पद्मभूषण से सम्मानित डॉ वारियर का 100 वर्ष की आयु में शनिवार को हुआ है निधन
मलाप्पुरम। केरल के जाने माने आर्य वैद्य शाला के प्रबंध न्यासी और पूर्व मुख्य चिकित्सक ‘आर्यवैद्यन’ पी के वारियर का शनिवार को कोट्टक्कल में निधन हो गया।
पद्मभूषण से सम्मानित डॉ वारियर गत 08 जून को 100 वर्ष के हो गए। उन्होंने पिछले छह दशकों में आर्य वैद्य शाला को प्रसिद्धि और गौरव की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
वर्ष 1954 में जब से डॉ. वारियर आर्य वैद्य शाला के प्रमुख बने, उनका नाम कोट्टक्कल आयुर्वेद का पर्याय बन गया।
उनका जन्म 1921 में कोट्टाकल मलाप्पुरम में हुआ। उनके माता-पिता थलप्पन्ना श्रीधरन नंबूदरी और पन्नियमपिल्ली कुंची वारियर थे। वह अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थे। उन्होंने राजा के हाई स्कूल, कोट्टक्कल और कोझिकोड के ज़मोरिन हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी।
डॉ. वारियर ने आर्य वैद्य पाठशाला (वर्तमान वैद्यरत्नम पीएस वेरियर आयुर्वेद कॉलेज) में आयुर्वेद का अध्ययन किया। उन्होंने एक कवि और कथकली लेखिका सुश्री माधविकुट्टी के. वेरियर से विवाह किया था। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से रोगों के उपचार के लिए समग्र दृष्टिकोण का प्रचार करने की कोशिश की है और समकालीन चिकित्सा साहित्य में अथाह योगदान दिया है।
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डॉ वारियर ने पांच खंडों का ग्रंथ ‘भारतीय औषधीय पौधे – 500 प्रजातियों का एक संग्रह’ लिखा। आयुर्वेद में वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रलेखन के प्रति उनके समर्पण उनका प्रतिनिधित्व करता है।
डॉ. वारियर को 1999 में कालिकट यूनिवर्सिटी द्वारा डी़ लिट की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्हें 2008 में स्मृति पर्व के लिए जीवनी और आत्मकथा के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था। आयुर्वेद में उनके योगदान के लिए पूर्व मुख्य चिकित्सक को 1999 में पद्म श्री और 2010 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया।
प्रधानमंत्री ने शनिवार को एक ट्वीट संदेश में कहा, “डॉ पी.के. वारियर के निधन से निराशा हुई है। आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिजनों तथा मित्रों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।”
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डॉक्टर वारियर का मल्लापुरम के कोट्टाकल में आज उनके निवास पर निधन हो गया।राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देश के जाने-माने आयुर्वेदाचार्य पी के वारियर के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
श्री कोविंद ने शनिवार को ट्वीट करके कहा, “पी के वारियर के निधन से आयुर्वेद ने अपना महानतम आधुनिक समर्थक खो दिया है।”
उन्होंने कहा, “पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित श्री वारियर ने अपने 100 साल के सक्रिय जीवन में आयुर्वेद के गुणों को जन-जन तक पहुंचाया। उनके परिजनों, प्रशंसकों और सहयोगियों के प्रति गहरी संवेदना।”
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को जाने-माने आयुर्वेदाचार्य डॉ. पी. के. वारियर के निधन पर शोक व्यक्त किया।
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श्री वारियर का सौ साल की उम्र में आज निधन हो गया।
श्री खान ने डॉ. वारियर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा,“ चिकित्सक के रूप में वह हमेशा आयुर्वेद की वैज्ञानिक खोज के लिए प्रतिबद्ध थे। ”
उन्होंने कहा कि डॉ. वारियर ने आधुनिक आयुर्वेद को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए अपना सर्वस्व योगदान दिया।
उप राज्यपाल ने कहा, “ डॉ पी के वारियर ने सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य और सम्मानपूर्ण जीवन की कल्पना की। उनका निधन चिकित्सा विज्ञान के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार और आर्य वैद्य शाला (एवीएस) जगत के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। उनकी आत्मा को मुक्ति मिले। ”
श्री विजयन ने कहा कि एक कुशल चिकित्सक और देश में आयुर्वेदाचार्यों में से एक डॉ वारियर को आयुर्वेद के अभ्यास में पारंपरिक दृष्टिकोण को आधुनिक समय के अनुरूप बदलने की उनकी पहल को हमेशा याद किया जाएगा, जो पूरे भारत और विदेशों में मरीजों को प्रामाणिक आयुर्वेदिक दवाएं और उपचार प्रदान करते हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. वारियर एक दूरदर्शी आयुर्वेद चिकित्सक थे, जिन्होंने आयुर्वेद को पूरे विश्व में प्रमुख दर्जा दिलाया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने भी आर्य वैद्यशाला के मुख्य चिकित्सक और प्रबंध न्यासी डॉ वारियर के निधन पर शोक व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, “ डॉ. वारियर ने हाल ही में सौ वर्ष की आयु पूरी की थी और उन्होंने विभिन्न औषधि अनुसंधान और हर्बल दवाओं के प्रलेखन में योगदान दिया है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।”
इसके अलावा केरल विधानसभा अध्यक्ष एम बी राजेश, स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज, पूर्व मुख्यमंत्री उम्मन चांडी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सुधाकरन, माकपा के वरिष्ठ कार्यवाहक राज्य सचिव ए विजयराघवन, भाजपा नेता ओ राजगोपाल, स्वामी शांतिगिरी आश्रम के आयोजन सचिव, गुरुरत्नम ज्ञान तपस्वी ने आयुर्वेदाचार्य डॉ वारियर के निधन पर शोक व्यक्त किया।