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रानी के शस्त्रों से झांसी के खाली हाथ केवल तलवार को लेकर हो रही रार

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रानी के शस्त्रों से झांसी के खाली हाथ केवल तलवार को लेकर हो रही रार
रानी के शस्त्रों से झांसी के खाली हाथ केवल तलवार को लेकर हो रही रार

झांसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आजादी की प्रथम दीपशिखा की जयंती के अवसर पर झांसी आगमन के मद्देनजर रानी की तलवार उनकी कर्मभूमि लायी जाने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है।

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झांसी के लोग लंबे समय से समय समय पर रानी की तलवार ग्वालियर संग्रहालय से यहां लाये जाने की मांग करते रहे हैं । इस बार रानी के जन्मोत्सव को रक्षा मंत्रालय “ राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व” के रूप में मना रहा है । तीन दिवसीय इस कार्यक्रम के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे और इसी के मद्देनजर विभिन्न संगठनों के साथ राजनीतिक लोगो ने भी प्रधानमंत्री से अपने आगमन के साथ झांसीवासियों को रानी की तलवार के रूप में सौगात देने की मांग भी तेज कर दी है। इस मांग को लेकर झांसी-ललितपुर सांसद अनुराग शर्मा और सदर विधायक रवि शर्मा ने भी पत्र लिखा है।

इस बारे में झांसी संग्रहालय के डिप्टी डायरेक्टर डॉ़ एस के दुबे ने सोमवार को बताया कि महारानी लक्ष्मीबाई की केवल तलवार ही नहीं उनके शस्त्रों में से कोई भी शस्त्र यहां संग्रहालय में नहीं है । उनके सभी शस्त्र ग्वालियर संग्रहालय में हैं और वहां हर साल लगने वाले मेले में जन सामान्य के लिए प्रदर्शित किये जाते हैं। प्रधानमंत्री के आगमन पर तलवार वापसी की मांग की जा रही है अगर ऐसा होता है तो संग्रहालय में कम से कम महारानी का एक शस्त्र आ जायेगा जो रानी के शौर्य की गाथा सुनकर झांसी आने वालों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।

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वहीं युवा पुरातत्ववेत्ता वसीम खान ने रानी झांसी की मात्र तलवार के लिए गाहे बगाहे उठने वाली और प्रधानमंत्री के दौरे पर तेजी से उठ रही मांग को लेकर कई सवाल खड़े किये। उनके अनुसार न केवल तलवार बल्कि उनकी गुप्ती, रिवॉल्वर, ढाल ,जिरह बख्तरबंद कुछ भी झांसी में नहीं है लेकिन हर बार केवल तलवार वापसी के लिए मांग उठायी जाती है। प्रधानमंत्री अगर पहल करें तो तलवार झांसी आने की संभावना हो सकती है। सभी लोग तलवार वापस लाने की बात कर रहे हैं लेकिन रानी और झांसी राज्य से जुड़े दूसरे सामान जो आसानी से झांसी लायें जा सकते हैं उनको लेकर सामाजिक संगठन और राजनीतिक लोग भी मौन साधे हुए हैं।

उन्होंने बताया कि झांसी राज्य का राजकीय राजदंड और झंडा भी झांसी में नहीं होने । झांसी राज्य के ऐसे महत्वपूर्ण चिंहों की वापसी पर सामाजिक संगठनों और राजनीतिक लोगों के चप्पी क्यों साधे हैं। रानी की तलवार और दूसरे शस्त्र तो फिर भी ससम्मान ग्वालियर संग्रहालय में हैं लेकिन झांसी का राजदंड कुमांऊ रेजीमेंट के स्टोर में बंद पड़ा है उसका कभी कहीं प्रदर्शन नहीं किया जाता। झांसी का किला आजादी के बाद अंग्रेजों की सेना ने भारतीय सेना को सौंपा था। किला बहुत समय तक सेना के अंतर्गत था लेकिन बाद में जब सेना ने खाली किया तो यहां रहने वाली पूना की घुड़सवार सेना रानी का लगभग आधा सामान पूना ले गयी और बाद में बताया गया कि झंडा चोरी हो गया।

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ग्वालियर संग्रहालय के एसिटेंट नोडल ऑफिसर प्रमेश दत्त शर्मा ने बताया कि ग्वालियर में हमने रानी झांसी के शस्त्रों जैसे उनकी छह तलवारों, गुप्ती,कटार, ढाल और जिरह बख्तरबंद आदि को संरक्षित कर संग्रहालय में रखा है, जिसे हर साल लगने वाले मेले में लोगों के देखने के लिए रखा जाता है। रानी झांसी की यह ऐतिहासिक धरोहरें हमारे लिए भी बेहद भावनात्मक महत्व रखती हैं।

आज़ाद देश में स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वालों की धरोहरें कहीं भी रहें लेकिन जिस तरह से झांसी के लोग ग्वालियर घराने और महाराज पर रानी को धोखा देने का आरोप लगाते हुए तलवार वापसी की मांग करते हैं तो यह जाय़ज नहीं है। हमनें रानी की धरोहरों को संरक्षित किया है इस तथ्य को स्वीाकार करते हुए समिति गठित कर इस संबंध में कोई फैसला किया जाए जो सर्वमान्य हो तो हमें कोई आपत्ति नहीं है और अगर इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से कोई पहल की जाती है तो वह केंद्र का फैसला है फिलहाल रानी की तलवार वापसी को लेकर हमें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।

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