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राष्ट्र और धर्म के प्रति युवा जागृत हो -सुबूही ख़ान

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राष्ट्र और धर्म के प्रति युवा जागृत हो -सुबूही ख़ान
राष्ट्र और धर्म के प्रति युवा जागृत हो -सुबूही ख़ान

राष्ट्र जागरण अभियान उत्तर प्रदेश प्रवास के तहत दिबियापुर सीसी में हुई गोष्ठी

दिबियापुर। राष्ट्र जागरण अभियान के उत्तर प्रदेश प्रवास के शुभारम्भ में यात्रा के पहले चरण मे इटावा से शुरू होकर कानपुर, बिठूर, चौडगरा, फ़तेहपुर, बाँदा, महोबा, झाँसी व उसके पास के अन्य ज़िले, उरई, औरैया, कन्नौज तक यात्रा रहेगी।

शनिवार की बीती शाम नगर के एक गेस्ट हाउस में ‘राष्ट्र धर्म’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे राष्ट्र जागरण अभियान की संस्थापक व संयोजक सुबूही ख़ान ने राष्ट्र और उसके प्रति हमारे धर्म के प्रति युवाओं को जागृत किया। धर्म, पंथ व संस्कृति के अंतर को जानने और समझने के लिए प्रेरित किया। देश के सामने खड़ी चुनौतियों से अवगत कराया व कहा कि संगठित समाज द्वारा ही अखंड भारत सम्भव है।
यह अभियान सीएए/एनआरसी के समय जन्मा और उस समय सुबूही ख़ान ने जो कि अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं व कबीर फ़ाउंडेशन नामक संस्था की संस्थापक हैं उन्होंने सीएए/एनआरसी के पक्ष में भारत के आठ से दस राज्यों में जाकर राजनैतिक, सामाजिक व वैधानिक सभी पहलुओं पर जागरण किया था।

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उत्तर प्रदेश के हाथरस प्रकरण के बाद इस अभियान को एक नयी दिशा दी गयी और राष्ट्र जागरण अभियान का नाम दिया गया। अपने गुरु के. एन. गोविंदाचार्य जी के संरक्षण और मार्गदर्शन में सुबूही ख़ान अपनी टीम के साथ राष्ट्र जागरण अभियान के अंतर्गत भारत प्रवास पर हैं व देश की खंडित चेतना शक्ति और आध्यात्मिक बल को जगाने और एकत्र करने का काम कर रही हैं। हाल ही में वो बिहार व पंजाब होकर आयी हैं और कहती हैं राष्ट्र जागरण अभियान पूरे देश का अभियान है। हर व्यक्ति, संगठन, भाषा, जाति, क्षेत्र और सम्प्रदाय का अभियान है। इसमे उत्तर प्रदेश को केंद्र मानकर काम किया जाएगा क्योंकि उत्तर प्रदेश में पूरे देश का आध्यात्मिक बल बसता है। कोई कारण है कि श्रीराम, श्रीकृष्ण उत्तर प्रदेश में पैदा हुए हैं। मथुरा, अयोध्या, काशी उत्तर प्रदेश में है। भक्ति काल के अधिकतर कवि उत्तर प्रदेश की मिट्टी से हैं। 1857 की क्रांति उत्तर प्रदेश से शुरू हुई। इस आध्यात्मिक बल के कारण हमने उत्तर प्रदेश को केंद्र बनाया है।

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सुबूही ख़ान कहती हैं, सात भारत विरोधी मानसिकताएँ अपना तन, मन, धन लगा कर भारत को तोड़ने का प्रयास कर रही हैं और हम लोग बँटे होने के कारण उनको पराजित नही कर पा रहे हैं। वो सात भारत विरोधी मानसिकताएँ हैं । वामपंथी और उनके हथियारबंद गिरोह माओवादी और नकसलवादी, अलगाववादी, कट्टरवादी और आतंकवादी संगठन, बौद्धिक आतंकवादी, विधर्मी राजनैतिक दल, अंतर्राष्ट्रीय ताक़तें, धर्मांतरण माफ़िया, विधर्मी कौरपोरेट माफ़िया। यह सभी ताक़तें एकजुट होकर हम से लड़ रही हैं और हमे खंड खंड में बाँट कर पराजित करना चाहती हैं।

उन्होने कहां कि गोविंदाचार्य जी कहते हैं चार कारक भारत के भू-मनोविज्ञान को प्रभावित करते हैं। वो कारक हैं भाषा, जाति, क्षेत्र और सम्प्रदाय। जब समाज में एकरसता होती है और समाज संगठित होता है तो यह चारों कारक भारत की ताक़त हैं। और जब समाज बँटा और टूटा होता है तो यही चार कारक अलगाववाद और विभाजन का कारण बनते हैं। उदाहरण के तौर पर पंजाब और हरियाणा को भाषा के आधार पर तोड़ा गया। देश की सबसे ज़्यादा जातीय विविधताएँ भारत में पायी जाती हैं तो उत्तर प्रदेश को जातियों के नाम पर बाँटने और तोड़ने की कोशिश होती है।

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कार्यक्रम में संयोजक अनिल गुप्ता,आयोजक सुभाष शुक्ला राघव मिश्र, ललिता दिवाकर,नीरज दोहरे,मनीष गुप्ता,अंकित गुप्ता,अमरसिंह राजपूत, मुकलेश विश्वास, रविशंकर, विशाल दुबे आदि लोग मौजूद रहे।

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