नई दिल्ली। देश में ही डिजाइन और विकसित किए जा रहे नौसेना के विमान वाहक पोत विक्रांत के आज से समुद्री परीक्षण शुरू किए गए । इसे स्वदेशी विमान वाहक पोत के निर्माण की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
विक्रांत का डिजाइन नौसेना के डिजाइन निदेशालय ने तैयार किया है और इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में बनाया जा रहा है। इस विमान वाहक पोत में 76 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए देश के प्रयास के एक प्रमुख उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है । स्पोर्ट के अगले वर्ष नौसेना के बेड़े में शामिल होने की संभावना है।
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स्वदेशी विमानवाहक पोत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है, जिसमें सुपरस्ट्रक्चर भी शामिल है। सुपरस्ट्रक्चर में पांच डेक होने समेत पोत में कुल 14 डेक हैं। जहाज में 2,300 से अधिक कम्पार्टमेंट्स हैं, जिन्हें लगभग 1700 लोगों के क्रू के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें महिला अधिकारियों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन भी शामिल हैं। जहाज को मशीनरी संचालन, जहाज नेविगेशन और कठिन हालात में स्वयं को बनाए रखने के दृष्टिकोण से बहुत उच्च स्तर के ऑटोमेशन के साथ डिजाइन किया गया है, ‘विक्रांत’ की लगभग 28 समुद्री मील की शीर्ष गति और लगभग 7,500 समुद्री मील की एंड्योरेंस के साथ 18 समुद्री मील की परिभ्रमण गति है। जहाज फिक्स्ड विंग और रोटरी एयरक्राफ्ट के वर्गीकरण को समायोजित कर सकता है।
विमान वाहक पोत के निर्माण की अधिकांश गतिविधियां पूरी हो चुकी हैं और यह परीक्षण के चरण में प्रवेश कर चुका है। जहाज के प्रणोदन और बिजली उत्पादन उपकरण , प्रणालियों की तैयारी का परीक्षण गत 20 नवंबर को बेसिन परीक्षणों के अंतर्गत बंदरगाह में किया गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गत 25 जून को मौके पर जाकर जहाज के निर्माण की प्रगति की समीक्षा की थी। कोरोना की दूसरी लहर के कारण विमान वाहक पोत के समुद्री परीक्षण देर से शुरू हो पाए हैं। यह एक प्रमुख मील का पत्थर और ऐतिहासिक घटना है। परीक्षण के दौरान पोत के हल समेत मुख्य प्रणोदन, पीजीडी और सहायक उपकरणों के प्रदर्शन को बारीकी से देखा जाएगा।
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स्वदेशी विमानवाहक पोत की डिलीवरी के साथ भारत स्वदेशी रूप से डिजाइन और विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा, जो सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम का एक वास्तविक प्रमाण होगा।
स्वदेशी विमान वाहक पोत का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ की दिशा में देश के प्रयास का एक जीवंत उदाहरण है। इससे बड़ी संख्या में सहायक उद्योगों के विकास के अलावा, 2000 सीएसएल कर्मियों और सहायक उद्योगों में लगभग12000 कर्मचारियों के लिए रोजगार के अवसरों के साथ स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमताओं में वृद्धि हुई है। उपकरणों की खरीद के मामले में 76 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री, सीएसएल और उनके उप-ठेकेदारों द्वारा काम का फायदा सीधे भारतीय अर्थव्यवस्था को होने जा रहा है। लगभग 100 एमएसएमई सहित लगभग 550 भारतीय फर्म सीएसएल के साथ पंजीकृत हैं, जो आईएसी के निर्माण के लिए विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
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