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कुपोषण मुक्ति को गांव-गांव लगी पोषण पाठशाला

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कुपोषण मुक्ति को गांव-गांव लगी पोषण पाठशाला

कुपोषण मुक्ति को गांव-गांव लगी पोषण पाठशाला

  • छह माह की आयु तक कराएं केवल स्तनपान: डीपीओ
  • वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पोषण पाठशाला में मिली पोषण पर शिक्षा

औरैया। कुपोषण मुक्ति के लिए शासन की ओर से कई योजनाएं संचालित चल रही हैं। बाल तथा महिला विकास विभाग द्वारा बच्चों के साथ-साथ गर्भवती तथा धात्री महिलाओं को भी पोषण योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इसी क्रम में किसान पाठशाला की तर्ज पर गुरुवार को पूरे जिले के एनआईसी सहित सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। आयोजन का उद्देश्य कुपोषण दूर करने के लिए पोषण के प्रति जागरूक किया जाना तथा स्तनपान को लेकर ग्रामीणों को लाभ के प्रति वाकिफ करना था। आयोजन के दौरान विशेषज्ञों में डॉ रेनू श्रीवास्तव, डॉ मोहम्मद सलमान खान और डॉ मनीष कुमार सिंह ने विस्तार पूर्वक स्तनपान के संदर्भ में खास जानकारियां दीं। जनपद से एनआईसी औरैया पर कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी शरद अवस्थी और सीडीपीओ आदि उपस्थित रहे।

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जिला कार्यक्रम अधिकारी शरद अवस्थी ने बताया की पोषण पाठशाला के अंतर्गत सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता केंद्रों पर मौजूद रहते हुए स्मार्टफोन के जरिए प्रसारण दिखाया गया। उन्होंने बताया कि प्रचलित मिथकों के कारण केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। मां एवं परिवार को लगता है कि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नहीं है और वह शिशु को अन्य चीजें जैसे कि घुट्टी, शर्बत, शहद और पानी आदि पिला देती है जबकि स्तनपान से ही शिशु की पानी की भी आवश्यकता पूरी हो जाती है। पोषण पाठशाला में बाल विकास विभाग की ओर से लोगों को विभाग की सेवाओं, पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचाव के उपाय, पोषण शिक्षा आदि के बारे में जागरूक किया गया है ,साथ ही छह माह तक केवल स्तनपान का संदेश दिया गया । उन्होंने छह माह तक केवल स्तनपान कराने पर जोर दिया।

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उन्होंने कहा कि कुछ माताएं गर्मियों के दिनों में शिशुओं को पानी पिलाती है ऐसा भी नहीं करना चाहिए क्योंकि मां के दूध में पर्याप्त पानी की मात्रा होती है जिससे बच्चे के शरीर में पानी की कमी नहीं होती। डीपीओ ने कहा कि सभी आंगनबाड़ियों गृह भ्रमण करते समय धात्री महिलाओं के साथ तो समन्वय स्थापित करें ही साथ में घर में रहने वाली अन्य महिलाओं को भी स्तनपान के संदर्भ सफल संवाद स्थापित कर जानकारी दें। यूनीसेफ के मंडलीय पोषण सलाहकार आशीष ने बताया कि वीडियो कांफेसिंग के जरिए पोषण पाठशाला कार्यक्रम का मुख्य थीम शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान है। विषय विशेषज्ञों की ओर से शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान की आवश्यकता, महत्व, उपयोगिता आदि के संबंध में विस्तार से चर्चा की गयी । वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लाभार्थियों व अन्य द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी दिया गया ।

क्या कहता है सर्वे
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार उत्तर प्रदेश में शीघ्र स्तनपान की दर 23.9 प्रतिशत है। छह माह तक के शिशुओं में केवल स्तनपान की दर 59.7 प्रतिशत है। जनपद में छह माह तक के शिशुओं में केवल स्तनपान की दर 69.4 है।

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