- 27 नवंबर को बलिदान हुए थे अमर शहीद राम प्रसाद पाठक
- 17 अमर सपूतों के साथ दी थी शहादत
औरैया: शहीदों और सैनिकों को समर्पित संस्था भारत प्रेरणा मंच ने देवकली मन्दिर के समीप स्थित स्मारक पर दीप जला कर 1857 के शहीदों को सलाम किया। इसी स्थान पर पहली क्रांति के दौरान गोरों की पलटन से औरैया के जांबाजों का भीषण संग्राम हुआ था और 18 रणबांकुरों ने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर आहुति दी थी। कार्यक्रम में भारत माता की तस्वीर पर माल्यार्पण व पूजन के बाद 18 शहीदों की याद में दीपक जलाए गए। मंच के महासचिव अविनाश अग्निहोत्री ने बताया कि तत्कालीन इटावा कलक्टर एओ ह्यूम ने औरैया क्षेत्र में सक्रिय क्रान्तिकारियों के दमन के लिए नवम्बर 1857 में लखना के जमींदार ईश्वर चन्द्र और जसवन्त राव के साथ विशाल अंग्रेजी सेना भेजी थी। ब्रिटिश सेना औरैया में देवकली मन्दिर के समीप पहुंची तो मन्दिर में शरण लिए क्रान्तिकारियों अपने नायक रामप्रसाद पाठक के नेतृत्व में हर-हर महादेव की हुंकार करते हुए मोर्चा खोल दिया।
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सिर पर कफ़न बांधे क्रांतिवीरों ने इस युद्ध में ब्रिटिश सेना के चार अधिकारियों समेत कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। तीन दिन तक ब्रिटिश सेना के साथ चले भीषण युद्ध में रामप्रसाद पाठक ने अपने 17 साथियों के साथ भारत माता को फिरंगियों से आजाद कराने के लिए अपनी शहादत दी थी। मंच के अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि अजय अंजाम ने कहा कि प्रशासन ने जो शिलालेख कुछ वर्ष पूर्व यहां लगवाया है उसमें 12 अगस्त 1942 को तहसील भवन पर तिरंगा फहराने के प्रयास में शहीद हुए छः क्रांतिवीरों के नाम लिखे हैं। यह पत्थर तहसील परिसर में स्थानांतरित कर यहां क्रांतिवीर रामप्रसाद की स्मृति का शिलालेख लगाया जाना चाहिए। पूर्व कैप्टन राजेंद्र प्रसाद, श्याम प्रताप सिंह सेगर , अजय कुमार माथुर, दीपक कुमार,सुरेश सिंह सेगर ने इस मांग का पुरजोर समर्थन किया।
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मंच के पदाधिकारी केके चतुर्वेदी ने कहा कि जल्द ही एक शिष्टमंडल इस मांग को लेकर जिलाधिकारी से भेंट करेगा। कवि गोपाल पांडेय ने शौर्य की रचनाएं सुना कर माहौल देशभक्तिमय कर दिया। मौजूद लोगों ने राष्ट्रगीत वन्देमातरम का सस्वर गान कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।