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उप्र में मानसून के शुरुआती दौर में 62 प्रतिशत कम हुई वर्षा

उप्र में मानसून के शुरुआती दौर में 62 प्रतिशत कम हुई वर्षा

उप्र में मानसून के शुरुआती दौर में 62 प्रतिशत कम हुई वर्षा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दक्षिण पश्चिम मानसून के शुरुआती चरण में सामान्य से 62 प्रतिशत कम बारिश को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को विलंबित मानसून के मद्देनजर हर परिस्थिति से निपटने को तैयार रहने के निर्देश दिये हैं। मानसून के शुरुआती दोर की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी को बताया गया कि दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून के प्रभाव से इस वर्ष 13 जुलाई तक प्रदेश में मात्र 76.6 मिलीमीटर वर्षा हुई है। जो कि सामान्य वर्षा 199.7 मिमी से लगभग 62 प्रतिशत कम है। इस चरण में प्रदेश का एक मात्र आगरा जनपद ऐसा रहा, जहां सामान्य वर्षा हुई। ललितपुर, फिरोजाबाद, वाराणसी और हापुड़ में सामान्य (80 प्रतिशत से 120 प्रतिशत) और खीरी, देवरिया, एटा एवं बिजनौर में सामान्य से कम (60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत) वर्षा हुई है। राज्य के 19 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक ही वर्षा दर्ज की गई है।

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मुख्यमंत्री ने समीक्षा के बाद निर्देश दिया कि किसानों और फसलों की स्थिति को देखते हुए हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में आमतौर पर 15 जून तक बरसात का मौसम प्रारंभ हो जाता है। यह 15 सितंबर तक जारी रहता है। खेती-किसानी की समृद्धि के लिए यह प्राकृतिक वर्षा अमृत है। इस बार मॉनसून विलंबित है। हालांकि प्राकृतिक वर्षा जल से सिंचाई के साथ-साथ सरकार द्वारा नहरों, नलकूपों के विस्तार से सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाया गया है। ताजा स्थिति के अनुसार सभी प्रमुख नदियों, नहरों और जलाशयों में पर्याप्त जलराशि है। यह संतोषप्रद स्थिति है। बैठक में बताया गया कि अब तक हुई अल्प वर्षा के कारण खरीफ फसलों की बुआयी का कार्य प्रभावित हुआ है। खरीफ अभियान 2022-23 के अंतर्गत 13 जुलाई की अद्यतन स्थिति के अनुसार प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के सापेक्ष 42.41 लाख हेक्टेयर की बुआई हो सकी है, जो कि लक्ष्य का मात्र 44.16 प्रतिशत ही है। इसमें 45 प्रतिशत हिस्सा अकेले धान की बोआई का है। गत वर्ष इसी तिथि तक 53.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुआई हो चुकी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम वैज्ञानिकों के आंकलन के अनुसार आगामी 18 जुलाई से अच्छी वर्षा की संभावना है।

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यद्यपि विलंब से बुआई कृषि उपज को प्रभावित करती है, किंतु सरकार को वैकल्पिक प्रबंधों के लिये तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा, “सभी परिस्थितियों के लिए हमारी कार्ययोजना तैयार रहनी चाहिए। कृषि, सिंचाई, राहत, राजस्व आदि सम्बंधित विभाग अलर्ट मोड में रहें। प्रत्येक जनपद में कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों से सतत संवाद बनाये रखें। जिससे उन्हें सही जानकारी उपलब्ध हो।” याेगी ने कहा कि बांदा, चंदौली, हमीरपुर, देवरिया और जालौन जिलों के साथ बलिया, बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, संतकबीरनगर और श्रावस्ती जैसे जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाना अपेक्षित है। उन्होंने कहा, “आगामी एक सप्ताह हमारे लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी पेयजल का अभाव न हो। विंध्य और बुंदेलखंड में पेयजल की सुचारु आपूर्ति बनी रहे।” उन्होंने निर्देश दिया कि वन विभाग वन्य जीवों के लिए तथा पशुपालन विभाग पशुओं के पेयजल की व्यवस्था बेहतर बनाये रखे। बरसात पर निर्भर जलाशयों में जल की उपलब्धता के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।

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