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फर्रुखाबाद में सावन माह के तीसरे सोमवार को शिवालयों में भक्तों की खासी भीड़ उमड़ी

फर्रुखाबाद में सावन माह के तीसरे सोमवार को शिवालयों में भक्तों की खासी भीड़ उमड़ी

फर्रुखाबाद | हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच श्रद्धालुओं ने शिवलिंग में जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। श्रद्धालुओं ने शिवालयों में गंगाजल, दूध, दही से जलाभिषेक कर बेलपत्र, चावल व पुष्प से भगवान शिव की पूजा की। स्थानीय लोगों के साथ साथ बाहर से आने वाले शिव भक्त कांवड़ यात्रियों ने गंगा स्नान और पूजन के साथ रात से ही शिव जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया । राजेपुर विकास खंड के गांव तुसौर में ऊसर बाले भोलेनाथ से। ऊसर वाले के नाम से प्रसिद्द शिव मंदिर के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा है । माना जाता है कि मंदिर का मुग़ल काल से पहले का है. क्योकि मुगल काल से पहले ही अष्ट कोण के शिव मंदिर बनाए जाते थे।

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पूरे जिले में सैकड़ों अष्ट कोण शिव मंदिर थे लेकिन उपेक्षा का शिकार होने के कारण खंडहर हो गए। तुषौर के रहने बाले का मानना है कि वर्षो पहले इस मंदिर पर स्वामी ब्रह्मानन्द बाबा रहते थे।उनको सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिए ।जब स्वामी जी ने मंदिर बनाने की उनसे अनुमति मांगी तो मना कर दिया तब उन्होंने काफी समय तक भगवान शिव की आराधना की और तब मंदिर बनाने की आज्ञा मिली। उन्हीं ने संबत 2009 में खंडहर चबूतरे पर मंदिर बनवाया था। मान्यता है कि यहाँ आने बाला भक्त कभी निराश नही जाता है।

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पुजारी सूरज दिक्षित बताया कि एक बार मुग़ल सेना ने इस शिवलिंग को कई बार यहाँ से ले जाने की कोशिश की लेकिन सफल नही हुए तो सेना के कमांडर ने शिवलिंग पर गोलियां चला दी। जिसके निशान अभी भी शिवलिंग पर दिखाई देते है. इस मंदिर में करीब 200 बीघा जमीन है।उसी को पाने के लिए समाज के कुछ लोभियों ने स्वामी जी हत्या कर दी थी।उनकी माने तो अब पूरे देश में अष्ट कोण के मंदिर बनाने बाले कारीगर नही नही है।जो मंदिर में उस समय जैसी चित्रकला का प्रदर्शन कर सके। सावन के सोमवारों को यहाँ दूर दराज से भक्तगण शिवलिंग पर जलाभिषेक करने आते हैं.।

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