झांसी । उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय(बुंविवि) में इंजीरियरिंग और वित्त विभाग में लगभग 70 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का खुलासा करने वाले व्हिस्लब्लोअर का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन न केवल उन्हें और उनके परिवार को प्रताड़ित कर रहा है बल्कि उसे शुक्रवार को अब बर्खास्त भी कर दिया गया।
विश्वविद्यालय में जूनियर इंजीनियर (सिविल) पद पर कार्यरत अम्बरीश गौतम का कहना है कि विश्वविद्यालय के वित्त विभाग और इंजीनियरिंग विभाग में 70 करोड़ रुपये की कथित वित्तीय अनियमितताओं की 50 से अधिक शिकायतें उसने तत्कालीन कुलपति जे वी वैशंपायन , कुलसचिव नारायण प्रसाद और वित्त अधिकारी को दीं। लेकिन किसी ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
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विभागीय कार्रवाई नहीं होने पर अंबरीश ने विश्वविद्यालय में फर्जी माप, जेई को दरकिनार कर ठेकेदारों को मानक रेट से ज्यादा रेट देने और यूपीपीडब्ल्यूडी के स्पेसिफिकेशन के खिलाफ काम करने सहित अन्य शिकायतों के बारे में राज्य सरकार के सतर्कता विभाग के प्रमुख सचिव को अवगत कराया। इसके बाद विजिलेंस की गोपनीय जांच की गयी।
गौतम के आरोपों पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव नारायण प्रसाद ने यूनीवार्ता को बताया कि उनके आरोप कई साल पहले लगाये गये थे और उस मामले में जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट में जो दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। हालांकि उन्होंने गौतम की बर्खास्तगी को प्रक्रियागत आधार पर की गयी कार्रवाई का परिणाम बताया है।
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अपनी बर्खास्तगी को नियमविरूद्ध बताते हुए गौतम की दलील है कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार विश्वविद्यालय में कोई भी नियुक्ति या बर्खास्तगी कार्यपरिषद की मंत्रणा और अनुमति के बाद ही होती है। लेकिन उनके मामले में इस नियम की पूरी तरह से अनदेखी की गयी।
इसके अलावा पूर्व कुलपति पिछले महीने सेवानिवृत हो चुके हैं। इसके बाद कार्यवाहक कुलपति के रूप में शमशेर सिंह ने चार्ज संभाला। नये कुलपति की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल कार्यालय की ओर से छह दिसंबर को अधिसूचना जारी की गयी।गौतम का आरोप है कि इस अधिसूचना के जारी होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकता है। लेकिन, नये कुलपति डॉ़ मुकेश पांडेय के दस दिसंबर को कार्यभार संभालने से पहले कुलसचिव ने आनन फानन में सभी नियमों को ताक पर रखकर नौ दिसंबर को ही उनकी बर्खास्तगी का पत्र जारी कर दिया।
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गौतम का आरोप है कि विश्वविद्यालय को मिलने वाली सरकारी आर्थिक मदद में अनियमिताओं का खुलासा करने के बावजूद उन्हें व्हिस्लब्लोअर कानून के प्रावधानों काे भी नजरंदाज कर प्रताड़ित किया जा रहा है। उनकी दलील है कि व्हिस्लब्लोअर अधिनियम 2014 की धारा 14 के तहत भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले किसी भी व्हिस्लब्लोअर को संबद्ध संस्था या विभाग द्वारा किसी भी प्रकार के उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान की गयी है।
गौतम ने बताया कि इस मामले की तमाम परतों को उधेड़ने के लिये उन्हें नये कुलपति से निष्पक्ष जांच की उम्मीद है। जिससे भ्रष्टाचार करने वाले जल्द कानून के शिकंजे में आ सकें और उन्हें न्याय मिल सके।