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पुलिस ने ढहाया हिस्ट्रीशीटर विकास का घर

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Police demolished History Sheeter's house
  • दो बीघे के घर में मिला तलघर, मिलीभगत के आरोप में
  • एसओ विनय तिवारी निलंबित

कानपुर: घटना के बाद  24 घंटे में 8 पुलिसकर्मियों के हत्यारोपी विकास दुबे को लाख प्रयासों के बाद भी पुलिस पकड़ नही सकी है । जबकि 48 थानों की पुलिस एसटीएफ के साथ हिस्ट्रीशीटर विकास की तलाश कर रही है ।चौबेपुर के बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने वाले हिस्ट्रीशीटर अपराधी विकास दुबे के दो बीघे की चाहरदिवारी में बने किलेनुमा मुकान में पुलिस ने बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया है। पुलिस ने बीते तीस घंटे में मकान सील करके चप्पे-चप्पे की तलाशी ली तो महफूज किले जैसी सुरक्षा घेरे वाले परिसर के अंदर बने पुराने मकान में अंडरग्राउंड बंकर भी मिला है।

पुलिस मकान के हर एक हिस्से की बारीकी से छानबीन कर रही है और उसे ढहाकर बंकरनुमा तलघर के सिरे को भी देख रही है। उधर चौबेपुर के एसओ विनय तिवारी को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे से मिलीभगत के शक में और मुठभेड़ के दौरान निष्क्रिय रहने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है । आईजी कानपुर जोन मोहित अग्रवाल ने भी माना है कि मुठभेड़ के दौरान मुठभेड़ में शामिल कुछ पुलिसकर्मियों से लापरवाही और कायरता का प्रदर्शन हुआ है, जिसकी जाँच चल रही है , दोषी पाये जाने पर पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी ।

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सुत्रों के मुताबिक विकास दुबे एनकाउंटर में मारे जाने के भय से कोर्ट में आत्मसमर्पण की फिराक में है । बताते चले कि लगभग 18 साल पूर्व हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने तत्कालीन राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की शिवली थाने के अंदर निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी थी । तब भी भाजपा की ही प्रदेश में सरकार थी और राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे । उस समय भी पुलिस के दबाव में बिकास ने अपनी जान बचाने के लिये आत्मसमर्पण कर दिया था । इस तरह विकास उस समय भी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका था ।बाद में विकास जेल से रिहा हो गया था ।

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दो बीघा के अंदर चार कमरे नए है, जहां विकास रहता था। पूरे की करीब 12 फीट ऊंची बाउंड्रीवाल है। कोई दाखिल न हो सके, इसलिए करीब दो फीट ऊंचाई में छल्लेदार कंटीले तार भी लगाए गए है। गांव वालों के मुताबिक नया घर सात-आठ साल पहले ही बना है। बाउंड्रीवाल के अंदर ही पैतृक घर भी है, जहां अब सेवादार रहते है। घर में दाखिल होने के चार गेट है। एक मुख्य द्वार है। दो गेट दाएं-बाएं वाली गलियों में खुलते है तो चौथा गेट पुराने घर से अंदर आने-जाने का है। तीनों नए गेट इतने चौड़े है कि चार पहिया वाहन आ जाए। चारों गेट के बाहर और अंदर सीसीटीवी कैमरे लगे है। कोई गेट के पास पहुंचा नहीं कि सीसीटीवी से उसे खबर लग जाती।

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मुख्य गेट से करीब 80 मीटर अंदर चार कमरों वाले आलीशन घर में ही विकास रहता था। यहां जाने से पहले चैनल का मजबूत गेट लगा है। दालान और फिर बाएं बैठक का कमरा। इस कमरे के बराबर विकास का बेड रूम। दाहिने कमरे में पिता रामकुमार दुबे और उनके पीछे वाले कमरे में कामवाली रेखा अपने पति व दो बेटियों संग रहती है। सीढिय़ां बाहर से भी छत तक पहुंचाती है, आंगन से भी। इन्हीं तगड़े इंतजामों और बेखौफ प्रवृत्ति के कारण पुलिस भी घर में दाखिल होने से घबराती थी। घर में ऐशो-आराम का भी पूरा इंतजाम है। बाथटब से लेकर वाश बेसिन तक डिजाइनर। किचन भी माड्युलर। यानी, सबकुछ ऐसा इंतजाम कि शहर में रहने वाले तमाम लोगों को भी शायद ही नसीब हो।

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पुलिस ने सारा दिन और रात मकान के हर एक हिस्से की गहनता से छानबीन की। पुलिस को शनिवार सुबह पुराने मकान में एक अंडरग्राउंड बंकर मिला। मकान की ऊपरी फर्श साधारण लग रही थी और उसपर लकड़ी का तखत रखा हुआ था। शुरुआत में पुलिस टीम छानबीन करके चली गई, फिर दोबारा पड़ताल में पुलिस टीम ने तखत हटाकर ठोका तो खोखलेपन की आवाज महसूस हुई।

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इसपर पुलिस को संदेह हुआ और पड़ताल की तो फर्श के नीचे तलघर बना मिला। माना जा रहा है कि अपराध करने के बाद विकास इसी अंडरग्राउंड बंकर में छिप जाता था। पुलिस ने घर के अंदर से विकास के पिता और नौकरनी समेत परिवार को बाहर निकाल दिया। इसके बाद मकान के आसपास पचास मीटर पर आवागमन बंद करा दिया है, मीडिया को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। पुलिस ने बुलडोजर से चाहरिदवारी को गिराना शुरू कर दिया है, अंदर कार खड़ी किए जाने वाले हिस्से को भी ढहा दिया। पुलिस ने पूरे मकान को गिराने की तैयारी कर ली है, गांव में सशस्त्र पुलिस फोर्स तैनात है। वहीं गांव वाले भी दूर से पुलिस की कार्रवाई को देख रहे हैं और पुलिस फोर्स को देखकर पास जाने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा है। 

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