नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने निम्न गुणवत्ता वाली चाय के आयात और वितरण पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं और स्थानीय नामी चाय की किस्मों के साथ निम्न गुणवत्ता वाली आयातित चाय के मिश्रण पर रोक लगा दी है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के निर्देशों के अनुसार चार्य बोर्ड द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। इसके तहत सभी आयातकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है |
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कि आयातित चाय की उत्पत्ति का उल्लेख उनके सभी बिक्री बिलों और चालान में किया जाए। साथ ही यह भी निर्देश है कि आयातित चाय को भारतीय मूल की चाय के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाये। बोर्ड ने चाय के सभी वितरकों को घरेलू उपभोग के लिए भारतीय मूल की चाय के साथ सस्ती और निम्न गुणवत्ता वाली चाय को मिश्रित न करने का निर्देश दिया है। इसमें दार्जिलिंग चाय के विनिर्माताओं को जीआई क्षेत्र के बाहर से हरित पत्ती की खरीद न करने का निर्देश दिया गया है।
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बोर्ड ने चाय खरीदारों को आयातित चायों को दार्जिलिंग/कांगड़ा/असम (परंपरागत)/नीलगिरि (परंपरागत) के चायों के साथ मिश्रित न करने का निर्देश दिया गया है। उपरोक्त निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, चाय बोर्ड ने विशेष रूप से नेपाल चाय के वितरकों/आयातकों पर औचक जांच शुरू की है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार अधिकारियाें ने गुरुवार को सिलिगुड़ी में तीन इकाइयों की औचक जांच की और परीक्षण के लिए नमूने ले लिये।
वैसे सरकार का कहना है कि भारत में कुल चाय उत्पादन की तुलना में आयात का प्रतिशत सामान्यतः 1-2 प्रतिशत के दायरे में ही है और इसका बड़ा हिस्सा फिर से निर्यात में इस्तेमाल होता है और उनका घरेलू उपभोग नहीं किया जाता।