औरैया । व्यायाम न करना या ऑफिस में लंबे समय तक बैठे रहने की आदत आपमें गठिया की समस्या के जोखिम को बढ़ा सकती है। शारीरिक निष्क्रियता के कारण जोड़ों की मांसपेशियां कठोर होने लगती हैं, जो आगे चलकर आर्थराइटिस के जोखिम को बढ़ाने का कारण बनती हैं। यदि आप नियमित रूप से जिम नहीं जा पा रहे हैं तो भी हल्के स्तर के व्यायाम जैसे साइकिलिंग, वॉकिंग और तैराकी के माध्यम से भी शारीरिक रूप से सक्रियता बढ़ाकर गठिया के खतरे को कम कर सकते हैं।यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ अर्चना श्रीवास्तव का।
यह भी देखें: फफूंद स्टेशन के निकट नीलांचल एक्सप्रेस की चपेट में आए युवक की मौत, शिनाख्त नहीं
सीएमओ ने बताया कि वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती इस समस्या के जोखिम को कम करने और इससे बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 12 अक्तूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है, ‘यह आपके हाथ में है, शुरुआत करें’ | उनका मानना है की आर्थराइटिस यानी गठिया एक अकेली बीमारी नहीं है बल्कि 100 से भी अधिक विभिन्न स्थितियों का एक संग्रह है जो जोड़ों को, जोड़ों के आसपास मौजूद उत्तकों को प्रभावित करता है। इन स्थितियों में आमतौर पर जोड़ों में अकड़न या कठोरता हो जाती है, दर्द और सूजन होने लगता है| आमतौर पर यह समस्या वयस्कों में अधिक देखी जाती है।
यह भी देखें: अपर जिलाधिकारी एमपी सिंह ने संभाला कार्यभार
जिला चिकित्सालय में तैनात हड़्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव रस्तोगी का कहना है कि गठिया केवल बुजुर्गों में देखी जाने वाली बीमारी नहीं है। गठिया किसी भी आयु के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। गठिया कई प्रकार के होते हैं। उनमें एक जुवेनाइल या किशोर गठिया होता है। जुवेनाइल या किशोर गठिया 6 महीने से लेकेर 16 वर्ष की आयु के बच्चों में हो सकता है। यह तब होता हैं जब आपके शरीर का इम्यून सिस्टम, धीरे-धीरे जोड़ों में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं पर ही हमला करके उन्हें नुकसान पहुंचाने लगता है। किशोर गठिया के लक्षणों की बात करें तो इसमें प्रभावित जोड़ों में दर्द और सूजन शामिल है। इसके साथ ही जिन लोगों की त्वचा पर चकत्ते भी देखने को मिलते हैं उनको सोरियाटिक गठिया होता है।