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अयोध्या में राममंदिर का पुनर्निर्माण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक : नायडू

अयोध्या में राममंदिर का पुनर्निर्माण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक : नायडू
अयोध्या में राममंदिर का पुनर्निर्माण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक : नायडू

अयोध्या। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की प्राचीन धार्मिक नगरी अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के बाद कहा कि अयोध्या यात्रा और रामजन्मभूमि के दिव्य दर्शन मिलने से उनकी बीते कई सालों की कामना पूर्ण हुयी है। नायडू ने अयोध्या यात्रा के अपने अनुभव को एक लेख के जरिये सोशल मीडिया पर साझा किया। इसमें उन्होंने कहा, “अयोध्या में श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है, यह प्रतीक है राम के आदर्शों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का, एक लोकहितकारी न्यायपूर्ण शासन व्यवस्था का जो सभी के लिए शांति, न्याय और समानता सुनिश्चित करती है।”

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उपराष्ट्रपति ने रामनगरी में आने पर अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए कहा, “मेरी अयोध्या यात्रा और श्री रामजन्मभूमि के दिव्य दर्शन, आज मेरी वर्षों की प्रतीक्षा पूर्ण हुई। मुझे विश्वास है कि मेरी तरह देश के लाखों श्रद्धालु नागरिक भी भगवान श्री राम के भव्य मंदिर में दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस तीर्थयात्रा ने, मुझे अपने संस्कारों, अपनी महान संस्कृति से जुड़ने का अवसर प्रदान किया।” नायडू ने अपने लेख में रामचरित मानस की चौपाईयों का भी जिक्र करते हुए भारतीय आस्था के प्रतीक भगवान राम के बारे में लिखा, “राम भारतीय संस्कृति के प्रेरणा पुरुष हैं, वे भारतीयता के प्रतीक-पुरुष हैं। एक आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र- वे आदर्श पुरुष हैं।

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हम भारतीय जिन सात्विक मानवीय गुणों को सदियों से पूजते आए हैं, वे सभी राम के व्यक्तित्व में निहित हैं। इसीलिए महाविष्णु के अवतार श्री राम, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।” रामायण के महत्व का भी उपराष्ट्रपति ने जिक्र करते हुए कहा कि रामायण का संदेश भागौलिक सीमाओं से परे, सार्वभौम और कालातीत है, उसकी प्रासंगिकता महज भारतीय उपमहाद्वीप तक ही सीमित नहीं है। इस कालजयी रचना के अनगिनत संस्करण दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों जैसे थाईलैंड, इंडोनेशिया, कंबोडिया, म्यांमार, लाओस में आज भी प्रचलित हैं। आज भी, भगवान राम और देवी सीता का चरित्र चित्रण इन देशों की लोक परंपराओं का हिस्सा हैं।

रामायण का संदेश सदैव हमारी आस्था का केंद्र रहा है, पीढ़ियों से ये हमारी चेतना का हिस्सा है, सदियों पुरानी हमारी सभ्यता की प्राणवायु है। इसमें उन्होंने अयोध्या के पौराणिक महत्व का वर्णन करते हुए लिखा, “संस्कृत में अयोध्या का अर्थ है, जहां युद्ध न हो, जो अजेय हो। अयोध्या का गौरवशाली इतिहास कोई ढाई हजार वर्ष पुराना है। पुण्य सलिला सरयू के तट पर बसी यह नगरी प्राचीन कोसल की राजधानी थी। भगवान श्री राम की जन्मस्थली होने के कारण, यह हिंदुओं की मोक्षदायनी सप्त पुरियों में सर्वप्रथम है जिसके बारे में तुलसी लिखते है: बंदहु अवधपुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि।।”

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लेख में उन्होंने बताया कि इतिहास में अयोध्या को ‘साकेत’ के रूप में भी जाना जाता है। बौद्ध और जैन परंपराओं में भी इस नगरी का विशेष महात्म्य है। ऐसी मान्यता है कि गौतम बुद्ध ने स्वयं कई बार अयोध्या की यात्रा की थी और उनके ‘फेन सुत्त” की रचना भी अयोध्या में ही हुई थी। इसी प्रकार जैन आचार्य विमलसूरी द्वारा विरचित ‘पउमचरिय’ जो कि रामायण का जैन संस्करण है, उसमें रामायण के चरित्रों को जैन मान्यताओं के अनुरूप ढाल कर प्रस्तुत किया गया है। अधिकांश ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, मौर्य और गुप्त वंश और उनके बाद भी, एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में अयोध्या की प्रतिष्ठा बनी रही।

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नायडू ने अयोध्या में रामलला के दर्शन कर रामजन्मभूमि स्थल पर बन रहे भव्य मंदिर की कार्ययोजना का भी जायजा लिया। एक प्रस्तुतिकरण के माध्यम से उन्हें बताया गया कि किस प्रकार से अत्याधुनिक तकनीकि के संयोग से इस पवित्र मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने लेख में भी इसका जिक्र करते हुए बताया, “मुझे यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि गर्भगृह को इस प्रकार डिजाइन किया जा रहा है कि हर राम नवमी पर सूर्य की किरणें राम लला के माथे पर पड़ेंगी। उस स्थान पर खड़ा होना, मेरे लिए अकथनीय आह्लाद का अनुभव था। अनायास ही श्रीराम के जीवन के कितने ही प्रसंग मेरे मानसपटल पर उभरते चले गये।”

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इस दौरान उन्होंने सरयू तट पर चहलकदमी भी की। उन्होंने इस अनुभव को साझा करते हुए लिख, “सरयू नदी के किनारे टहलना भावुक कर देने वाला अनुभव था। उस मार्ग पर कुछ दूर चलना, ऐसा अनुभव था मानो प्रभु राम के पथ का अनुगमन कर रहा हूं, जिस धरती पर श्री राम चले उसी धरती पर चलना, मैं अभिभूत था। नदी के किनारों को बड़े ही सुरुचिपूर्ण तरीके से बनाया गया है, जहां पूरा वातावरण ही भक्तिमय रहता है।” गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति नायडू, उत्तर प्रदेश प्रवास के दौरान लखनऊ से शुक्रवार को विशेष रेलगाड़ी से अयोध्या पहुंचे। उन्होंने पत्नी ऊष नायडू के साथ रामलला मंदिर और हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन पूजन किया। अयोध्या से वह अपरान्ह लगभग पौने तीन बजे वाराणसी के लिये रवाना हो गये। जहां वह शाम को गंगा आरती में शिरकत कर शनिवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे।

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