झांसी। उत्तर प्रदेश में झांसी के मऊरानीपुर तहसील में रानीकस्बा, एक समय में जिसके नाम की तूती कपड़े की दुनिया में देश और विदेश में बोला करती थी, आज जबरदस्त बदहाली का शिकार है । इसी बीच जिला प्रशासन के प्रयासों से एक जिला,एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में झांसी का कपडे को शामिल किये जाने से इस मरणासन्न उद्योग को जैसे संजीवनी मिल गयी है। झांसी जिले की मऊरानीपुर तहसील का रानीपुर कस्बा वह इलाका है जहां घर घर में हैंडलूम और पावरलूम का काम किया जाता है। यहां आकर लूम मशीनों की आवाजें हर घर से आती सुनायीं देतीे हैं। बहुत सारे परिवारों की तीन से चार पीढियां आज भी इस काम में लगीं हैं और बहुत से लोग इस काम में 1990 के बाद आयी जबरदस्त गिरावट के कारण काम बंद कर या तो दूसरे काम धंधों में लग गये या फिर इस क्षेत्र से ही काम की तलाश में पलायन कर गये। इसके बावजूद आज भी लगभग 4000 से अधिक परिवार कपड़ा बनाने के काम मे लगे हैं।
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इस संबंध में जानकारी देते हुए उद्योग उपायुक्त मनीष चौधरी ने सोमवार को बताया कि झांसी जिले से ओडीओपी योजना में कपड़ा को भी शामिल किये जाने को लेकर अभी सरकार की ओर से नोटीफिकेशन होना बाकी है। इसके लिए सूक्ष्म , लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री राकेश सचान का अनुमोदन मिलते ही शासन की ओर से नोटीफिकेशन जारी किया जायेगा। इसके बाद इसे पोर्टल पर एड किया जायेगा और इसके बाद ओडीओपी योजना का लाभ इस क्षेत्र के कपड़ा उद्योग को मिलने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। उन्होंने बताया कि ओडीओपी योजना में आने से मऊ और रानीपुर तथा इसके आस पास के इलाके में फैले कपड़ा उद्योग को काफी फायदा होगा। फिलहाल रेंडरिंग प्लांट न होने से यहां टेरीकॉट का काम तो पूरी तरह से बंद हो चुका है। इस क्षेत्र के वर्तमान बुनकर चादर, तौलिया, गमछा और गलीचा आदि तैयार करते हैं। यह जिस सादे तरीके से यह साजोसामान तैयार करते हैं वह इस क्षेत्र के माल की पहचान भी बन गया है। बाजार क्षेत्र में रानीपुर कपडा अपने निश्चित डिजाइन और क्वालिटी के लिए अलग पहचान रखता है।
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ओडीओपी के तहत इस क्षेत्र में रेंडरिंग प्लांट लगाकर टेरीकॉट कपड़े का काम फिर से शुरू करने का भी प्रयास किया जायेगा। इससे पहले इस क्षेत्र का सर्वे कराया जायेगा और उद्योग से जुड़ी समस्याओं और संभावनाओं को रेखांकित किया जायेगा । बुनकरों की परेशानियों और उनकी संभावनाओं के आधार पर कपड़ा उद्योग को फिर से स्थापित करने का हर संभव प्रयास किया जायेगा। उद्योग उपायुक्त ने पूरी उम्मीद जतायी कि जिले में होने वाले इस पुराने काम को दोबारा जीवनदान दिया जायेगा। अभी तक के सकारात्मक प्रयास से रानीपुर कपड़ा उद्योग ओडीओपी में शामिल कर लिया गया है और अब इसे योजना के अंतर्गत सभी लाभ बुनकरों और इस क्षेत्र को दिलाने का काम किया जायेगा ताकि यह अपने पुराने गौरव को पा सके।
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ओडीओपी योजना के चार भाग है पहले भाग “ ट्रेनिंग और टूलकिट” के तहत वर्तमान बुनकरों के अलावा और नये लोगों को प्रशिक्षण और टूलकिट मुहैया कराकर इस काम को विस्तार दिया जायेगा। इसके तहत युवाओं , महिलाओं और पुरूषों को इस काम को करने के लिए तैयार किया जायेगा। साथ ही इनके काम में मदद के लिए नि:शुल्क टूलकिट भी प्रदान की जायेगी। टूलकिट में 20 हजार रूपये तक कोई सामान राज्यस्तरीय समिति की अनुशंसा पर सरकार द्वार बुनकरों को मुहैया कराया जायेगी। इसमें ज़काट दिया जायेगा या लूम यह सरकार तय करेगी। जकाट एक डिजाइन डालने की मशीन होती है जिसकी मदद से हैंडलूम में तैयार होने वाले कपड़े पर डिजाइन तैयार किये जा सकते हैं जिससे सूती कपड़े पर थ्री डाइमेंशनल चित्र बनाये जा सकते हैं।
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इसी योजना का दूसरा हिस्सा ओडीओपी मार्जिन मनी ऋण योजना है। इसके तहत ट्रेडिंग, सर्विस या इंडस्ट्री सभी शामिल हैं। इसमें 25 प्रतिशत की सब्सिड़ी दी जाती है और सीलिंग सीमा बीस लाख है। प्रोजेक्ट कितना भी बड़ा हो सकता है। तीसरी योजना ओडीओपी कॉमन फेसिलिटी सेंटर ( सी एफ सी ) की है जिसके तहत क्षेत्र की समस्या ,अवसर ,ताकत और खतरों के बारे में पूरी रिपोर्टतैयार की जाती है। सभी जिलों में सीएफसी तैयार किये जा रहे हैं1 सीएफसी में 90 प्रतिशत खर्च सरकार और दस प्रतिशत बुनकरों को होगा। चौथी योजना विपणन विकास सहायता योजना की है। इसके तहत बुनकर यदि कहीं मेले में माल बेचने जायेेंगे तो ट्रेन का भत्ता, माल ले जाने और वहां स्टॉल का किराया दिया जाता है। श्री चौधरी ने बताया कि ऑनलाइन पोर्टल पर झांसी से कपड़ा जोड़े जाने के बाद ही इस योजना का लाभ रानीपुर कपड़ा उद्योग को मिल पायेगा क्योंकि सभी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक ऑनलाइन ही पहुंचाया जाता है।