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झांसी में साइबर ठगी मामले में पुलिस ने किया खाता ब्लॉक

झांसी में साइबर ठगी मामले में पुलिस ने किया खाता ब्लॉक
झांसी में साइबर ठगी मामले में पुलिस ने किया खाता ब्लॉक

झांसी । उत्तर प्रदेश के झांसी में नौकरी के नाम पर साइबर ठगी का शिकार हुई एक युवती के आत्महत्या कर लेने के बाद हरकत में आयी पुलिस की साइबर सेल ने ठगी करने वालों का खाता ब्लॉक करने और जरूरी कार्रवाई किये जाने का दावा किया है।

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पूरे मामले पर सी ओर सिटी राजेश कुमार सिंह ने मंगलवार को कहा कि थाना नवाबाद थानाक्षेत्र के गुमनावारा निवासी एक युवती यशस्वी पाराशर (21) ने आत्महत्या कर ली है। इसके बारे में बताया जा रहा है कि वह साइबर ठगी का शिकार हुई थी। साइबर सेल वाले बता रहे हैं कि उसके खाते से 48 हजार रूपये निकाले गये जो एकबार में नहीं बल्कि कई बार में निकाले गये। युवती के परिजनों ने इस संबंध में साइबर सेल में एक प्रार्थना पत्र दिया था और उसमें कार्रवाई की भी गयी है। इस ठगी मामले में साइबर सेल ने भोपाल के एक खाते को सील किया है जो किसी आदिवासी का खाता बताया जा रहा है। खाते को ब्लॉक करा दिया गया है,जरूरी कार्रवाई की जा रही है।

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दूसरी ओर मृतक के परिजनों का आरोप है कि नवाबाद थाने और साइबर क्राइम में एक माह पहले प्रार्थना पत्र देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस कारण आर्थिक तंगी के बीच पिता की गाढ़ी कमाई का पैसा भी ठग लिये जाने से भावनात्मक रूप से निराश और पुलिस की ढिलाई के चलते पैसे वापसी का कोई रास्ता भी नहीं दिखायी देने से हताश यशस्वी ने आत्मघाती कदम उठाया। यशस्वी के चाचा मोहन पाराशर ने बताया कि यशस्वी बहुत भावुक बच्ची थी और नौकरी के चक्कर में पापा की गाढ़ी कमाई का पैँसा गंवाने को लेकर बहुत ही परेशान थी।

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गौरतलब है कि नौकरी लगवाने के नाम पर साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले अपराधियों ने यशस्वी पाराशर को अपना शिकार बनाया। घर की माली हालत ठीक नहीं होने और इसी बीच साइबर ठगी में लगभग 50 हजार गंवाने का सदमा यशस्वी बर्दाश्त नहीं कर पायी और सोमवार देर रात उसके अपने घर में फांसी लगा ली। उसके कमरे से सुसाइड नोट भी बरामद किया गया जिसमें उसने पैसे गंवाने को लेकर अपनी हताशा को खुलकर बताया।

यशस्वी 12वीं पास करने के बाद से ही नौकरी की तलाश में लग गयी थी और उसका विचार अपने पिता का हाथ बंटाने का था, इसी के चलते नौकरी के लिए उसने ऑनलाइन आवेदन किया । कंपनी की ओर से सलेक्शन की बात कहे जाने के बाद लैपटॉप और अन्य सामग्री के खर्च के एवज में 48 हजार रूपये कई बार में लिये गये और पूरा पैसा आने के बाद कंपनी का फोन बंद आने लगा। फोन बंद होने के बाद यशस्वी को एहसास हुआ कि वह साइबर ठगी का शिकार हुई है और इस बात ने उसे भावनात्मक रूप से बहुत धक्का लगा। नवाबाद थाने और साइबर सेल में पूरे मामले की शिकायत की गयी थी।

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