नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने देश की संस्कृति और विरासत को दर्शाने के लिए अलग अलग थीम पर आधारित डेढ़ सौ से अधिक ‘भारत गौरव’ ट्रेनें सार्वजनिक-निजी साझीदारी से चलाने का निर्णय लिया है और इसके लिए तीन हजार से अधिक रेल कोचों को चिह्नित किया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि भारत गौरव ट्रेनें सैलानियों को अधिक गुणवत्ता वाला एवं सुविधा पूर्ण पर्यटन किफायती दरों पर उपलब्ध कराने तथा घरेलू पर्यटन बाजार में वृद्धि एवं उसमें भी रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाने में अहम भूमिका निभायेंगी।
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रेल मंत्री ने कहा कि इन गाड़ियों के परिचालन के लिए इच्छुक पक्षकारों से आवेदन मंगाने की प्रक्रिया आज से शुरू हो गयी है। विभिन्न पर्यटन कारोबारी कंपनियां, राज्य सरकारों के पर्यटन मंडलों और भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) सहित 15 पक्षकारों ने इन गाड़ियों के परिचालन के प्रति दिलचस्पी का इजहार किया है। उन्होंने कहा कि यह योजना करीब एक हजार पक्षकारों से विस्तृत एवं गहन विचार विमर्श के बाद तैयार की गयी है।
वैष्णव ने कहा कि भारत गौरव ट्रेनों के पहले उदाहरण के रूप में रामायण सर्किट ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है। इसके अलावा भारतीय संस्कृति एवं विरासत के अनेकानेक आयामों जैसे – शिवाजी सर्किट, दुर्ग सर्किट, ज्योर्तिलिंग सर्किट, जंगल सफारी सर्किट, जगन्नाथ सर्किट, दक्षिण भारतीय मंदिर सर्किट, सिखों के गुरुओं के स्थानों का भ्रमण कराने के लिए गुरु कृपा सर्किट आदि, पर उनकी थीम आधारित विशेष पर्यटक गाड़ियों को चलाने की योजना है। ऑपरेटरों को थीम निर्धारित करने की छूट होगी।
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उन्होंने कहा कि इसके लिए ट्रेन ऑपरेटरों को आकर्षक रियायतें दी जा रहीं हैं और उन्हें यात्रा एवं भ्रमण के सभी तत्वों को शामिल करके सस्ता एवं गुणवत्तापूर्ण पर्यटन का पूर्ण पैकेज मुहैया कराने को कहा गया है जिसमें भोजन, टैक्सी, होटल, प्रवेश शुल्क, गाइड आदि सब कुछ शामिल होगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि पैकेज में प्रति व्यक्ति मूल्य तय करने का अधिकार ऑपरेटर का होगा लेकिन विवाद की दशा में रेलवे के पास हस्तक्षेप का अधिकार होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि महामारी या किसी अन्य अनपेक्षित परिस्थिति में यदि गाड़ी का परिचालन संभव नहीं होता है तो ऐसी दशा में ऑपरेटर को अनुबंध से बिना किसी नुकसान के बाहर आने विकल्प दिया गया है।
रेल मंत्री ने कहा कि भारत गौरव ट्रेनों के लिए देश के विभिन्न स्थानों पर 3033 कोचों को चिह्नित करके रखा गया है। पारदर्शिता का ध्यान रखते हुए ऑपरेटर को आवेदन के पहले उन कोचों को देखने एवं जांचने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन कोचों में आईसीएफ एवं एलबीएच के सभी श्रेणियों के कोच, विस्टाडोम, वंदेभारत, तेजस, आदि हर प्रकार के कोचों एवं रैकों के विकल्प होंगे। एक गाड़ी में ग्राहकों के लिए लग्जरी, बजट आदि विभिन्न श्रेणियों के 12 से लेकर 20 कोच तक हो सकते हैं। कोचों में थीम के मुताबिक आंतरिक साज सज्जा करने एवं ट्रेन के भीतर और बाहर दोनों जगह ब्रांडिंग और विज्ञापन लगाने सहित सभी आवश्यक बदलाव करने की छूट ऑपरेटर को दी जाएगी।
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रेल मंत्री के अनुसार भारत गौरव ट्रेन के लिए एक चरण वाली आसान पारदर्शी ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया निर्धारित की गयी है और पंजीकरण शुल्क मात्र एक लाख रुपये निर्धारित किया गया है। सभी पात्र आवेदकों को कोचों का आवंटन उपलब्धता पर निर्भर है। रैक सिक्योरिटी डिपॉजिट समय एवं तिथि के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी। रैक सिक्योरिटी डिपॉजिट एक लाख रुपये प्रति रैक है। आवेदन के लिए वैयक्तिक, भागीदार कंपनी, कंपनी, सोसायटी, ट्रस्ट, जेवी/ कंसोर्टियम (अनइन्कॉरपोरेटेड / इन्कॉपोरेटेड) पात्र हैं। सेवा प्रदाता के लिए अपना व्यावसायिक मॉडल तैयार करने की नीति में राइट टू यूज शुल्क और हॉलेज शुल्क अधिसूचित कर दिए गए हैं। राइट टू यूज अवधि दो से 10 वर्ष तक हो सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि डेढ़ सौ ट्रेनें आवंटित होने के बाद भी यदि बाजार में मांग हुई तो रेलवे और ट्रेनें भी उपलब्ध करायेगी। उन्होंने कहा कि इसका मकसद रेलवे के ग्राहकों में यात्रियों एवं मालवहन करने के साथ पर्यटकों के एक नये सेगमेंट को जोड़ना है।