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अधिक खतरे वाले कोरोना मरीज ही सैफई भेजे जाएं…

Only high risk corona patients should be sent to Saifai

PHOTO BY, TEJAS KHABAR

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने सैफई चिकित्सा विश्वविद्यालय में कोविड-19 समीक्षा बैठक ली
शिवम दुबे ,इटावा: उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के कोविड-19 अस्पताल में जारी सेेवाओं के संबंध में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डाक्टर रजनीश दुबे ने बुधवार को यहां पहुंचकर समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कोविड-19 अस्पताल में कार्यरत सभी कमिटियों के प्रभारी एवं सभी विभागाध्यक्षों से वार्ता कर व्यवस्थाओं एवं तैयारियों की विवेचना की।प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने निर्देश दिया कि सैफई विश्वविद्यालय में कोरोना के उन्हीं मरीजों को भेजा जाए जिन्हें लेवल 3 उपचार की जरूरत हो।
उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डा. राजकुमार के निर्देशन में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सैफई विश्वविद्यालय ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में क्षेत्र एवं राज्य में एक विशिष्ट स्थान बना लिया है, उसे आगे भी अपने उत्कृष्ट योगदान को बरकरार रखना है। उन्होंने विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी हेल्थ वर्कर्स की हौसला अफजायी की। उन्होंने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश में कोविड-19 मरीजों की मृत्यु दर 2.2 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 3.3 प्रतिशत है और पश्चिम बंगाल में तो 9.0 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में सबसे अधिक आबादी के बावजूद उत्तर प्रदेश कोविड-19 को कन्ट्रोल करने में सफल रहा है।

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समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डा0 रजनीश दुबे ने कहा कि कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए जरूरी है कि सभी स्तर पर निर्धारित प्रोटोकाॅल एवं क्वालिटी कन्ट्रोल को फाॅलो किया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय में एक मजिस्ट्रेट को लिखित आदेश देते हुए तैनात किया जाए जो यहां के मरीजों की सुरक्षा हेतु उत्तरदायी होगा और इससे कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए विश्वविद्यालय एवं जिला प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय हो सकेगा। उन्होंने अन्य जिलों से सैफई विश्वविद्यालय में रेफर किए जा रहे कोविड-19 मरीजों के बारे में गाइडलाइन जारी किया है। उन्होंने निकटवर्ती जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिलाधिकारी को उन्हीं कोरोना मरीजों को रेफर करने के लिए कहा है जिनको लेवल-3 उपचार की जरूरत है या जिन्हें अधिक उम्र या कोमोर्बिड कन्डिशन्स के कारण अधिक खतरा है। इन मरीजों को रेफर करने से पूर्व प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा से अनुमोदन लेकर कुलपति और जिलाधिकारी इटावा से क्लियरेंस लेना पड़ेगा एवं उसके उपरान्त ही मरीज को मजिस्ट्रेट की निगरानी में एमओ के साथ एम्बुलेंस में पूरे पेपर वर्क के साथ विश्वविद्यालय को हेंडओवर करना होगा।

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उन्होंने जोर दिया कि कोविड-19 अस्पताल के हर वार्ड में सीसीटीवी कैमरा लगाया जाय और एक मोबाइल फोन भी रखा जाए जिससे कंट्रोल रूम से चैबिस घंटे मानिटरिंग की जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि किसी भी दशा में सैफई विश्वविद्यालय में सस्पेक्टेड मरीजों को क्वारंटाइन न किया जाय। जरूरत पड़ने पर उक्त हेतु उपजिलाधिकारी डिग्री कालेजों में व्यवस्था सुनिश्चित करें।
कुलपति प्रो0 डा0 राजकुमार द्वारा अवगत कराया गया कि टेलिमेडिसिन सेवा जल्द ही शुरू  की जा रही है जिससे आस-पास के जिलों के सभी नाॅन कोविड मरीजों को भी इलाज में कोई समस्या न आए। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि डायलिसिस के लिए युद्ध स्तर पर नया आरओ प्लांट ट्रामा एवं इमर्जेंसी बिल्डिंग के भू-तल पर इंस्टाल कर दिया गया है । अतिशीध्र ही कोविड एवं नाॅन-कोविड मरीजों के डायलिसिस की रेगुलर व्यस्था बहाल कर दी जाएगी। साथ ही डायलिसिस टेक्नोलाॅजी में डिप्लोमा कर रहे अन्तिम वर्ष के 14 छात्रों को बुलाए जाने की कार्यवाही भी की जा रही है। इस पर प्रमुख सचिव ने संतोष प्रकट किया और डायलिसिस टेक्नोलाॅजी कोर्स केे फाइनल ईयर स्टूडेन्ट्स को एवं स्टाफ नर्स को डायलिसिस की शार्ट टर्म ट्रेनिंग करवाकर डायलिसिस की सेवाओं को मजबूत करने के सलाह की संस्तुति की। उन्होंने हेल्थ केयर वर्कर्स के वेन्टिलेटर ट्रेनिंग पर भी विशेष जोर दिया।

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प्रभारी किचन डा0 आई के शर्मा द्वारा अवगत् कराया गया कि मरीजों को आहार देने से पूर्व डायटिशियन व चिकित्सक द्वारा उसकी गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है। कुलपति द्वारा अवगत कराया गया कि कोरोना रोगियों को आयुर्वेदिक काढ़ा (एनआरके) तथा माडरेट सिम्प्टम वाले मरीजों को विशेष अयुर्वेदिक औषधि निर्वाण देव बूटी (एनआरबी) दी जा रही है जिसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं तथा एनआरबी पर चल रहे रिसर्च को विश्वविद्यालय की एथीकल कमेटी द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है तथा इसे आगे भी जारी रखा जाएगा। इसके साथ-साथ रोगियों को एलोपैथी औषधि भी गाइडलाइन के अनुसार दी जा रही है। प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा रोगियों को उपलब्ध कराये जा रहे आहार के सम्बन्ध में संतुष्टि व्यक्त किया गया

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संकायाध्यक्ष ने अवगत कराया कि अधिकांश इन्टर्न ड्यूटी ज्वाइन कर चुके हैं तथा उन्हें ट्रेनिंग भी दी जा रही है। डीन नर्सिंग कालेज ने अवगत कराया कि कुल 114 नर्सिंग फाइनल ईअर स्टूडेन्ट्स कोर्स कम्पलिट करने के उपरान्त घर चले गए जिनमें 60 बीएससी नर्सिंग एवं 54 जीएनएम के स्टूडेंट्स हैं प्रमुख सचिव ने इन सभी को तत्काल रूप से बुलाकर और विशेष ट्रेनिंग मोड्यूल के अन्र्तगत प्रशिक्षित कर वर्तमान में उपलब्ध मैन पावर को मजबूत करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के शुरूआत से ही मेडिकल एजूकेशन डिपार्टमेंट जिसमें मेडिकल कालेज तथा चिकित्सा विश्वविद्यालय हैं कि जिम्मेदारियों में व्यापक इजाफा हुआ है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डा. रजनीश दूबे ने जिलाधिकारी इटावा को सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय के आस-पास के स्थित अधिकांश गेस्ट हाउस को कोविड-19 अस्पताल में कार्यरत हेल्थ वर्कर्स के क्वारंटाइन के लिए उपलब्ध कराया जाय..

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शासन द्वारा भेजे गए कोविड-19 के लिए ओएसडी डा0 शैलेन्द्र कुमार यादव से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे प्रतिदिन पूरी तैयारियों का जायजा स्वयं लेकर विभिन्न प्रोटोकाॅल को निर्धारित करेंगे। उन्होंने ओएसडी को यह भी निर्देश दिया कि कोविड-19 से संबंधित हेल्थ केयर वर्कर्स की ट्रेनिंग को आकस्मिक चेक कर गुणवत्ता को सत्यापित करेंगे और डेड बाडी डिस्पोजल एवं डेथ आॅडिट के पूर्व निर्धारित प्रोटोकाॅल को क्रियान्वित करेंगे।
समीक्षा बैठक में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) राजकुमार, प्रतिकुलपति डा0 रमाकान्त यादव, जिलाधिकारी इटावा जेबी सिंह, मुख्य विकास अधिकारी राजा गणपति आर, संकायाध्यक्ष (चिकित्सा संकाय) डा0 आलोक कुमार, संकायाध्यक्ष (छात्र कल्याण प्रकोष्ठ) डा0 आलोक दीक्षित,  वित्त नियंत्रक गुरूजीत सिंह कलसी, कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा, चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार, कोविड-19 अस्पताल नोडल अधिकारी डा0 रमाकान्त रावत, सभी कमेटियों के प्रभारी एवं विभागाध्यक्ष आदि उपस्थित रहे..

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