गोष्ठी में सीओ ने संभ्रांत नागरिकों को सिखाया नये कानून का पाठ
अयाना। केंद्र सरकार ने ब्रिटिश काल से चले आ रहे तीन आपराधिक कानूनों के स्थान पर सोमवार को नए कानून लागू हुए। इसको लेकर सीओ अजीतमल राममोहन शर्मा, अपराध निरीक्षक गंगा सिंह ने क्षेत्र के संभ्रांत नागरिकों को थाना परिसर में बुलाकर फूलमाला पहनाकर सम्मानित किया। इसके बाद उन्हें नए कानून के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सीओ ने बताया कि नए कानून जहां एक ओर पीड़ितों को सुलभ व शीघ्र न्याय का मार्ग प्रशस्त करेंगे वहीं अपराधियों को उनके अपराध के अनुरूप कठोर दंड सुनिश्चित करेंगे। तीनों नए कानून आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने का काम करेंगे। नए कानून में जहां एक ओर कुछ अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा के प्रावधान को शामिल किया गया।
यह भी देखें : स्कूल चलों अभियान के तहत पुलिस अधीक्षक ने बिरिया में लिया भाग
वहीं कुछ अपराधों के लिए कम्युनिटी सर्विस की सजा का प्रावधान किया गया है। नए कानून में मुकदमे के शीघ्र निपटारे के लिए समय सीमा निर्धारित होगी वहीं कानून में फोरेंसिक साइंस के इस्तेमाल का भी प्रावधान होगा। नए कानूनों में जहां कुछ धाराओं को हटाया गया है। कई धाराओं में बदलाव किया गया है और नई धाराओं को जोड़ा गया है। भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं। जबकि भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं है। इसी तरह दंड प्रक्रिया संहिता में और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर लागू होने वाले नए कानूनों भारतीय नागरिक न्याय संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम में नई परिभाषाओं के साथ धाराओं को बढ़ाया गया है। भारतीय न्याय संहिता में पहली बार कम्युनिटी सर्विस को दंड में शामिल किया गया है इसका मकसद छोटे अपराधों को करने वाले अपराधियों को समाज सेवा करने का दंड देना है। जिससे उन्हें अपने अपराध का अहसास हो और जेल में कैदियों की संख्या पर भी नियंत्रण रहे। आपराधिक मामलों में अब आईपीसी की जगह पर बीएनएस का प्रयोग किया जाएगा। बैठक में थाना क्षेत्र के संभ्रांत नागरिक, ग्राम प्रधान, धर्म गुरु आदि मौजूद रहे।
————-
यह भी देखें : पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए असुरक्षित: नड्डा
क्या है कम्युनिटी सर्विस
भारतीय न्याय संहिता में कम्युनिटी सर्विस की सजा का प्रावधान जोड़ा गया है। इस प्रकार की सजा सामान्य अपराधों में दोषी पाए जाने पर दी जाएगी जैसे आत्महत्या की कोशिश करना, छोटी मोटी चोरी, शराब पीकर हुड़दंग करना व मानहानि जैसे अपराधों में लोगों की सेवा करने की सजा मिल सकती है। भारतीय न्याय संहिता में कम्युनिटी सर्विस को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार कोर्ट किसी दोषी को कम्युनिटी सर्विस की सजा भुगतने का आदेश दे सकती है जिससे लोगों को फायदा हो। इस सजा में दोषी को कोई मेहनताना नहीं मिलेगा। समाज सेवा करने की सजा के तहत दोषी को किसी एनजीओ के लिए अथवा सामुदायिक संस्था के साथ काम करना होगा।