- अरहर की शादी दाल के साथ बेसन को रोटी थी पसन्द
लम्बी बीमारी के बाद जब समाजवाद की बात करने वाले धरती पुत्र सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हुआ तो समाजवाद का अंत हो गया और ऐसे में नेता जी से जुड़ी यादे और उनकी बाते जरूर याद आती है उन्ही यादो में कानपुर देहात भी शामिल है क्योंकि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का कर्म क्षेत्र इटावा से उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के रास्ते मे कानपुर देहात भी शामिल है और कानपुर देहात के बारा जोड़ पर बने पहलवान ढाबा का जिक्र भी जरूर होगा। क्योंकि सन 1983 से मुलायम सिंह यादव का नाता बारा जोड़ पर बने पहलवान ढाबा से रहा है। जहाँ ढाबे के मालिक स्व० हनीफ पहलवान से खासा गहरा नाता था। दिवंगत हनीफ पहलवान के मोहम्मद अच्छन बताते है जब भी वह इटावा से लखनऊ या लखनऊ से इटावा आते जाते थे
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बारा जोड़ पर बने पहलवान ढाबा पर जरूर वक्त गुजारते थे उन्हें खाने में अरहर की शादी दाल और बेसन की रोटी पसन्द थी मुलायम सिंह यादव के कहने पर मोहम्मद अच्छन के पिता ने उनके लिए इसी ढाबे पर एक कमरे का निर्माण भी कराया गया था जहाँ वह आराम किया करते थे मोहम्मद अच्छन बताते है कि आखिरी बार सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव प्रतीक यादव की शादी में जाते वक्त ढाबा पर आये थे मुलायम सिंह यादव जमीन से जुड़े नेता थे इसी के चलते उन्हें धरती पुत्र का नाम दिया गया उन्होंने अपनी राजनीति में लोगो को जोड़ने का काम किया था जिस कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने समाजवादी पार्टी की नींव रखी प्रचार प्रसार किया और उत्तरप्रदेश में सरकार बनाई और समाजवाद का नाम देश मे कर दिया शायद ही कोई ऐसा कर पाए इसी लिए नेता जी हम सब के चहेते थे सभी की आंखे नम है देश प्रदेश का हर वर्ग फिर वह चाहे किसी भी राजनीतिक दल का हो नेता जी को याद कर रहा है।