इस्लामाबाद में कृष्णमंदिर का निर्माण कार्य रोका गया
नई दिल्ली: पाकिस्तान की इमरान सरकार ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवे के आगे घुटने टेकते हुए इस्लामाबाद में बनने वाले मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी है। एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया ने एक ट्वीट करते हुए इस्लामाबाद में हिंदुओं के लिए बनने जा रहे पहले मंदिर का निर्माण रोकने के फैसले पर पाकिस्तान को फटकार लगाई।
एमनेस्टी ने कहा सभी को धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता का अधिकार है। पाकिस्तान के संविधान में इसकी इजाजत दी गई है और यह उसकी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी भी है। इस्लामाबद में एक हिंदू मंदिर निर्माण रोका जाना गलत कदम और कट्टरता है। इसके साथ ही एमनेस्टी ने पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा कि उसे फौरन अपना फैसला बदलना चाहिए। पाकिस्तान में धर्मनिरपेक्षता पर चोट करने वाली यह पहली घटना नहीं है। यह जगजाहिर है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर लंबे समय से अत्याचार होता आ रहा है। यही वजह है कि एमनेस्टी ने पाकिस्तान की इस समस्या को उजागर करते हुए देश और उसकी सरकार को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए पर्याप्त कदम उठाने का दबाव बनाया है।
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एक पखवाड़े पहले ही पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद के हिंदुओं के लिए मंदिर निर्माण की घोषणा की थी। श्रीकृष्ण मंदिर के लिए एक भूखंड आवंटित किया गया था और यहां एक चारदीवारी का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया था। प्रधानमंत्री इमरान खान खुद मंदिर के निर्माण को मंजूरी देने और इसके लिए धन जारी करने की प्रक्रिया में शामिल थे। मगर अब यहां दीवार को ध्वस्त कर दिया गया है। हिंदू संगठनों को मंदिर निर्माण के खिलाफ धमकियां मिली और सरकार को काम बंद करने पर मजबूर होना पड़ा।
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इस्लामाबाद के रहने वाले वकील तनवीर अख्तर ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें कहा गया,मंदिर के निर्माण के लिए आवंटित भूमि वापस ले ली जाए, साथ ही परियोजना के लिए आवंटित धनराशि भी। एक अन्य पाकिस्तान के संगठन ने कहा है कि इस्लामाबाद में एक मंदिर का निर्माण राजधानी के मास्टर प्लान का उल्लंघन करेगा। इस्लामिक धर्मगुरुओं के संगठन जामिया अशरफिया ने भी मंदिर के खिलाफ फतवा जारी किया है और कहा है कि मंदिर का निर्माण शरिया के खिलाफ है।
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अन्य कई कट्टरपंथी संगठनों ने भी कहा है कि मंदिर बनाना पाकिस्तान की विचारधारा के खिलाफ है। मौलवियों का कहना है कि मुस्लिम देश में कोई भी मंदिर या चर्च नहीं बनाया जा सकता है। मामले को इमरान खान सरकार ने धार्मिक मामलों पर सरकार को सलाह देने वाले संगठन इस्लामिक विचारधारा की परिषद के सामने मामला रखा है। सरकार अगले कदम पर अन्य धार्मिक संगठनों से भी परामर्श करेगी।
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गौरतलब हो कि भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर इस्लामाबद में रहने वाले मुट्ठीभर हिंदुओं के लिए बनाया जाना है। हिंदुओं के लिए यह इस्लामाबाद का पहला मंदिर होगा। यह शहर के हिंदुओं के लिए दिवाली और होली जैसे त्योहारों को मनाने और पूजा-पाठ करने के लिए पहला स्थान होगा। मंदिर के साथ ही हिंदुओं को श्मशान घाट की सुविधा देने की भी मंजूरी दी गई है, जिससे उन्हें किसी हिंदू की मौत हो जाने पर शहर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि अभी तक इस्लामाबाद में हिंदुओं के लिए एक अदद मंदिर तक नहीं है। हालांकि अब पाकिस्तान में हावी कट्टरता और इस्लामिक विचारधारा मंदिर निर्माण के बीच में रोड़ा बन गई है।