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रामभक्तों ने अपने आराध्य के लिये बनाया 2100 किलो का घण्टा

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रामभक्तों ने अपने आराध्य के लिये बनाया 2100 किलो का घण्टा
रामभक्तों ने अपने आराध्य के लिये बनाया 2100 किलो का घण्टा
  • निर्मोही अखाड़ा के निर्देश पर एटा के रामभक्तों ने अष्टधातु का विशाल घण्टा बनाया
  • राममंदिर को दान में देने का फैसला

एटा : अयोध्या में भगवान श्रीराममंदिर का भूमि पूजन सम्पन्न होने के बाद अब भगवान राम के भक्त अपने आराध्य के लिये अनूठा घंटा बनाने में जुट गए है । उत्तर प्रदेश के एटा जिले के जलेसर कस्बे में कारीगरों की एक टीम अयोध्या में नए राम मंदिर के लिए 2,100 किलोग्राम वजन का घंटा बना रही है। घंटे को अयोध्या भेजने से पहले अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस अनूठे घंटे का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के कुछ महीनों बाद ही शुरू हो गया था । 50 वर्षीय दाऊ दयाल और 56 वर्षीय ही इकबाल मिस्त्री इस अष्टधातु’ के घंटे की डिजाइनिंग, ग्राइंडिंग और पॉलिशिंग समेत सभी कार्यों के प्रभारी हैं। उन्होंने बताया कि जीवन में पहले बार उन्होंने इतने बड़े आकार का घंटा बनाया है।

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दाऊ दयाल ने कहा, इस घंटे की खास बात यह है कि यह एक ही टुकड़ा है, इसमें कहीं भी टुकड़े जोड़कर वेल्डिंग नहीं की गई है। इसके कारण इसे बनाना कठिन था। कई लम्बे चरण के साथ इस घंटे की ढलाई की गई। मोल्ड में धातु डालने के लिए क्रेन का इस्तेमाल किया गया था।
अष्टधातु’ के इस घंटे में – सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, लोहा और पारा का मिक्चर है।
देश के सबसे बड़ी घंटों’ में शुमार इस घंटे को बनाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों की 25 कारीगरों की टीम ने एक महीने तक हर दिन 8 घंटे काम किया है।

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जलेसर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष और इस वर्कशॉप के मालिक विकास मित्तल ने कहा,यह घंटा राम मंदिर को दान किया जाएगा। वहीं विकास के भाई आदित्य मित्तल कहते हैं, हमारा मानना है कि कुछ दैवीय कारणों के चलते यह काम हमारे पास आया। इसीलिए हमने इस घंटे को मंदिर को दान करने का फैसला किया है।

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घंटे की लागत 21 लाख रुपये आई है और इसे बनाने की प्रारंभिक योजना से लेकर बनकर तैयार होने तक में 4 महीने का समय लगा।
बता दें कि मित्तल को यह घंटा तैयार करने का निर्देश निर्मोही अखाड़े से मिला था ।

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