Tejas khabar

यदि आप किसी को जीवन नहीं दे सकते तो उसे मारने का भी अधिकार नहीं – महात्मा बुद्ध

कथा का वर्णन करते कथा वाचक

कथा का वर्णन करते कथा वाचक

खीर दान के साथ सात दिवसीय बुद्धकथा का समापन
विशाल भंडारा आज
रामगढ़। कस्बा रामगढ़ के ढरकन गांव  में चल रही सात दिवसीय बुद्ध कथा का समापन डाकू अंगुलिमाल और तथागत बुद्ध की कथा का वर्णन सरस कथा  शाक्य आधार बौद्ध द्वारा किया गया. उन्होंने कहा श्रावस्ती नगर मणभद्र  आचार्य सभी बच्चों को शिक्षा देते थे ।उनमें से एक बालक माण्विक नाम का राजकुमार पढ़ने में बहुत निपुण था और अहिसक था। जो कि बाद में अंगुलिमाल के नाम से जाना गया । उसे कक्षा कक्षा का आचार्य द्वारा मानीटर माना गया ।उसी कक्षा में एक शरारती बालक एक और एक शरारतनीं बालिका थी ।सभी छात्र एकजुट होकर उसे उस पर गलत दोषारोपण किया करते थे ।जिससे गुरु आचार्य मणभद्र नाराज हो जाते हैं और आचार्य मणिभद्र सोचते हैं कि इस कृत्य कार्य का बदला कैसे लिया जाए। उनके मन में एक विचार आया कि क्यों ना इससे गुरु दक्षिणा मांग ले तो मणभद्र ने छुट्टी के बाद अहिंसक को अकेला पाठशाला में रखा और उसे गुरु दक्षिणा मांगी है तुम कक्षा में सबसे अच्छे नंबरों से पास हुए हो इसलिए मैं तुमसे गुरु दक्षिणा मांग रहा हूं अहिंसक बोला आचार्य आप मांगिए मैं देने को तैयार हूं आचार्य ने अहिंसक से 1000 मानव का वध करने की गुरु दक्षिणा मांगी अपने विचार किया अगर मैं अपने आचार्य की गुरु दक्षिणा नहीं दे पाए तो आचार्य का बहुत बड़ा अपमान होगा।

यह भी देखें : किसान सम्मान निधि योजना की ग्रामीणों को दी गई जानकारी

आचार्य जी मैं गुरु दक्षिणा देने को तैयार हूं ।और अपनी कटारी को लेकर गुरु माता के पास जाता है और कहता है गुरु माता आप मुझे आशीर्वाद दें मैं अपने आचार्य की गुरु दक्षिणा को पूरी  करने जाता हूं जो मुझे 1000 मानवों का वध करना है माता बहुत समझाती है लेकिन वह नहीं मानता और जंगल में चला जाता है मानवों का संघर्ष करने लगता है ।उसने 1000 मानव का वध करने के बाद वापस आचार्य के पास वापस आया और बोला आचार्य से बोला कि मैं आपके आदेश का पालन करते हुए 1000 मांगों का वध कर आया।  आचार्य ने कहा मुझे कैसे मालूम आप ने 1000 लोगों का वध किया इसका मुझे प्रारूप चाहिए तो पुनः वह जाता है और मानवों की हत्या करके उनकी एक उंगली काट कर अपने गले की माला में पहन लेता है 999 लोगों की हत्या करने के बाद अचानक उसके सामने साधु के रूप में तथागत बुद्ध आते हैं और उन्हें मारने के लिए आगे बढ़ता है और साधु से कहता है आपको मुझसे डर भी नहीं लगता है आप आगे बढ़ते चले आ रहे हैं तथागत बुद्ध ने कहा आप मुझे मारना चाहते हैं मार दो लेकिन मेरी एक शर्त मानो डाकू भोला बताओ क्या शर्त है ।

कथा का श्रवनपान करते बुद्ध भक्त

तथागत बुद्ध ने कहा इस पेड़ से एक पत्तीतोड़ कर मुझे दो तो एक पत्ती की जगह पूरी डाल काट के दे दी इस पर तथागत बुद्ध जी बोले हे अंगुलिमाल इसे जोड़ दो उसने उसको नहीं जोड़ पाया तथागत बुद्ध ने कहा जिस तरह इस डाली को तुम काट कर जोड़ नहीं सकते हो उसी तरह इंसानो को मार कर तुम जीवन नहीं दे सकते हो उसकी समझ में आ गया और बोला साधु आप मुझे अपनी शरण में ले लीजिए इस तरह डाकू अंगुलिमाल भगवान बुद्ध की शरण में पहुंच गया ।वही कथा के समापन पर आयोजको के द्वारा खीर दान करके कथा का समापन किया गया
इस अवसर पर  अखिलेश शाक्य जिलाध्यक्ष अखिल भारतीय शाक्य महासभा, राधेश्याम शाक्य, रमेश शाक्य ,भारत दोहरे,महेश शाक्य दिनेश शाक्य, सुरेंद्र शाक्य, राम सिंह, ब्रह्मानन्द बाथम,नीरज राजपूत, बाबू राम राजपूत, राजेश शाक्य सहित सैकड़ों बौद्ध उपासक उपस्थित रहे।

Exit mobile version