भारत- रूस ने किये 28 समझौते, सैन्य सहयोग को दिया अभूतपूर्व विस्तार

दिल्ली

भारत- रूस ने किये 28 समझौते, सैन्य सहयोग को दिया अभूतपूर्व विस्तार

By

December 07, 2021

भारत- रूस ने किये 28 समझौते, सैन्य सहयोग को दिया अभूतपूर्व विस्तारभारत- रूस ने किये 28 समझौते, सैन्य सहयोग को दिया अभूतपूर्व विस्तार

नई दिल्ली। भारत और रूस ने अपने पहले टू प्लस टू संवाद और 21वीं वार्षिक शिखर बैठक में अपनी विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझीदारी को अगले एक दशक में नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के संकल्प के साथ 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किये, जिनमें भारत रूस सैन्य एवं तकनीकी सहयोग समझौते के दस वर्ष के विस्तार संबंधी करार शामिल है।

हालांकि हिन्द प्रशांत क्षेत्र और अमेरिका के इरादों को लेकर रूसी नेतृत्व ने अपने पक्ष को भी खुल कर रखा। भारत ने भी एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की आपूर्ति को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरों को नज़रअंदाज किया। 21वीं शिखर बैठक के बाद दोनों देशों ने “भारत-रूस: शांति, प्रगति एवं समृद्धि की साझीदारी” शीर्षक से एक 99 सूत्रीय संयुक्त बयान जारी किया।

यह भी देखें : रूसी राष्ट्रपति भारत के दौरे पर, पीएम मोदी ने कहा रूस जैसा दोस्त दूसरा नहीं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो वर्षों में दूसरी बार अपने देश के बाहर यात्रा पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया। श्री मोदी ने द्विपक्षीय बैठक में प्रारंभिक वक्तव्य में भारत और रूस की मित्रता को बेमिसाल बताते हुये कहा कि दोनों देशों के विशिष्ट रणनीतिक संबंधों में निरंतर मजबूती ही आयी है। श्री मोदी ने कहा,

“कोविड के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत-रूस संबंधों में विस्तार की रफ्तार में फर्क नहीं आया है। हमारी विशेष और विशिष्ट रणनीतिक भागीदारी निरंतर मजबूत हो रही है।”

मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दशक से दुनिया में बहुत से बुनियादी बदलाव आये और दुनिया ने अनेक प्रकार के भू-राजनैतिक समीकरणों को बनते-बिगड़ते देखा, लेकिन भारत और रूस की मित्रता बराबर बनी रही। श्री मोदी ने कहा कि भारत और रूस की मित्रता सचमुच अनूठी है और दो देशों की सरकारों के बीच संबंधों का विश्वसनीय मॉडल है।

यह भी देखें : अंबेडकर के परीनिर्माण दिवस के जरिए भाजपाइयों ने दलित समाज को भाजपा में वोट करने का किया आह्वान

पुतिन ने भी अपने आरंभिक वक्तव्य में कहा, “ हम भारत को एक महान ताकत, मित्र देश और समय की कसौटी पर खरे उतरे एक साथी और एक घनिष्ठ मित्र के रूप में देखते हैं। दोनों देशों के संबंधों में विस्तार हो रहा है और मैं इसके भविष्य की ओर देख रहा हूं।” उन्होंने कहा कि इस समय दोनों देशों के बीच परस्पर निवेश करीब 38 अरब डॉलर का है। रूस की तरफ से कुछ और निवेश आने वाला है।

रूसी राष्ट्रपति ने कहा,“ हम सैन्य और तकनीक के क्षेत्र में जिस तरह का सहयोग करते हैं, वैसा कोई नहीं करता है। हम मिलकर उच्च प्रौद्योगिकी का विकास करते हैं साथ-साथ भारत में विनिर्माण भी करते हैं।” आतंकवाद की समस्या को भी उन्होंने अपने वक्तव्य में उठाया। उन्होंने कहा,“ यह स्वाभाविक है कि हम आतंकवाद से जुड़ी हर बात को लेकर चिंतित है। आतंकवाद से लड़ाई, मादक द्रव्यों की तस्करी और संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई भी है। इस संबंध में हम अफगानिस्तान की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं।”

यह भी देखें : आपरेशन मुस्कान के तहत बच्चे को परिजनों से मिलाया

बाद में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने संवाददाताओं से कहा कि रूस के राष्ट्रपति को भारत आने का निर्णय दर्शाता है कि वह भारत के साथ रूस के द्विपक्षीय संबंधों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपने निजी रिश्ते को कितना महत्व देते हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन की भारत यात्रा संक्षिप्त लेकिन बहुत उत्पादक एवं परिणामजनक रही। दोनों नेताओं के बीच बहुत उपयोगी बातचीत हुई। इस यात्रा के दौरान दाेनों देशों ने 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिनमें सरकार के स्तर पर और व्यापारिक स्तर पर हुए करार शामिल हैं।

विदेश सचिव के अनुसार मोदी ने श्री पुतिन को कोविड महामारी के दौरान भारतीय समुदाय का ध्यान रखने के लिए धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने टीका प्रमाणपत्रों को परस्पर मान्यता दिये जाने की जरूरत पर भी बात की ताकि हमारे नागरिकों के लिए एक दूसरे के यहां आने जाने का रास्ता खुल सके।

सैन्य क्षेत्र में सहयोग के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने 2011 से 2020 तक दीर्घकालिक सैन्य एवं तकनीकी सहयोग कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन पर संतोष जाहिर किया और वर्ष 2021 से 2031 तक एक नये दीर्घकालिक कार्यक्रम संबंधी करार पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत किया। हालांकि एक दूसरे के सैन्य अड्डों एवं साजो सामान के इस्तेमाल को लेकर सहयोग के करार पर हस्ताक्षर नहीं किया जा सका।

यह भी देखें : निलंबन की वापसी को लेकर राज्यसभा में हंगामा,सदन की कार्यवाही स्थगित

श्रृंगला ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत में द्विपक्षीय कारोबार एवं निवेश में वृद्धि पर प्रमुख रूप से चर्चा हुई। इस वर्ष हमने द्विपक्षीय व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में प्रगति देखी है। दोनों पक्षों ने व्यापार एवं निवेश के ग्राफ को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए बातचीत की। उन्होंने कहा कि व्यापार एवं निवेश के लिए कुछ विशेष योजनाओं पर भी बात हुई जिनमें अंतरदेशीय जलमार्ग, उर्वरक उत्पादन, कोकिंग कोल, स्टील, कौशल विकास के क्षेत्रों में दीर्घकालिक योजनाएं भी शामिल हैं। भारत ने तेल एवं गैस क्षेत्र तथा पेट्रोकेमिकल्स में अधिक निवेश को लेकर इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि कोकिंग कोल के अलावा भारत में स्टील के क्षेत्र में खासकर पोत निर्माण एवं रेल निर्माण में रूस की निजी कंपनियों के आने की इच्छा जाहिर की है।

उन्होंने कहा कि भारत से रूस के लिए बारास्ता ईरान उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे को लेकर भी आगे बढ़ने की मंशा का इजहार किया गया। यह गलियारा मध्य एशियाई देशों को भी अश्गाबात समझौते के माध्यम से जोड़ेगा। इसके साथ व्लाडीवोस्तक चेन्नई समुद्री गलियारे की भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जल्द जारी करने की बात कही। इसके अलावा दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान प्रदान को भी आगे बढ़ाने के इरादे के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। भारत ने रूस में रहने वाले करीब डेढ़ करोड़ बौद्ध धर्मावलंबियों को भारतीय बौद्ध तीर्थस्थलों की ओर आकर्षित करने की योजना बनायी है।

यह भी देखें : सांसदों के निलंबन के विरोध में प्रियंका के बाद थरूर ने भी संसद टीवी की एंकरिंग छोड़ी

सवालों के जवाब में श्रृंगला ने कहा कि यूक्रेन में सैन्य तनाव को लेकर टू प्लस टू की बैठक में रूसी पक्ष ने अपनी ओर से जानकारी दी थी। इससे अधिक कुछ नहीं पूछा गया। एस-400 मिसाइल प्रतिरोधक प्रणाली एवं अमेरिकी प्रतिबंध के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव ने कहा कि एस-400 वर्ष 2018 का पुराना निर्णय है और इसकी आपूर्ति शु भी हो चुकी है और जारी रहेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज की बैठक में अमेरिकी प्रतिबंध को लेकर कोई बात नहीं हुई।

अफगानिस्तान के बारे में सवालों पर उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की जनता को मानवीय सहायता पहुंचाने को लेकर दोनों देशों ने सहमति जतायी। रूस ने भारत के पक्ष को पुरजोर स्वीकार किया कि अफगानिस्तान की धरती का किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने संबंधी कोई मुद्दा बातचीत में नहीं आया।