- देवी के नवरुपों की हो रही पूजा
- फर्रुखाबाद में 400 पुराने मंदिर में भक्तों का तांता
फर्रुखाबाद | फर्रुखाबाद शहर के मोहल्ला बढ़पुर में स्थित शीतला माता मंदिर का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना है | जो भी भक्तगण अपनी मन्नत पूरी होने पर जमीन पर लेटकर माँ के दर्शन करने आता है उसकी मनोकामना पूरी होती है । बढ़पुर शीतला माता मंदिर में रोजाना सुबह शाम को आरती के बाद प्रसाद का वितरण होता है।मंदिर में आने बाले भक्तो के लिए मंदिर परिसर में पानी की व्यवस्था की गई है।समिति के अध्यक्ष की पत्नी ने भजन सन्ध्या की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले रखी है।
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पूरे नवरात्र में शाम को संगीत के साथ भजन सन्ध्या का आयोजन किया जाता है।जिसमे सैकडो भक्तगण भजन सुनकर अपने आप को खुश नसीब मानते है। मानता है की एक बार जिस समय माता की प्रतिमा तालाब में थी उस समय पूरे शहर में चेचक फैली हुई थी।हर तरफ चेचक के मरीज दिखाई दे रहे थे | माता शीतला देवी के आदेश पर तालाब में पड़ी मूर्ति स्थापित करने के लिए बाहर लाई गई तो उसके दो दिन बाद चेचक का प्रकोप कम होने लगा । लोग तभी से जब भी किसी के चेचक निकलती है।तो वह मंदिर आकर माथा टेकता है।उसकी चेचक पीड़ा दूर हो जाती है | इस मंदिर में लोग बहुत सी मन्नते मागते है और पूरी भी होती है।माता के मन्दिर में भी महगाई की मार दिखाई दे रही है |
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शीतला माता मंदिर दूर दूर से लोग यहाँ पर मुंडन संशकार अन्न प्रशन का कार्य क्रम करते है।नवरात्र में सुवह शाम बहुत अधिक भीड़ होती है।इस मंदिर जिस प्रकार आस्था का शैलाव दिखाई देता है।उससे यही प्रतीत होता है।की इस मंदिर साक्षात माँ लोगो को दर्शन दे रही हो। इस मंदिर 100 वर्ष से पहले बनाये गए घण्टे लगे हुए है।जिनको लोग पंचायती घण्टा बोलते है।भक्तो की माने इस मंदिर के पीछे भवानी नाम का बहुत बड़ा तालाब था। बढ़पुर के पंडित सदानन्द तिवारी रोजाना गंगा स्नान करने जाते थे।उन्हें एक रात में शीतल माता का सपना आया की मैं तालाब के अंदर हूँ।मेरी मूर्ति तालाब से निकल कर मंदिर बनबाओ।
बाइट पुजारी