन मामलों में आरोपी या तो बरी हो गए थे या मुकदमा बंद कर दिया गया था। एसआईटी ने अपनी जांच में 1984 के सिख दंगों में 94 आरोपियों की पहचान की है, जिनमें से 74 आरोपी अब भी जीवित हैं। 1984 के सिख दंगों में हालिया गिरफ्तारी पर एसआईटी के प्रमुख डीआईजी ने कहा, “सरकार के आदेश के बाद गिरफ्तारियां की जा रही हैं।
हमने अब तक कुल 74 आरोपियों की पहचान की है। कल रात 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस मामले में जल्द ही और गिरफ्तारियां भी की जाएंगी।” बता दें कि गिरफ्तार किए गए 4 लोगों की पहचान सैफुल्ला खान, योगेंद्र सिंह उर्फ बबन बाबा, विजय नारायण सिंह उर्फ बचन सिंह और अब्दुल रहमान उर्फ लांबू के रूप में हुई है। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों की उम्र 60 वर्ष से अधिक है और यह कानपुर के घाटमपुर इलाके से हैं।
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तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके बॉडीगार्ड्स द्वारा की गई थी, बताते चलें की यह बॉडीगार्ड सिख समुदाय के थे। जिसके बाद 1984 में सिखों का नरसंहार शुरू हो गया था, 1984 के सिख विरोधी दंगे कई दिनों तक जारी रहे। नई दिल्ली में लगभग 3,000 सिख मारे गए, लेकिन अनौपचारिक अनुमान और देशव्यापी आंकड़े इससे बहुत ज्यादा थे। इन दंगों के कारण सिख समुदाय के 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे, राष्ट्रीय राजधानी में दंगों के कारण सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से कुछ सुल्तानपुरी, मंगोलपुरिम और त्रिलोकपुरी थे।