मथुरा। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान में आज आयोजित होली में कान्हा के भक्तों ने ब्रज में खेली जानेवाली विभिन्न होलियों के साथ ही राधारानी के ननिहाल रावल के हुरिहारों द्वारा खेली गई लठामार होली का आनन्द लिया। यह होली बरसाना की होली से इस प्रकार भिन्न थी कि इसमें गोपियों के लाठी प्रहार को हुरिहार लाठी पर ही रोक रहे थे तथा उनके पास चमड़े की ढाल नही थीं। यह होली बरसाना की होली से अधिक आकर्षक होती है लेकिन जरा सी चूक में ही चोट लगने का भी डर रहता है। गोपियों ने हुरिहारों को तब पीटना शुरू किया जब उन्होंने गोपियों के नये वस्त्र रंग गुलाल डालकर खराब करना शुरू किया।
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एक गोपी दूसरी से कह रही थी कि ऐसो चटक रंग डार्यो श्याम मेरी चूनर में लग गयो दाग री होली की चरम परिणति में गोपियों ने पुलिसकर्मियों को भी नही छोड़ा तथा वे हथियार होने के बावजूद भागने को मजबूर हुए। पूर्व में लीला मंच पर ब्रज की विभिन्न प्रकार की होलियों का प्रस्तुतीकरण हुआ। वातावरण हंसी ठिठोली से भर गया जब एक गोपी ने दूसरी गोपी से कहा कि मेरा खोय गयो बाजूबन्द रसिया होरी में जन्मस्थान की होली की दूसरी विशेषता आसमान से गुलाल की वर्षा थी। जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि यांत्रिक विधि से ऐसी व्यवस्था की गई थी कि जन्मस्थान पर स्थित मन्दिरों से प्रसाद स्वरूप गुलाल भक्तो पर आशीर्वाद के रूप में पड़े। यहां की होली का समापन राधा और कृष्ण के जयकारों से हुआ।