नई दिल्ली। नवनिर्मित संसद भवन की छत पर स्थापित भारत के ‘राजचिह्न’ अशोक स्तंभ के सिंह की अनुकृति के कथित रूप से भाव एवं दृश्य परिवर्तन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता अल्दानिश रीन और रमेश कुमार मिश्रा की ओर से दायर याचिका में शीर्ष अदालत से गुहार लगाई गई है कि वह केंद्र सरकार को भारत के राजचिह्न को सही करने के लिए एक निर्देश जारी करे।
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याचिका में दावा किया गया है कि हाल ही में नई दिल्ली में सेंट्रा विस्टा परियोजना के तहत निर्मित नए संसद भवन की छत पर स्थापित अशोक स्तंभ में सिंह की अनुकृतियां ‘खुले मुंह के साथ क्रूर और आक्रामक’ लगती हैं। याचिका में कहा गया है कि नए स्थापित राज्य चिह्न में ‘सिंहों’ के डिजाइन में एक स्पष्ट अंतर है। ये सारनाथ संग्रहालय में संरक्षित प्रतीक की तुलना में बदले हुए रूप को दर्शाते हैं।
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याचिकाकर्ताओं का दावा है कि भारत का राजचिह्न केवल एक ग्राफिक डिजाइन नहीं है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और दार्शनिक महत्व भी है। सिंह को अशोक के दार्शनिक और आध्यात्मिक अर्थ के कारण भारत के राजचिह्न के रूप में अपनाया गया था। इसे अनजाने और अवैध रूप से नहीं बदला जाना चाहिए था।