- चीन से तनाव के बीच राफेल की आपूर्ति अहम
- अम्बाला एयरबेस पर वायुसेना में शामिल किये जायेंगे राफेल
नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में चीन से भारत की तनातनी के बीच दुनिया का सबसे ताकतवार लड़ाकू विमान राफेल 29 जुलाई को भारत पहुंच जाएगा। 5 राफेल लड़ाकू विमानों ने फ्रांस के एयरबेस से भारत के लिए उड़ान भर दी है। भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट 7364 किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे । चीन से तनाव के मद्देनजर भारत में राफेल विमानों की आपूर्ति बहुत मायने रखती है ।
इन विमानों को अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन पर 29 जुलाई को वायुसेना में शामिल किया जाएगा। फ्रांस से रवाना हुए इन विमानों को संयुक्त अरब अमीरात में एक एयरबेस पर उतारा जाएगा जहाँ से फ्रांस के टैंकर विमान से ईंधन भरा जाएगा। इसके बाद फिर विमान अंबाला एयरबेस के लिए आगे का सफर तय करेंगे।
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भारत आ रहे राफेल विमानों की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें फ्रांस निर्मित हैमर मिसाइल लगाने की तैयारी हो रही है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में सशस्त्र सेनाओं को सैनिक साजोसामान की खरीद के लिए मिले आपात अधिकारों के तहत इन मिसाइलों की खरीद की जा रही है। ये मिसाइल 60 से 70 किमी की दूरी पर भी मजबूत से मजबूत लक्ष्य को ध्वस्त करने में सक्षम है।
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हाइली एजाइल माड्युलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज (हैमर) हवा से जमीन पर मार करने वाली मीडियम रेंज की मिसाइल है। यह मिसाइल शुरुआत में फ्रांस की वायुसेना और नौसेना के लिए बनाई गई थी। इस मिसाइल से भारतीय वायुसेना दुश्मनों के बंकर को सटीक निशाना बना सकती है। राफेल विमानों उसमें लगने वाली स्कैल्प और मीटियोर मिसाइल पहले ही भारत पहुंच गई हैं।
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भारत को ये विमान पहले मई मिलने वाले थे, लेकिन कोरोना के कारण इनके मिलने में दो महीने की देरी हो गई। राफेल के ट्रेनर विमानों के टेल नंबर वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया के सम्मान में आरबी सीरीज के होंगे। भदौरिया ने ही 36 लड़ाकू राफेल विमानों की यह डील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने 2016 में फ्रांस से इन विमानों का सौदा 60 हजार करोड़ रुपए में किया था। यह अब तक सबसे बड़ा रक्षा सौदा है। मौजूदा वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया तब उपसेना प्रमुख थे और उन्होंने इस सौदे में भारतीय दल का नेतृत्व किया था।