जानिए किस नेता ने कराई थी फूलन की राजनीति में इंट्री-दो बार बनी सांसद

कानपुर देहात

जानिए किस नेता ने कराई थी फूलन की राजनीति में इंट्री-दो बार बनी सांसद, आज के ही दिन हुई थी हत्या

By

July 25, 2021

जानिए किस नेता ने कराई थी फूलन की राजनीति में इंट्री-दो बार बनी सांसद

पति उम्मेद सिंह पर भी आए थे फूलन की हत्या के छींटे

अस्सी के दशक में कानपुर देहात के बेहमई गांव में 22 ठाकुरों की हत्या करने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी को इटावा के चंबल इलाके के एक राजनेता की बदौलत ही राजनीति के शीर्ष तक जाने का मौका मिला था। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में घर के सामने ही दो बार समाजवादी पार्टी से सांसद रहीं फूलन देवी की हत्या कर दी गई थी। फूलन देवी को दबे कुचले समाज का आदर्श मानने वाले लोग विशेषकर निषाद मल्लाह समाज आज के दिन फूलन के शहादत दिवस पर उनको याद करता है।

यह भी देखें : गुरु पूर्णिमा पर जिले में जगह जगह हुआ हवन व विशाल भंडारे का आयोजन

22 ठाकुरों की एक साथ कर दी थी हत्या

जालौन जिले के पुरवा गांव निवासी एक मल्लाह परिवार में 10 अगस्त 1963 को जन्मी फूलन देवी को ठाकुर जाति के दुश्मन के रूप में याद किया जाता है । प्रतिकार का बदला लेने के लिए डकैत फूलन ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में 22 ठाकुरों को मौत की नींद सुला दिया था। तब से फूलन के प्रति ठाकुरों में नफरत है लेकिन, यह भी सच है कि बेहमई कांड के बाद एक ठाकुर ने ही फूलन देवी की कदम दर कदम मदद की थी और उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाया था ।

यह भी देखें : गल्ला देने को कहा तो राशन विक्रेता ने खोया आपा प्रधान के साथ कर दी मारपीट

खुद फूलन ने किया था यह खुलासा

फूलन के ठाकुर से लगाव का खुलासा तब हुआ जब वह भदोही से सासंद बन गयीं थी । चंबल इलाके के चकरनगर में समाजवादी पार्टी की एक सभा थी, इसमें मुलायम सिंह भी मौजूद थे । ठाकुर बाहुल्य इलाके में आयोजित इस सभा में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने फूलन देवी को निर्देश दिया कि वे अपने संबोधन में ठाकुरों के सम्मान में भी कुछ बोलें। तब फूलन ने इस बात का खुलासा किया “ भले ही मुझे ठाकुरों से नफरत के लिए याद किया जाता है लेकिन बेहमई कांड के बाद मेरी सबसे ज्यादा मदद एक ठाकुर ने ही की थी। उन्होंने इलाके के प्रभावशाली ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर का नाम लेते हुए बताया कि बेहमई कांड के बाद जब वह गैंग के साथ जंगलों में दर-दर भटक रही थीं तब सेंगर साहब ने ही महीनों उन्हें शरण दी। खाने पीने से लेकर अन्य संसाधन भी उपलब्ध करवाए।”

यह भी देखें : चंद्रभान सिंह भाऊ बने अखिल भारतीय राष्ट्रीय प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष

इस जनसभा को हुए वर्षों बीत गए लेकिन, आज भी फूलन और सेंगर की चर्चा चंबल में होती है। दिवंगत जसवंत सिंह के बेटे हेमरूद्र सिंह बताते हैं कि बेहमई कांड के वक्त उनके पिता स्थापित कांग्रेस नेता और चकरनगर के ब्लाक प्रमुख थे । ऐसे में फूलन देवी ने जब पिता से मदद मांगी तो उन्होंने इंकार नहीं किया। फूलन और उसके साथियों को अपने खेतों में रुकने का बंदोबस्त कर दिया। फूलन भी जसवंत सिंह की काफी इज्जत करती थीं। जसवंत के कहने पर बतौर सांसद फूलन ने क्षेत्र में कई काम करवाए थे।

घोर गरीबी में जी रही फूलन की मां

फूलन की भले ही अपने जमाने में तूती बोलती थी लेकिन आज उनकी मां घोर गरीबी में जी रही हैं । चंबल फाउंडेशन के संस्थापक शाह आलम बताते हैं कि जालौन जिले के महेवा ब्लाक अंतर्गत शेखपुर गुढ़ागांव में फूलन की मां मूला देवी केवट इन दिनों बहुत कष्ट में हैं। घोर गरीबी में वे दुखों का पहाड़ ओढकऱ एक-एक दिन जीवन काट रही हैं । 7 जून 2018 को फूलन की सबसे छोटी बहन रामकली का अभाव की जिंदगी जीते हुए निधन हो गया । वही मूला का एकमात्र सहारा थी। ऐसे में अब मूला को मौत कब खाली पेट दस्तक दे दे कुछ कहा नहीं जा सकता।

बैंडिट क्वीन के नाम से बनी थी फूलन पर फिल्म

फूलन देवी बैंडिट क्वीन के नाम से चर्चित थीं । जब फूलन 11 साल की थीं तो उनके चचेरी भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी । दोनों में उम्र का एक बड़ा फासला होने के कारण दिक्कतें आती रहती थीं । फूलन का पति उन्हें प्रताड़ित करता रहता था जिसकी वजह से परेशान होकर फूलन देवी ने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के साथ रहने का फैसला किया ।फूलन जब 15 साल की थीं तब गांव के कुछ लोगों ने उनका गैंग रेप किया। फूलन देवी ने कई जगह न्याय की गुहार लगाई लेकिन उसे सिर्फ निराशा का सामना करना पड़ा । नाराज दबंगों ने फूलन का चर्चित दस्यु गैंग से कहकर अपहरण करवा लिया । डकैतों ने लगातार 3 हफ्तों तक फूलन का रेप किया । जिसकी वजह से फूलन बहुत ही कठोर बन गईं ।

यह भी देखें : विकास कार्य कराये नहीं प्रधान व सचिव ने निकाल लिये लाखों रुपये

इंदिरा गांधी के कहने पर 1983 में डाले थे हथियार

अपने ऊपर हुए जुल्मों सितम के चलते फूलन देवी ने अपना एक अलग गिरोह बनाने का फैसला किया। 1983 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर 10 हजार लोगों और 300 पुलिस वालों के सामने उसने आत्म समर्पण कर लिया । उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा । आत्मसमर्पण करने के बाद फूलन देवी को 8 सालों की सजा दी गई । 1994 में वह जेल से रिहा हुईं । रिहा होने के बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री ली । वह दो बार चुन कर संसद पहुंचीं । पहली बार वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद बनी थीं ।

शेर सिंह राणा ने स्वीकार किया था बदला लेने के लिए की हत्या

25 जुलाई 2001 को दिल्ली में घर के सामने उनकी हत्या कर दी गई । हत्या मे शेर सिंह राणा का नाम आया जिसने स्वीकार किया कि उसने क्षत्रिय समाज के अपमान का बदला लिया है । कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्लिप जारी करके अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया । हालांकि बाद में दिल्ली पुलिस ने उसे पकड़ लिया । फूलन की हत्या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उनकी हत्या के छींटे उसके पति उम्मेद सिंह पर भी आए हालांकि उम्मेद आरोपित नहीं हुआ।

यह भी देखें : कई महीनों बाद थानों में शुरू हुआ समाधान दिवस