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रैबीज का वायरस हो सकता है जानलेवा -सीएमओ

औरैया: कुत्ते से ही नहीं अन्य जानवरों के काटने से भी रैबीज होने का खतरा होता है। यह वायरस से फैलने वाला एक बेहद गंभीर रोग है, जो कि मानव मस्तिष्क को प्रभावित करती है तथा प्रतिवर्ष होने वाली हजारों मौतों का कारण भी बनती है। यह बातें ‘विश्व रैबीज दिवस’ के अवसर पर सोमवार को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में सोमवार को आयोजित हुई गोष्ठी के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने कहीं।

मनुष्यों और जानवरों पर रैबीज के प्रभाव के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए, बीमारी की रोकथाम और रेबीज को नियंत्रित करने के प्रयासों के बारे में जानकारी और सलाह प्रदान करने के लिए 28 सितम्बर को विश्व स्तर विश्व रैबीज दिवस मनाया जाता है। 2020 में 14वें विश्व रेबीज दिवस का विषय ‘एंड रैबीज: सहयोग, टीकाकरण (End Rabies: Collaborate, Vaccinate)’ है। इस वर्ष का विषय टीकाकरण और सहयोग पर केंद्रित है।

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डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि रैबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। रैबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी फैल जाता है। रैबीज एक जानलेवा रोग है जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, जो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है।

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क्या है रैबीज के लक्षण

सीएमओ ने बताया कि बुखार, सिरदर्द, घबराहट या बेचैनी, व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना, पानी से डर लगना, नींद नही आना एवं शरीर के किसी एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि रेबीज के लक्षण है। गोष्ठी के दौरान सभी उपमुख्य चिकित्साधिरी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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किसी भी जानवर के काटने पर यह करें

• अगर रैबीज से संक्रमित किसी बंदर या कुत्ते आदि ने काट लिया तो तुरंत इलाज करवाएं।
• काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटौल से साफ करें।
• जितना जल्दी हो सके वेक्सिन या एआरवी के टीके लगवाएं।
• पालतू कुत्तों को इंजेक्शन लगवाएं।

72 घटे बाद नहीं होता असर

यदि किसी भी व्यक्ति को रैबीज संक्रमित किसी जानवर ने काट लिया और उसने 72 घंटे के भीतर अपना इलाज नहीं करवाया तो उसके बाद वेक्सिन या एआरवी के टीके लगावने का कोई फायदा नहीं है। इस लिए जितना जल्दी हो सके वेक्सिन व एआरवी के टीके अवश्य लगावाएं।
लापरवाही न बरतें-
कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। अगर हल्का सा भी निशान है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगाने चाहिए। कई बार कटे अंग पर पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी ये रोग फैल सकता है।

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