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ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर गर्भवती महिलाओं की हो रही है निशुल्क एचआईवी व सिलफिस जांच

ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर गर्भवती महिलाओं की हो रही है निशुल्क एचआईवी व सिलफिस जांच

ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर गर्भवती महिलाओं की हो रही है निशुल्क एचआईवी व सिलफिस जांच

इटावा। गर्भवती महिलाओं की प्रथम सेमेस्टर में एचआईवी एवं सिलफिस जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग और अहाना संस्था के संयुक्त प्रयास से जनपद में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती की जांच कराई जा रही है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ भगवान दास ने दी। उन्होंने बताया एचआईवी की जांच करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षण यूपीएनपी प्लस अहाना प्रोग्राम के अधिकारियों को दिया गया है। इससे जनपद में गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच सही तरीके से हो। सीएमओ ने कहा कि कोई भी गर्भवती महिला एचआईवी ग्रस्त पाई जाती है तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसकी समय से जांच और उचित चिकित्सक परामर्श के जरिए सुरक्षित प्रसव कराया जाता है।

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उन्होंने बताया कि प्रसव उपरांत बच्चे की डीवीएस जांच होती है जिसमें सुनिश्चित किया जाता है कि नवजात एचआईवी ग्रस्त है या नहीं। एचआईवी ग्रस्त गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव आवश्यक है। इससे एचआईवी गर्भवती महिलाओं को सभी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जा सके और उनकी उचित देखभाल हो। अहाना संस्था के फील्ड ऑफिसर विकास चतुर्वेदी ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देशन में वीएचएनडी दिवस पर फर्स्ट सेमेस्टर में गर्भवती महिलाओं की एचआईवी और सिलफिस की जांच सभी आठों ब्लॉक और जिला महिला अस्पताल पर अनिवार्य रूप से की जा रही है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला एचआईवी रिएक्टिव आती है तो उसकी कंफर्मेटरी जांच निकटतम आईसीटीसी पर कराते हैं।

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उसके बाद अगर महिला पॉजिटिव आती है तो उसको एआरटी सेंटर से लिंक करा कर संस्थागत प्रसव करवाया जाता है। शिशु के जन्म के बाद 18 माह तक फॉलोअप भी किया जाता है। विकास ने बताया कि यदि कोई महिला एचआईवी संक्रमित निकलती है तो हम उसके घर पर जाकर विजिट करते हैं और उसकी पूरी काउंसलिंग करते हैं। जिससे उसकी सभी भ्रांतियों को दूर किया जा सके। हमारे द्वारा गर्भवती को संस्थागत प्रसव के साथ सुरक्षित प्रसव की का भी आश्वासन दिया जाता है। उन्होंने बताया कि संस्थागत प्रसव के 72 घंटे के अंदर गर्भवती को नेवरापिन सीरप दिलाते हैं जिससे नवजात एचआईवी संक्रमित न हो। प्रसव उपरांत 6 माह, 12 माह ,18 माह पर विशेष जांच करवाई जाती है।

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उन्होंने बताया की महिला का पति एचआईवी नेगेटिव है तो हर 3 माह में एचआईवी जांच कराते हैं व एचआईवी ग्रस्त मां के बच्चे की भी जांच हर तीन माह में करवाई जाती है।जिससे कि संक्रमण बच्चे में न पहुंचे इसके लिए पूरी सतर्कता बरती जाती है। विकास ने बताया कि जनपद में अब तक अप्रैल 2021 से अब तक जनपद के स्वास्थ्य केंद्रों में हुई एचआईवी जांच में 26 गर्भवती महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव पाई गई है। जिनकी पूरी देखरेख स्वास्थ्य विभाग और अहाना संस्था द्वारा की जा रही है। मैं कहना चाहूंगा कि गर्भवती यदि कुछ सावधानियां रखें और अपने खान-पान का ध्यान रखें तो वह स्वस्थ बच्चे को जन्म देती हैं।

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