औरैया दिबियापुर। देश भर में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए ‘अक्षत निमंत्रण महा अभियान’ चल रहा है। इसके तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा कार्यकर्ता घर-घर जाकर राम मंदिर से जुड़ा पर्चा और अक्षत दे रहे हैं। निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में 22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। ये अक्षत ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट द्वारा भेजे गए हैं। नए साल के साथ ही ये महा अभियान शुरू हो गया था।
भगवान राम 500 वर्षों के वनवास के बाद अपने घर में लौट रहे हैं। ऐसे में घर-घर जाकर हिन्दुओं से कहा जा रहा है कि वो प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन अपने आसपास के मंदिर में पहुँचें और वहीं से इस कार्यक्रम का हिस्सा बनें। अक्षत के साथ ट्रस्ट द्वारा भेजा गया सन्देश भी लोगों को दिया जा रहा है। साथ ही राम मंदिर की तस्वीर है, जिसे घर में लगाने के लिए कहा गया है। राम मंदिर में पूजित अक्षत के साथ लोगों को कहा जा रहा है कि आप मानसिक रूप से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से जुड़िए।
5 नवंबर, 2023 को ही ट्रस्ट द्वारा श्री राम जन्मभूमि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह हेतु जनमानस को आमंत्रित करने के लिए आज जन्मभूमि परिसर में अक्षत पूजन कर कार्यकर्ताओं में वितरित किया गया। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें भी डाली गई थीं। उसके बाद अक्षत को पैकेट्स में डाल कर देश भर में घर-घर पहुँचाने की जिम्मेदारी RSS एवं VHP के साथ विचार परिवार BJP के कार्यकर्ताओं ने उठाई। 5 लाख गाँवों तक अक्षत पहुँचाने के लिए 50 प्रमुख केंद्रों से कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था।
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सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य सुशील तिवारी ने लोगों को समझाया है कि ये ‘अक्षत निमंत्रण’ क्या होता है। उन्होंने बताया कि अक्षत का शाब्दिक अर्थ है – जिसका क्षय न हो। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में मृत्यु के पश्चात ‘राम नाम सत्य है’ कहा जाता है, श्रीराम के रूप में मरने के बाद भी हम बने रहते हैं। उन्होंने कहा कि अक्षत आत्मा का ध्यान कराता है। उन्होंने समझाया कि ट्रस्ट ने इसका प्रतिनिधित्व दर्शाया है कि ऐसा मंदिर बने जो कभी नष्ट न हो। निर्माण में भी इसका ध्यान रखा गया है।
भाजपा युवा मोर्चा जिला मीडिया प्रभारी एवं पं० दीनदयाल उपाध्याय दिबियापुर नगर बस्ती प्रमुख अमित तिवारी (रवि) ने समझाया कि हमारा संबंध भगवान से अक्षत का है, जीव का ईश्वर से नित्य संबंध होता है यानी ऐसा संबंध जो कभी नष्ट नहीं होता। उन्होंने कहा कि भगवान के साथ हमारे अनंत संबंध होने, मंदिर के सनातन होने का प्रतीक ये अक्षत है। धान के ऊपरी हिस्से के निकल जाने के बाद जो चावल बचता है, अक्षत में उसका उपयोग किया जाता है। कहीं-कहीं हल्दी, सुपारी और तुलसी दल का प्रयोग भी किया जाता है।
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उन्होंने समझाया कि गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान श्रीराम को दही-भात खाते हुए देखा था, इसीलिए इसे महाप्रसाद भी कहा गया। उन्होंने कहा कि अक्षत के माध्यम से जो न्योता दिया जा रहा है, वो ईश्वर की अंतरात्मा का प्रतिनिधित्व कर रहा है, धान का ये हिस्सा धन्यता की ओर ले जाए इसकी कामना की जाती है। शादी-विवाह में भी धान का इस्तेमाल होता है, ताकि धन्यता बनी रहे। इसीलिए, अक्षत के माध्यम से निमंत्रण दिया जा रहा है।
इस तरह राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही नहीं गया है, बल्कि आम श्रद्धालु भी ‘अक्षत निमंत्रण’ के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े रहेंगे। अपने आसपास के देवस्थानों में पूजा-पाठ एवं आरती में हिस्सा लेंगे।
पुराने काल में भी अक्षत के माध्यम से ही लोगों को शादी-ब्याह या अन्य कार्यक्रमों का निमंत्रण दिया जाता था। कार्ड के साथ भी अक्षत भेजे जाते थे। अक्षत के चावल पर्व-त्योहारों में पूजा-पाठ के दौरान भी इस्तेमाल में लाए जाते हैं। दिबियापुर नगर की दीनदयाल उपाध्याय बस्ती में अक्षत निमंत्रण के दौरान सरस्वती शिशु/विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के आचार्य योगेश त्रिवेदी, गिरीश शुक्ला, गिरीश चौबे, पीयूष चतुर्वेदी, रमेश बाजपेई, प्रदीप त्रिवेदी, श्रीकांत जी आदि आचार्यों के साथ बस्ती में संपर्क अभियान रहा।