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पेयजल के लिए पदयात्रा करना इस गांव के लोगों की है मजबूरी

पेयजल के लिए पदयात्रा करना इस गांव के लोगों की है मजबूरी
पेयजल के लिए पदयात्रा करना इस गांव के लोगों की है मजबूरी

इटावा। दुर्लभ घडियाल,मगरमच्छ समेत तमाम जलचरो का आशियाना चंबल नदी के किनारे बसे उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के सहसो गांव के हजारो लोग सदियों से मीठे पानी के लिये हर रोज करीब एक किमी की पदयात्रा करने को मजबूर हैं। ग्रामीण महिलाएं को खाना बनाने व पीने के लिए चंबल नदी अथवा गांव के बाहर डाल्फिन परियोजना विश्राम गृह के वोर वेल से मीठा पानी लाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने पेयजल की समस्या निस्तारण के लिए भले ही तमाम प्रयास किए हों लेकिन उनके गांव में कोई वैकल्पिक व्यवस्था शासन प्रशासन ने नहीं की है। बरसात के समय नदी में बाढ़ आने के दौरान पेयजल का अभूतपूर्व संकट खड़ा हो जाता है।

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लोग चंबल का ही पानी घरों में प्रयोग करने को मजबूर

लोग चंबल का ही पानी घरों में प्रयोग करने को मजबूरलोग चंबल का ही पानी घरों में प्रयोग करने को मजबूर

ग्रामीणों को गांव के बाहर एक किलोमीटर दूर जाकर बिजली चलित मोटर पंपों से पानी लाना होता है, बिजली ना आने पर घंटों इंतजार करना पड़ता है। गरीब तबके के लोगों को पेयजल की ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ता है। सामान्य वर्ग के लोग मोटरसाइकिल से अपने लिए पानी सुबह लाकर रख लेते हैं। गरीब तबके के लोग चंबल का ही पानी घरों में प्रयोग करने को मजबूर हैं। राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण की संरक्षित नदी में सैकड़ों की संख्या में घातक खूंखार मगरमच्छ व घड़ियालों का कुनबा पानी में घूमते रहता है फिर भी ग्रामीण नदी के पानी में जाकर मौत के दरिया से पीने का पानी लाते हैं।

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पुरातन जल स्रोत कुंआ रखरखाव के अभाव में ध्वस्त हो गए। ग्रामीण हादसों से बचने के लिए कटीले तार की घेराबंदी या फिर अन्य तरीकों से ढक दिया है हैंडपंपों का दौर आने पर लोगों ने बिजली चलित मोटर से घरों में लगवा ली । कुआं से पानी खींचने का सिस्टम धीरे-धीरे विलुप्त ही हो गया। आधुनिकता के दौर में मीठा ठंडा स्वच्छ पानी देने वाले पुरातन जल स्रोत आज की स्थिति में पूर्णतया समाप्त हो चुके हैं। कोई भी व्यक्ति रस्सी बाल्टी से पानी खींचने का झंझट में नहीं पड़ना चाहता ।

पंचायतों ने नहीं दिया पुरातन जल स्रोतों के रखरखाव पर ध्यान

पंचायतों ने नहीं दिया पुरातन जल स्रोतों के रखरखाव पर ध्यान

ग्राम पंचायतों ने पुरातन जल स्रोतों के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया। आधुनिक तौर पर हेड पंपों पर जलापूर्ति का ध्यान देने से कुंओं के अस्तित्व खत्म हो गये। तीन हजार से अधिक आबादी वाले गांव में कई दशकों से गांव का ही ग्राम प्रधान चुना जाता है । वर्तमान में गांव की महिला ग्राम प्रधान है । चकरनगर क्षेत्र द्वितीय से गांव के ही युवा जिला पंचायत सदस्य हैं। यही नहीं वर्तमान ग्राम प्रधान के दामाद बसपा एमएलसी भीमराव अंबेडकर भी मीठे पानी की गांव वालो की दरकार को पूरा नही कर पाये है । ग्राम पंचायत स्तर से क्षेत्र के निकटवर्ती गांव में आरओ सिस्टम लगवाए गए लेकिन गांव में जरूरत होने के बावजूद भी आरओ सिस्टम की स्थापना नहीं करवाई गई ।

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वर्तमान ग्राम प्रधान सोना देवी कहती हैं कि जल्द ही में ग्राम पंचायत स्तर से गांव में पेयजल की व्यवस्था की जायेगी क्षेत्र में सरकार की मंशा घर घर नल की टोटी धरातल पर उतारने में कितना वक्त लगेगा यह समय के गर्त में ही छुपा हुआ है। केंद्र सरकार हर जगह शुद्ध निर्मल पेयजल पहुंचाने के लिए परियोजना चालू की गई है लेकिन गांव में कब पहुंचेगी और ग्रामीणों को पेयजल की आपूर्ति हो सकेगी। सहसो गांव की श्रीमती सोमवती का कहना है कि सारी उम्र गुजर गई, गांव के जलश्रोत से मीठा पानी का सपना अधूरा ही रह गया है ।

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मौत के दरिया से पानी आने पर घरों में दाल पक रही है । खारा पानी होने के कारण खाना बनाने के लिए नदी का पानी या गांव के बाहर स्थित जल स्रोतों से पानी लाना कब आदत में बन गयी है । इसी गांव की श्रीमती लज्जावती का कहना है कि सरकारें भी आकर तमाम विकास कर गई लेकिन सहसो गांव में मीठे पानी की समस्या का समाधान किसी ने नहीं कर पाया हमारी आने वाली नई पीढ़ी भी आज मीठे पानी की समस्या ग्रस्त है जोकि बहुत बड़ा दुर्भाग्य है।

सुबह उठकर सबसे पहली चिंता घर में मीठे पानी की होती है

सुबह उठकर सबसे पहली चिंता घर में मीठे पानी की होती है

सहसो गांव की ही उषा देवी का कहना है कि सुबह उठकर सबसे पहली चिंता घर में मीठे पानी की होती है जिससे कि चूल्हा जल सके और खाना बन सके गांव के बाहर मीठे पानी का स्रोत है या फिर चंबल नदी जिससे हर मौसम में पानी लाकर खाना बनाया जा सकता है । चंबल नदी का बहुत बड़ा सहारा है नहीं तो गांव के घरों में खाना बनना मुश्किल हो जाये। चकरनगर के खंड विकास अधिकारी सतीश चंद्र पांडे ने बताया कि गांव की पेयजल समस्या की मुझे जानकारी नहीं है । ग्राम पंचायत स्तर पर बात करके शीघ्र ही गांव में वैकल्पिक तौर पर गर्मी के चलते पेयजल समस्या का समाधान किया जाएगा

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जिससे कि ग्रामीणों को पेयजल की समस्या का सामना ना करना पड़े। चंबल घाटी समग्र विकास आंदोलन के अध्यक्ष सुल्तान सिंह चौहान ने बताया सहसों गांव में पेयजल के लिए प्रशासन को गहरी बोरिंग कराकर मीठे जल स्रोत से पानी उपलब्ध कराना होगा। तभी घरों में पेयजल समस्या का समाधान होगा। उन्होंने कहा कि ओवरहेड टैंक बनवाकर भी घरों में पानी की सप्लाई की जा सकती है। इस समस्या को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर अवगत कराया जाएगा।

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