- विश्व आयोडीन अल्पता दिवस (21 अक्टूबर) को होगा
औरैया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार लगभग 54 देशों में आयोडीन अल्पता अभी तक मौजूद है। इसी उद्देश्य से आयोडीन के पर्याप्त उपयोग और इसकी कमी के परिणामों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है। राष्ट्र्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट 5 (2019 -21 ) के अनुसार औरैया जनपद में 93.9 प्रतिशत घरों में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग होता है जबकि राष्ट्र्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट 4 (2015 -16 ) में यह आँकड़ा 84.4 प्रतिशत था। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि आयोडीन की कमी से शिशु में बौद्धिक और शारीरिक विकास समस्याएं होती हैं।
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मस्तिष्क का धीमा चलना, शरीर का कम विकसित होना, बौनापन, देर से यौवन आना, सुनने और बोलने की समस्यायें तथा समझ में कमी इत्यादि का कारण आयोडीन की कमी ही है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति को 500 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करना जरूरी है। कहा कि आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करने से इससे होने वाली बीमारियों से बचा जा सका है। हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन, मूली, चुकंदर, दूध, सोयाबीन, अंडा और केला आदि के सेवन से भी आयोडीन की कमी पूरी की जा सकती है।
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राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल व एसीएमओ डॉ शिशिर पुरी का कहना है कि मानसिक बीमारियों जिनमें ज्यादातर मेंटल रिटार्डेशन के तहत आनेवाले लक्षण की एक बड़ी वजह शरीर में आयोडीन की कमी होती है। किसी भी बच्चे को आयोडीन की दो तरह से सबसे अधिक प्रभावित करती है। पहली बार तब, जब गर्भवती महिला में आयोडीन की कमी हो तो बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। वहीं, बचपन में पूरा पोषण नहीं मिलने के कारण भी बच्चे इस तरह की बीमारियों से ग्रसित होते हैं। महिलाओं में आयोडीन की कमी स्टिलबर्थ और गर्भपात का कारण हो सकता है। यहां तक कि गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की थोड़ी कमी भी बच्चे की सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।