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हवन यज्ञ व विशाल भण्डारे के साथ हुआ श्रीमद भागवत कथा का समापन

हवन यज्ञ व विशाल भण्डारे के साथ हुआ श्रीमद भागवत कथा का समापन
हवन यज्ञ व विशाल भण्डारे के साथ हुआ श्रीमद भागवत कथा का समापन

सैकड़ों भक्तों ने ग्रहण किया भण्डारे का प्रसाद

औरैया | फफूंद नगर में स्थित श्री महावीरधाम मन्दिर परिसर में चल रही श्रीमद भागवत कथा मंगलवार को संपन्न हो गई। कथा के समापन पर हवन यज्ञ और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। कथा समापन पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया । भागवत कथा का आयोजन महावीरधाम के भक्तों की ओर से करवाया गया था।

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नगर के महावीर धाम मन्दिर में सात दिन तक चली श्रीमद भागवत कथा में कथावाचक श्री रामसखा जू महाराज भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताते हुये लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। उन्होंने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है वहीं व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है और दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं तथा यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है।

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श्रीमद भागवत से जीवन में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथावाचक श्री रामसखा जू ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन करते हुये कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ दर्शन होता है । जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है।

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मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के दिन मंगलवार को विधिविधान से पूजा हुई। दोपहर तक हवन और उसके बाद विशाल भंडारा कराया गया। नगर व क्षेत्र सेसे आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया ।

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