इटावा। ‘भारत रत्न’ से सम्मानित बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का चंबल के इटावा से गहरा नाता रहा है और श्री ठाकुर को देश के सर्वोच्च सम्मान की घोषणा के बाद जननायक की जाति के लोगों के साथ साथ कमजोर तबके से जुड़े हुए लोगों में खासी खुशी देखी जा रही है।
दरअसल, श्री कर्पूरी ठाकुर का आजादी पूर्व चंबल घाटी में लालसेना के जन्मदाता रहे कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया और उनके परिवार से खासा लगाव रहा है।
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कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के बेटे सुरेंद्र भदौरिया ने कहा “ यह सम्मान देकर केंद्र सरकार ने श्री ठाकुर के योगदान को नयी पहचान दी है। उन्होने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में गरीबों,मजदूर,दलित और कमजोर तबकों की मदद के लिए दिल खोल कर काम किया। वर्ष 1967 में कर्पूरी ठाकुर पहली दफा बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में इटावा आए थे जिसमें बाद उनका आगमन 1971 में हुआ। 1983 में जब उनकी अगुवाई में औरैया से इटावा तक की एक पदयात्रा निकाली गई तब भी कर्पूरी ठाकुर इटावा के दौरे पर आए।
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पदयात्रा की सभापति पर इटावा की नगर पालिका परिषद में एक जनसभा का आयोजन किया गया था जिसको संबोधित करने के लिए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री आए थे। उन्होने बताया कि श्री ठाकुर के नजदीकी रिश्ते उनके पिता कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया और मां सरला भदौरिया से रहे हैं। दूसरा इटावा समाजवादियों का बड़ा गढ़ रहा है इसलिए कर्पूरी ठाकुर, राज नारायण ,मधु लिमेय अमूमन इटावा और इटावा के ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करने के लिए आते रहे।