नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को विधानसभा में बगैर किसी का नाम लिए एक कहानी सुनाई जिसमें अल्प शिक्षित राजा का जिक्र किया गया जिसने (धन के लालच) के लिए एक प्रमुख उद्यमी से दोस्ती की थी। दिल्ली की शराब नीति को लेकर नौ घंटों तक केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों की ओर से की गयी पूछताछ के एक दिन बाद श्री केजरीवाल ने विधानसभा में कहा, “राजा के धन लोलुपता की वजह से जनता को बड़ी दुश्वारियों का सामना करना पड़ा।”
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उन्होंने कहा, “राजा ने ‘नाम तेरा, पैसा मेरा’ तरकीब लगायी जिसकी वजह से उसने लालच और भ्रष्टाचार की अपनी इच्छाओं को पूरा किया। ”
मुख्यमंत्री ने कहा, “कुछ लोगों ने अल्प शिक्षित राजा काे सलाह दी कि नोटबंदी कर दो, भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा। नोटबंदी करने से भ्रष्टाचार तो दूर नहीं हुआ लेकिन देश 20 साल पीछे चला गया। जब किसान कानून पारित किया गया तो किसान सड़कों पर उतर आये जिसमें से 750 किसानों की मृत्यु हो गयी। वह राजा तुलगकी था, जिसने इस तरह के कार्य किये। ”
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उन्होंने कहा, “धीरे-धीरे अल्प शिक्षित राजा को अपने नाम के बारे में बुरा महसूस होने लगा, तो उसे फर्जी डिग्री बनवायी, लोगों ने इसको लेकर आरटीआई फाइल की तो उनमें से एक पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगवा दिया गया। राजा के शासन करने के दौरान अनेक वस्तुओं के दाम बहुत बढ़ गये। घरेलू गैस के दाम 400 से 1100 रुपये हो गये, पेट्रोल के दाम 71 से 97 रुपये हो गये, डीजल के दाम 47 से बढ़कर 90 रुपये हो गये, दूध के दाम 46 से बढ़कर 66 रुपये हो गये और खाद्य तेल के दाम 90 से बढ़कर 214 हो गये। श्री केजरीवाल ने कहा कि उनकी कहानी का अभिप्राय यह है कि यदि देश में कुछ ठीक नहीं होने पर लोग महंगाई तथा गरीबी से जूझ रहे हैं तो सबसे पहले इसकी जांच की जानी चाहिए कि देश का राजा शिक्षित है या नहीं।