10 किमी लम्बी यात्रा निकाली गई
कानपुर देहात । आजादी के बाद देश को राष्ट्रीयता के एक सूत्र में पिरोने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 146वीं जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया गया है। पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में मनाया गया था। सरदार पटेल आजादी के बाद देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी थे। आज सरदार पटेल की जयंती पर कानपुर देहात के पुखरायां कस्बे में पटेल जागरण फाउंडेशन की तरफ से लगभग 10 किमी लम्बी यात्रा निकाली गई जिसमे हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए ।
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रैली में लोग पैदल बाइको और कार में तिरंगा लगाकर सरदार पटेल के जयकारे लगाये और सरदार पटेल की प्रतिमा पर पहुंचकर माल्यार्पण किया । बाद में पटेल चौक में विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया । आज के इस विशेष कार्यक्रम में सभी जाति धर्म के लोग एक साथ मंच पर नजर आए । सभी एक सूत्र में पिरोये दिखे । वही कार्यक्रम के मुख्य अतिथि धीरेंद्र सचान आईएएस का समाजसेवी अजय सचान ने माला पहनाकर और प्रतीक चिन्ह व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया कार्यक्रम में पहुंचे मुख्य अतिथि धीरेंद्र सचान और विधायक विनोद कटियार ने कार्यक्रम के द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस 2021 के मौके पर सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें भी साझा की गई।
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे थे। इस दौरान आजादी की लड़ाई जोर पकड़ रही तो पटेल भी महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में कुद पड़े।
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स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में मिलाकर एक भारत राष्ट्र का निर्माण कराया।
महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी।
गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर (597 फीट) ऊंची लौह प्रतिमा (स्टैचू ऑफ यूनिटी) का निर्माण किया गया। यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसे 31 अक्टूबर 2018 को देश को समर्पित किया गया। अमेरिका की स्टेचू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई केवल 93 मीटर है।
यह सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर कापी जोर दिया। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था। बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की थी।
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किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे। इसी वजह से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था। सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। वही पटेल जयंती कार्यक्रम में भोगनीपुर विधायक विनोद कटियार और पटेल फाउंडेशन की तरफ से सरदार पटेल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी