गोरखपुर । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया के तमाम सभ्यताएं एवं संस्कृतियां समाप्त हो गईं मगर भारत आज भी हजारों वर्षों की सभ्यता और संस्कृति को संजोए हुए है और तमाम जंझावतों में भी विरासत को संभालने का कमाल हिंदुस्तानियों के पास है। योगी ने शनिवार को तीन दिवसीय गोरखपुर महोत्सव 2024 के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि श्रीराम हजारों वर्ष पूर्व अवतरित हुए थे लेकिन उनकी हजारों वर्षों की परंपरा से हर भारतीय जुड़ा हुआ है। विरासत को संभालने की परंपरा और इसके लिए हर स्तर के संघर्ष का ही प्रतिफल है कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम एक बार फिर अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि अपने इतिहास, लोक परंपरा और लोक संस्कृति को संजोना भारत की विशेषता है। संरक्षण की यही भावना भारत को बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि अयोध्या को लक्षित कर संस्कृति और आस्था पर आघात करने वालों को परास्त और पददलित कर उनका भारतीयों ने नामोनिशान मिटा दिया और आज प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी बनने जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पर्व व त्यौहार अद्भुत हैं, इनके जरिए उन लोगों तक भी भारतीय संस्कृति का संचार होता है जो किन्हीं कारणों से इसे जानने से वंचित रह गए हों। दीपावली, होली, रामनवमी, महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन जैसे पर्व इसके उदाहरण हैं। इन सभी पर्वों में विशेष संदेश निहित है। इसी तरह महोत्सव को भी संदेश देने का वाहक बनना चाहिए। अयोध्या में हजारों वर्ष पहले भगवान राम का प्रकटीकरण हुआ फिर भी उस परंपरा को आज भी हर भारतवासी अपने मन में समेटकर रामनवमी के साथ जुड़ता है। रामनवमी पर वर्ष 2023 में अयोध्या में 35 लाख लोग आए। अयोध्या में तब न रेल सेवा अच्छी थी न एयरपोर्ट था। सड़के भी निर्माणधीन थीं।
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उन्होंने कहा कि आज तो अयोध्या फोरलेन एवं सिक्स लेन की कनेक्टविटी से जुड़ चुका है। रेलवे भी डबल लाइन से जुड़ चुकी है। नये एयरपोर्ट पर एक साथ 8 विमान लैण्ड कर सकते है। आज वहां धर्मशाला एवं अच्छे होटल भी उपलब्ध है। वहां कुम्भ की तरह एक टेंट सिटी भी बसाई जा रही है। इसी प्रकार श्री कृष्ण जन्मोत्सव का कार्यक्रम भी होता है। 5 हजार वर्ष बाद भी हम उसी उत्साह से अपनी इस परम्परा को आनंद एवं उत्साह से मनाते हैं। रात्रि के 12 बजे हर जनपद, हर घर एवं हर थाने, मंदिर, में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। जेल भी इस उत्सव का मंच बनता है और ऐसा केवल भारत में ही होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक व आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध रहा है। बाबा गोरखनाथ ने अपनी साधना स्थली के रूप में गोरखपुर को चुना था। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बनी यहां से 90 किमी की दूरी पर है। उनका परिनिर्वाण स्थल गोरखपुर से 60 किमी दूर कुशीनगर में है। संतकबीर का जन्म काशी में हुआ किन्तु अंत समय में वे मगहर आ गये। गोरखपुर से अयोध्या की एवं काशी की दूरी भी मात्र कुछ घण्टो की है। सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से भी भरपूर है। यह क्षेत्र मीठे जल की प्रचुरता से समृद्ध है। यहां की भूमि बेहद उर्वर है। धरोहर से सम्पन्न इस क्षेत्र के बारे में सबको एहसास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पलायन की बजाय संघर्ष की प्रकृति पैदा की जानी चाहिए। परिश्रम व पुरूषार्थ का भाव होना चाहिए।
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योगी ने कहा कि यह प्रसन्नता का क्षण है कि गोरखपुर महोत्सव सफलता के परचम को लहरा रहा है। महोत्सव में अनेक कलाकरों ने अपनी प्रस्तुति देकर गोरखपुर एवं पूर्वी यूपी की जनता का इस भीषण शीतलहर में भी मनोरंजन करके उत्साहवर्धन किया। महोत्सव के पीछे की धारणा भी यही है कि हम लोक परंपरा व लोककला को प्रोत्साहित करें। नए कलाकारों को मंच प्रदान कर उन्हें आगे बढ़ने को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि गोरखपुर महोत्सव को गोरखपुर के नामकरण, इसकी विकास यात्रा, इसके महानायकों की थीम के साथ इसे आगे बढ़ाया गया है। गोरखपुर का आधुनिक विकास, नयापन एवं आजादी के लड़ाई में यहां के महानायको का योगदान आदि का उल्लेख भी इस महोत्सव के माध्यम से देखने को मिला है।
योगी ने कहा कि आज एक नया गोरखपुर है। गोरखपुर के विकास में सभी नागरिकों ने भी सकारात्मक भाव के साथ अपना योगदान दिया है। गोरखपुरवासियों ने किसी भी स्तर पर नकारात्मकता नहीं आने दी है। प्राय लोग विकास की यात्रा में संकीर्ण मानसिंकता से कार्य करने लग जाते है मगर गोरखपुरवासियों ने इस प्रकार की बाधाओं को हटाकर केवल विकास को प्राथमिकता दी है आध्यात्मिक, धार्मिक एवं भौतिक विकास सभी में उन्होंने बाधक न बनकर उसे आगे बढ़ाने का कार्य किया है उसी का परिणाम है कि आज जो 5 वर्ष बाद गोरखपुर आता है तो वह यहां के विकास से आश्चर्य चकित हो जाता है।
उन्होंने कहा कि आज यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है तो पर्यटन के लिए रामगढ़ताल भी है। स्वास्थ्य का अच्छा केन्द्र एम्स और बीआरडी मेडिकल कालेज के साथ आयुष विश्वविद्यालय भी है। आज गोरखपुर में चार विश्वविद्यालय हैं। आने वाले समय में और भी नयी संभावनाएं यहां आ रही है। औद्योगिक विकास, युवाओं के लिए स्किलिंग सेंटर की स्थापना के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में भी एक नये हब के रूप में गोरखपुर को स्थापित करने की कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ रही है। यह सभी संभावनाएं गोरखपुरवासियों के सहयोग से आगे बढ़ रही हैं।
गोरखपुर महोत्सव के मुख्य मंच से योगी ने दो विभूतियों को गोरखपुर रत्न से सम्मानित किया। विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कोरोनाकाल में कोरोना के इलाज की प्रामाणिक दवा बनाने वाली टीम के लीडर डॉ अनंत नारायण भट्ट को तथा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष प्रो सदानंद प्रसाद गुप्त को गोरखपुर रत्न से सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने दोनों विभूतियों के अपने अपने क्षेत्र में दिए गए योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की और उन्हें गोरखपुर का गौरव बढ़ाने वाला सपूत बताया। गोरखपुर रत्न से सम्मानित करने के बाद सीएम योगी ने महोत्सव की स्मारिका श्अभ्युदयश् का विमोचन किया। गोरखपुर महोत्सव के समापन समारोह में सांसद रविकिशन शुक्ल ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन से गोरखपुर विकास के पैमाने पर लगातार अपग्रेड हो रहा है। उनके मार्गदर्शन में यहां आयोजित होने वाला गोरखपुर महोत्सव ज्ञान, विज्ञान एवं मनोरंजन का संगम सा दिखते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
गोरखपुर महोत्सव के समापन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विख्यात गायक एवं पद्मश्री से सम्मानित सुरेश वाडकर के गाए सुमधुर भजनों का आनंद उठाया। भजन सुनने के लिए मुख्यमंत्री मुख्य मंच से उतरकर सामने लगी कुर्सियों की तरफ आ गए थे। सुरेश वाडकर ने भजन संध्या में अपनी प्रस्तुतियों की शुरुआत योगी के सामने नाथपंथ के गुरुजन की वंदना पर केंद्रित भजन .आओ नमन करें. से की। इसके बाद उनकी प्रस्तुति .मंगल भवन अमंगल हारी, गंगा हमारी कहे बात ये रोते.रोते भी मुख्यमंत्री ने सुनीं। योगी ने पांच भाषाओं में बनी सांसद व मशहूर सिने स्टार रविकिशन की फिल्म .महादेव का गोरखपुर. के टीजर का अवलोकन भी किया। इस फिल्म की पूरी शूटिंग प्रदेश सरकार की फिल्म नीति से मिले प्रोत्साहन से गोरखपुर में हुई है और इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को मौका मिला है।