सीआरपीएफ के बिना आंतरिक सुरक्षा की कल्पना मुश्किल, सभी आंतरिक मोर्चों पर सफल रही सीआरपीएफसीआरपीएफ के बिना आंतरिक सुरक्षा की कल्पना मुश्किल, सभी आंतरिक मोर्चों पर सफल रही सीआरपीएफ

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सीआरपीएफ के बिना आंतरिक सुरक्षा की कल्पना मुश्किल, सभी आंतरिक मोर्चों पर सफल रही सीआरपीएफ

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September 18, 2021

सीआरपीएफ के बिना आंतरिक सुरक्षा की कल्पना मुश्किल, सभी आंतरिक मोर्चों पर सफल रही सीआरपीएफसीआरपीएफ के बिना आंतरिक सुरक्षा की कल्पना मुश्किल, सभी आंतरिक मोर्चों पर सफल रही सीआरपीएफ

नांदेड़ । केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाने में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के योगदान की सराहना करते हुए आज कहा कि इसके बगैर देश की आंतरिक सुरक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती। अमित शाह ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों द्वारा चलाए जा रहे ‘अखिल भारतीय वृक्षरोपण अभियान-2021’ के अंतर्गत शुक्रवार को महाराष्ट्र के नांदेड में बल के ट्रेनिंग सेंटर में एक करोड़वें पौधे का रोपण करने के बाद कहा, “पहले इस बल पर सीमाओं की और आंतरिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी थी, फिर दंगे रोकने की ज़िम्मेदारी आई।

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उन्होंने कहा कि “फिर वामपंथी उग्रवादियों के सामने लड़ने की ज़िम्मेदारी आई, या पूर्वोत्तर में काम करने की जिम्मेदारी आई, कश्मीर में काम करने की ज़िम्मेदारी आई, सीआरपीएफ के जवानों ने हर आवश्यकता के अनुसार अपने आप को ढालकर हर अपेक्षा को पूरा करने का काम बख़ूबी किया और हर मोर्चे पर सीआरपीएफ की विजय पताका को गौरव के साथ आसमान तक ऊंचा किया है। उन्होंने कहा, कई लोगों को यह बात अतिश्योक्ति लग सकती है लेकिन वो इसे वास्तविकता मानते हैं कि सीआरपीएफ के बगैर देश की आंतरिक सुरक्षा की कल्पना हो ही नहीं सकती।

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उन्हें और पूरे देश को सीआरपीएफ के जवानों के त्याग, बलिदान और समर्पण पर गर्व है और देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने में उनका योगदान उल्लेखनीय है। देश का विकास और पांच ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनना उनके समर्पण और महत्वपूर्ण योगदान के बिना संभव नहीं है। शाह ने कहा कि इस प्रशिक्षण संस्थान में नागरिक से रक्षक बनाने का काम होता है और आमजन से देशभक्त और सशस्त्र सेनानी बनाने का और यहीं से आप अपने जीवन को अनुशासन में ढालने की शुरूआत करते हैं। उन्होंने सीआरपीएफ के 2000 से ज्यादा जवानों के बलिदान को याद करते हुए कहा, “उनके इसी बलिदान के कारण आज हमारा देश सुरक्षित है।

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वर्ष 1959 में भारत -चीन की सीमा से सटा हॉटस्प्रिंग हो या सरदार चौकी हो, भुज हो, हर जगह पर सबसे पहले दुश्मन को चुनौती देने का काम सीआरपीएफ ने किया है।अमित शाह ने कहा कि जब आजादी के बाद देश आगे बढ़ता गया और हमारी यात्रा आगे बढ़ती गई, और सीआरपीएफ के काम में तब से आज तक आमूल-चूल परिवर्तन आया है और सीआरपीएफ ने हर परिवर्तन को बहुत ही सहज तरीके से आत्मसात करके अपने आप को नए खाके में ढाला है।