Raja Mansingh case verdict after 35 years, 11 policemen convicted in fake encounter case

उत्तर प्रदेश

राजा मानसिंह केस में 35 साल बाद आया फैसला, फर्जी एनकाउंटर मामले में 11 पुलिसकर्मी दोषी करार

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July 21, 2020

मथुरा की जिला जज ने सुनाया फैसला,सजा पर बुधवार को निर्णय

मथुरा: राजस्थान के भरतपुर स्टेट के राजा मान सिंह के 35 साल पहले हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में मथुरा के डिस्ट्रिक्ट व सत्र न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुनाया। भरतपुर के राजा मान सिंह समेत 3 लोगों की हत्या मामले में जिला जज की अदालत ने 11 पुलिकर्मियों को दोषी माना है। दोषी माने गए पुलिस वालों में सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह, सुखराम, जगराम, जगमोहन शेर सिंह, पदमाराम, हरि सिंह, छतर सिंह, भंवर सिंह रवि शेखर शामिल हैं। दोष सिद्ध होने के बाद तत्काल सभी 11 दोषियों को पुलिस कस्टडी में ले लिया गया।

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सजा पर बुधवार को होगा फैसला

इस बहुचर्चित मामले में कुल 17 आरोपी थे जिनमें तीन की मौत हो चुकी है। वहीं जीडी में हेरफेर के आरोप लगे तीन पुलिसकर्मियों हरि किशन, गोविंद सिंह और कान सिंह को न्यायालय ने निर्दोष करार दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 35 साल पुराने मुकदमे की सुनवाई मथुरा जिला जज की अदालत में हो रही है, इसमें 14 पुलिसकर्मी ट्रायल पर थे। बहुचर्चित मामले को देखते हुए पुलिस ने अदालत परिसर में पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर ली थी। 35 साल पहले हुई थी मान सिंह की हत्या घटना 21 फरवरी 1985 की है, उस वक्त राजस्थान में चुनावी माहौल था। डीग विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार राजा मान सिंह अपनी जोगा जीप लेकर चुनाव प्रचार के लिए लाल कुंडा के चुनाव कार्यालय से डीग थाने के सामने से निकले थे। जहां पुलिस ने उन्हें घेर लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी। घटना में राजा मान सिंह, उनके साथी सुम्मेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई, सभी शव जोगा जीप में मिले थे।

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इस वारदात के बाद डीग थाना के एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह सिरोही के खिलाफ 21 फरवरी को धारा 307 की रिपोर्ट दर्ज कराई और और उनके साथी बाबूलाल के साथ दोनों को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, उनकी जमानत उसी रात हो गई थी। जिसके बाद 22 फरवरी को राजा मान सिंह का दाह संस्कार महल के अंदर ही किया गया। 23 फरवरी 1985 को राजा मानसिंह के दामाद विजय सिंह ने डीग थाने में राजा मान सिंह और दो अन्य की हत्या का मामला दर्ज कराया. इसमें सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत कई पुलिसकर्मी आरोपी थे।

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जिसके बाद तीन-चार दिन में ही मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया। हत्या का मामला जयपुर की सीबीआई की विशेष अदालत में चला और 1990 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामले को मथुरा न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया। मालूम हो कि हत्याकांड से एक दिन पहले 20 फरवरी 1985 को राजा मान सिंह के खिलाफ राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का हेलीकॉप्टर और मंच को तोड़े जाने की एफआईआर दर्ज की गई थी।