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इटावा सफारी मे तेंदुए को पकड़ने को शेर के मल मूत्र का इस्तेमाल

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इटावा सफारी मे तेंदुए को पकड़ने को शेर के मल मूत्र का इस्तेमाल
इटावा सफारी मे तेंदुए को पकड़ने को शेर के मल मूत्र का इस्तेमाल

इटावा । एशिया की सबसे बड़ी सफारी मे शुमार इटावा सफारी पार्क मे करीब एक महीने से दहशत का पर्याय बने तेंदुए के परिवार को पकड़ने के लिए शेर के मलमूत्र को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है । सफारी पार्क के क्षेत्रीय वन अधिकारी विनीत सक्सेना से रविवार को यूनीवार्ता को बताया कि तेंदुए को पकड़ने के लिए काबिंग के अलावा एक नया प्रयोग एशियाटिक लायन के मल और मूत्र की मदद ली जा रही है। एंटीलोप सफारी के अंदर जितनी भी वाटरबाडी या वाटर शेड है, सभी का पानी बंद कर दिया गया है ।

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इन तालाबो के आसपास शेरो के मल मूत्र को कैमीकल हथियार के रूप मे प्रयोग करके कई जगह डाला गया है क्योंकि तेंदुए कभी भी शेर की आहट वाली जगह पर नहीं रूकता है, इसीलिए इस फार्मूले को भी अपनाया जा रहा है। शेरो के मल मूत्र को जमा करके हर 15-15 मीटर की दूसरी पर स्प्रे के तौर पर पेड़ों पर डाला जा रहा है । एक दफा स्प्रे का असर तीन दिन तक लगातार रहता है । अगर इस दरम्यान इस इलाके मे किसी भी कारण से तेंदुआ आता है तो शेर की गंध का एहसास होने पर तुरंत ही वो जगह छोड़ देगा ।

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जंगली तेंदुए परिवार ने लगभग 12 काले हिरन का शिकार पिछले एक महीने में किया है। पहले तो सफारी प्रबंधन ने तेंदुए की आमद को स्वीकार नही किया लेकिन जब काले हिरनो की एक के बाद एक करके मौत शुरू हो गयी तो फिर सफारी प्रबंधन ने तेंदुए को पकडने के लिए बडा अभियान शुरू किया। इसके तहत करीब 100 कर्मी रात के अंधेरे के साथ साथ दिन मे भी सर्चिंग अभियान में ढोल नगाडे के साथ जुटे हुए है ।

करीब 350 हेक्टेयर मे फैली इस सफारी मे तेदुए की आमद का अहसास पिछले महीने 29 मार्च को हुआ था जब काले हिरनो की मौत शुरू हो गयी। इस पर तेंदुये का किसी को भी पता भी नही चलता अगर मरे हुए काले हिरनो के अवशेषो से अगर बदबू प्रवाहित ना होती। हमले से अब तक एक दर्जन काले हिरणों की मौत हो चुकी है लेकिन सफारी प्रबंधन इन मौतो को स्वीकार ना कर केवल दो की ही मौत तेदुंए के हमले मे मानता है अन्य की मौत का कारण बीमारी बताया जा रहा है।

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सीसीटीवी फुटेज में मादा तेंदुए की तस्वीर को देखा गया जिसकीउम्र करीब साल के आसपास आंकी जा रही है। सफारी अधिकारी कर्मचारी दिन रात डियर, बीयर, एंटीलोप, ब्लैक बक सफारी में अपना डेरा जमाए हुए है, तेंदुए को पकड़ने के लिए. लेकिन तेंदुआ अभी तक किसी के हाथ नही लग सका। हर उस जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए है, जहां तेंदुआ हो सकता है। तीन बड़े पिंजरो का इंतेजाम किया गया, सफारी के जंगल में जेसीबी से 30 नए रास्तों का निर्माण शुरू हो गया, जिससे सफारी की हांका टीम आसानी से काम्बिंग कर सके ।

इटावा सफारी मे तेंदुए को पकड़ने को शेर के मल मूत्र का इस्तेमाल
इटावा सफारी मे तेंदुए को पकड़ने को शेर के मल मूत्र का इस्तेमाल

जिन इलाकों में ऊंचाई कम है, वहां लोहे की छह फुट की फेंसिंग लगवाई जा रही है । ड्रोन कैमरे से ट्रैक और गूगल मैपिंग का सहारा भी लिया जा रहा है। इटावा सफारी उप निदेशक अरुण कुमार सिंह व क्षेत्रीय वन रक्षक विनीत कुमार सक्सेना, लगातार अपनी टीम के साथ, रातों में जागकर कांबिग करने मे जुटे हुए है। इटावा मे चंबल बीहड़ी इलाके में करीब 50 के आसपास तेंदुए पाए जाते हैं । जिसके चलते सफारी के आसपास के जंगलों से तेंदुआ, बीयर सफारी में घुसकर शिकार करता है । बीयर सफारी में करीब, 100 हिरण दिन- रात खुले में घूमते- फिरते हैं ।

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तेंदुए इन हिरणों को आसानी से अपना शिकार बना लेतें हैं । सफारी उपनिदेशक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि 23 मार्च को एंटी लॉप सफारी के बफर जोन के बाहर, तेंदुए के पैरों के निशान मिले थे जिस पर क्षेत्रीय वन अधिकारी को निगरानी रखने का निर्देश दिया गया था । रात और दिन के समय में, हर जगह तीन तीन टीमें लगी हुई है । साथ ही 10 वाहन अलग- अलग जगहों पर खड़े होकर निगरानी कर रहे हैं । अभी तक कोई और ठोस प्रमाण नही मिला है । सफारी प्रशासन सचेत बना हुआ है ।

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सफारी पार्क के डा.सर्वेश राय ने सबसे नजदीक से तेंदुए के देखे जाने की पुष्टि की है। उन्होने कहा कि मोबीलाइजैसन गन के माध्यम से सफारी मे घुसे तेंदुए को पकडने की कोशिश की जा रही है । इस गन मे मेडिकल बुलेट भरी रहती है इस बुलेट की मार क्षमता 25 से लेकर 30 मीटर की दूरी तक होती है । एक दो दफा तेंदुए देखा गया है कि लेकिन उसकी दूसरी अधिक होने के कारण तेदुए को पकड पाना संभव नही हो सका है ।

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