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जरूरी प्रोटोकाल अपनाएं, कोरोना ही नहीं मलेरिया से भी अपने को बचाएं

इस वर्ष कि थीम, मलेरिया के शून्य टारगेट तक पहुंचना

कानपुर: अभी पूरा देश कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है| हर तरफ मुश्किल है, लोग लगातार उपचाराधीन हो रहे हैं| इस समय थोड़ी समझदारी दिखा कर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर और आस-पास सफाई रख कर मलेरिया से भी बचा जा सकता है| मलेरिया के प्रति समुदाय में जागरूकता को लेकर ही 25 अप्रैल को हर वर्ष विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है| इस दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2008 से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गई थी| इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाना है| इस वर्ष की थीम – रीचिंग द जीरो मलेरिया टारगेट अर्थात मलेरिया के शून्य टारगेट तक पहुंचना है|

यह बीमारी एनोफेलीज मादा मच्छर के काटने से होती है| अगर सही समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह जानलेवा बन जाती है| इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में साल 2019 में करीब चार लाख मौतें मलेरिया की वजह से हुई थीं और इसी साल पूरी दुनिया में करीब 23 करोड़ मलेरिया के केस आये थे|

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह बताते हैं – इस समय कोरोना संक्रमण फैला हुआ है, इस वायरस से बचने के लिए साफ सफाई ज़रूरी है वैसे ही मलेरिया से बचने के लिए भी अपने आस- पास साफ सफाई रखना बेहद अहम है| घर के आस-पास पानी को ठहरने नहीं दें क्योंकि रुके हुए पानी में मच्छर अंडे देता है और मच्छर आगे पनपते है|

वह बताते हैं कि मच्छर जनित बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया आदि के उन्मूलन हेतु फैमिली हेल्थ इंडिया द्वारा जिला स्वास्थ्य समिति, कानपुर के समन्वय में गोदरेज के सहयोग से संचालित एम्बेड परियोजना चलाई जा रही है | इसके तहत जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय, कानपूर और फैमिली हेल्थ इंडिया द्वारा मच्छर जनित बीमारियों के उन्मूलन हेतु कानपुर नगर के 100 अत्यधिक प्रभावित मलिन बस्तियों का चिन्हीकरण किया गया है | एम्बेड परियोजना के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की गतिविधियों जैसे व्यवहार परिवर्तन और सामुदायिक कार्रवाई के लिए गहन अंतर-व्यक्तिगत संचार, जन जागरूकता के लिए सामुदायिक अभियान, एसएमएस-आधारित जागरूकता अभियान और सामुदायिक रेडियो स्टेशनों का उपयोग करके डिजिटल आउटरीच, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और निजी चिकित्सकों के साथ जुड़ाव, अंतर्विभागीय विभागों, संस्थाओ के बीच समन्वय एव जुड़ाव सुनिश्चित करना है |

मुख्यतः सामुदायिक स्तर पर पारस्परिक संचार के लिए साप्ताहिक सामुदायिक ड्राइव और सामुदायिक जुटाव, जागरूकता के लिए जन जागरूकता संचार वैन का संचालन एवं जागरूकता अभियान, मास मीडिया और डिजिटल सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से मलेरिया और डेंगू से बचाव के संदेशो का प्रचार प्रसार, निरंतर मच्छरों के नियंत्रण के लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करना और आपातकालीन मच्छर नियंत्रण उपाय जैसे कि कीटनाशकों का छिड़काव आदि कार्य किये जा रहे हैं| इसके अलावा टीम के द्वारा स्कूल जाने वाले बच्चो, किशोरी, किशोरों के साथ डेंगू और मलेरिया पर कार्यक्रम आयोजित कर जागरूकता फैलाने एवं साथ ही स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता स्तर पर अर्बन आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की क्षमता का निर्माण सुनिश्चित किया जा रहा है|

साथ ही साथ परियोजना के अंतर्गत समुदाय स्तर पर जागरूकता हेतु पांच BCCF (व्यवहार परिवर्तन संचार सहजकर्ता) नियुक्त किये गए है जिनके द्वारा घर घर जा कर मच्छरों से होने से होने वाली बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया एवं इसके बचाव के बारे में जागरूक किया जा रहा है | स्वास्थय विभाग और एम्बेड टीम के द्वारा घर घर जाकर बुख़ार की जांच व सर्वे, मच्छरों के पनपने वाली जगहों जैसे कूलर, टायर, घमले, पानी के बर्तन आदि की पर साफ सफाई एवं लार्वा नष्टीकरण का कार्य किया जा रहा है | यह परियोजना समुदाय को मलेरिया और डेंगू से बचाने में मदद करेगी, जो की स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ को कम करने का काम करेंगी और आगामी दिनों में मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से बचा जा सके और घरेलू स्तर पर ही इस की रोकथाम की जा सके|

यह हैं मलेरिया के लक्षण

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