सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम का उदघाटन करेंगे मोदी,

उत्तर प्रदेश

सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम का उदघाटन करेंगे मोदी,काशी के सात लाख घरों तक पहुंचेंगे सात लाख लड्डू

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December 12, 2021

सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम का उदघाटन करेंगे मोदी,

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 दिसंबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो दिवसीय दौरे की शुरूआत श्री काशी विश्वनाथ धाम के उद्घाटन से करेंगे।श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर के लोकार्पण के मौके पर काशी के सात घरों तक सात लाख लड्डू पहुंचाने की तैयारियां तेजी से की जा रही हैं। इन लड्डुओं को 600 मजदूर बनाने में जुटे हैं। इन लड्डुओं को बनाने के लिए 14 हजार किलो बेसन, सात हजार किलो चीनी और सात हजार किलो घी का इंतजाम किया गया है।

श्री मोदी 13 दिसंबर को दोपहर करीब एक बजे श्री काशी विश्वनाथ मंदिर जाएंगे और पूजा-अर्चना करेंगे जिसके बाद करीब 339 करोड़ रुपये की लागत से बने श्री काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे। यह परियोजना श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी के तट तक सुगम मार्ग के निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री की परिकल्पना को साकार करेगी। पांच लाख वर्ग फुट में फैली परियोजना में 23 नए भवनों के निर्माण से तीर्थयात्रियों और भक्तों को अनेक सुविधाएं प्राप्त होंगी। पहले का परिसर सिर्फ 3000 वर्ग फुट तक सीमित था।

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वाराणसी की अपनी यात्रा के दौरान श्री मोदी काल भैरव मंदिर भी दर्शन करने के लिए जाएंगे जबकि शाम छह बजे रो-रो जहाज पर सवार होकर मां गंगा की भव्‍य आरती देखेंगे। प्रधानमंत्री 14 दिसंबर को दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे वाराणसी स्थित स्‍वर्वेद महामंदिर में सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान के 98वें वार्षिकोत्सव में शामिल होंगे।

दो दिवसीय यात्रा के दौरान श्री मोदी असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन में भी भाग लेंगे। इस सम्मेलन में बिहार और नगालैंड के उपमुख्यमंत्री भी भाग लेंगे। यह सम्मेलन गवर्नेंस से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा।

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आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि काशी विश्वनाथ धाम परियोजना काे मूर्त रूप देने के लिये 300 से अधिक संपत्तियों का सौहार्दपूर्ण अधिग्रहण किया गया। इस दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोज कर उनका जीर्णोद्धार किया गया। परियोजना के पूरी होने से बाबा विश्वनाथ के तीर्थयात्रियों और भक्तों को पवित्र नदी में डुबकी लगाने की सदियों पुरानी परंपरा का पालन करने में सहूलियत होगी। काशी की भीड़भाड़ वाली सड़कों से आने-जाने और गंगाजल लेकर मंदिर में अर्पित करने में पहले काफी असुविधा का सामना करना पडता था।

श्री मोदी ने इसे ध्यान में रखते हुये श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी के तट से जोड़ने के लिए एक सुगम मार्ग के सृजन की एक परियोजना की परिकल्पना की और आठ मार्च, 2019 को इस काशी विश्वनाथ धाम परियोजना की आधारशिला रखी । प्रधानमंत्री ने परियोजना के सभी चरणों के क्रियान्वयन में उत्साही और सक्रिय रुचि दिखाई। प्रधानमंत्री के द्वारा नियमित तौर पर निर्देश दिए जाते थे तथा समीक्षा और निगरानी की जाती थी। इस परियोजना को बेहतर बनाने और दिव्यांगजनों समेत सभी तीर्थयात्रियों के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाने के क्रम में उन्होंने लगातार इनपुट दिए और इस सम्बन्ध में अपना दृष्टिकोण साझा किया। परियोजना को रैंप, एस्केलेटर और अन्य आधुनिक सुविधाओं के साथ डिज़ाइन किया गया, ताकि दिव्यांगजनों और वृद्ध लोगों को पहुंचने में आसानी हो।

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परियोजना के पहले चरण में कुल 23 भवनों का उद्घाटन किया जाएगा। ये भवन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिनमें यात्री सुविधा केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम, दर्शक दीर्घा, फूड कोर्ट आदि शामिल हैं।

इस परियोजना के अंतर्गत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास 300 से अधिक संपत्तियों की खरीद और अधिग्रहण किए गए। इस प्रयास में करीब 1400 दुकानदारों, किराएदारों और मकान मालिकों का पुनर्वास सौहार्दपूर्ण ढंग से पूरा किया गया। इसकी सफलता का प्रमाण यह है कि परियोजना के विकास से संबंधित अधिग्रहण या पुनर्वास को लेकर देश के किसी भी न्यायालय में कोई भी मुकदमा लंबित नहीं है।

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प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के तहत यह भी सुनिश्चित किया जाना था कि परियोजना के विकास के दौरान सभी विरासत संरचनाओं को संरक्षित किया जाए। यह दूरदर्शिता तब काम आई, जब पुरानी संपत्तियों को नष्ट करने की प्रक्रिया के दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोज निकाला गया। इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि मूल संरचना में कोई बदलाव न हो।