जौनपुर। उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले की मछलीशहर लोकसभा सीट का गठन 1962 हुआ था,इससे पहले 1952 के चुनाव में यह क्षेत्र फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में था, यहीं से उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू पहला चुनाव जीतकर देश के प्रधानमंत्री मंत्री बने थे।
इस सीट से चार बार कांग्रेस का परचम लहरा चुका है जबकि एक बार भारतीय लोकदल, तीन बार जनता दल,तीन बार भाजपा , दो बार सपा और एक बार बीएसपी के सांसद चुने गये है।
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मछलीशहर में 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गनपतराम सांसद चुने गये थे। 1967 और 1971 में कांग्रेस के ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित नागेश्वर द्विवेदी सांसद बने थे। 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट पर राजकेशर सिंह सांसद चुने गये थे। 1980 शिव शरण वर्मा जनता पार्टी से सांसद बने थे। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए 1984 के चुनाव में श्रीपति मिश्रा ने कांग्रेस का पुनः परचम लहराया था, इससे पूर्व श्रीपति मिश्र 19 जुलाई 1982 से 02 अगस्त 1984 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। 1989 चुनाव में पूर्व सांसद शिवशरण वर्मा ने पुनः यह सीट कांग्रेस से छिनकर जनतादल की झोली में डाल दिया था और 1991 के चुनाव में जनता दल से ही शिवशरण वर्मा पुनः सांसद बने थे।
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1996 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा के डॉ राम विलास वेन्दाती सांसद चुने गये और वर्ष 1998 में भाजपा के स्वामी चिन्मयानंद एमपी बने थे। 1999 के चुनाव में यह सीट पहली बार सपा के खाते में गयी और सपा प्रत्याशी सी एन सिंह सांसद बने थे।2004 आम चुनाव में बसपा के बाहुबली उमाकांत यादव जेल रहते हुए भारतीय जनता पार्टी के गद्दावर नेता पंडित केसरी नाथ त्रिपाठी को हराकर सांसद बने थे। 2009 चुनाव में सपा प्रत्याशी तुफानी सरोज सांसद चुने गये। 2014 चुनाव में मोदी लहर के दौरान इस सीट पर एक बार फिर बीजेपी के रामचरित निषाद ने कमल खिलाकर सांसद चुने गये थे और 2019 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बड़े रोचक मुकाबला के दौरान यहां से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बीपी सरोज बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी टी राम को मात्र 181 मतों से पराजित कर सांसद चुने गए हैं।
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मौजूदा लोकसभा चुनाव में अभी तक मछलीशहर सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र से किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद बीपी सरोज चुनाव घोषित होने के पश्चात क्षेत्र में प्रचार तो कर रहे हैं, मगर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है कि पार्टी की तरफ से यहां कौन चुनाव लड़ेगा। इस बार यह सीट चुनावी समझौते में समाजवादी पार्टी के खाते में गई है, मगर अभी तक समाजवादी पार्टी ने भी यहां से अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती इस बात की प्रतीक्षा कर रही है कि जब भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी यहां से घोषित कर दिया जाए तो उसके बाद वह अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करेंगी।
1984 के चुनाव के बाद आज तक 40 वर्ष हो रहे हैं कांग्रेस पार्टी का पहली बार यहां से प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ेगा, इस बार कांग्रेस का चुनाव चिन्ह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर नहीं रहेगा क्योंकि यह सीट चुनावी समझौते में समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। अब देखना यह है कि जिस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र कर चुके हैं। यहां से 2024 में किस पार्टी का प्रत्याशी सांसद चुनकर संसद में पहुंचेगा, यह तो समय ही बताएगा।