- राष्ट्रीयअध्यापक पुरस्कार विजेता मनीष यादव से तेजस खबर की खास बातचीत
- छात्र अपना लक्ष्य अर्जुन की तरह निर्धारित करें
- मात्र भाषा में भी पढ़ाये जा सकते पाठ्यक्रम
- शिक्षा की नई नीति पूरी तरह परफेक्ट
- विज्ञानं विषय नहीं एक प्रक्रिया जिसे जीवन में शामिलकरने की जरुरत
संपादक मनीष त्रिपाठी जी एवं शिक्षक मनीष यादव , फिर आवश्यकता अनुसार
औरैया | राष्ट्रीय शिक्षा नीति में और अधिक सुधारो की आवश्यकता को लेकर तेजस मीडिया ग्रुप के एडिटर मनीष त्रिपाठी ने हाल ही में राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक मनीष यादव से लंबी बातचीत की उन्होंने जानने की कोशिश की कि क्या मातृभाषा में पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाये जा सकते हैं साथ ही उन्होंने व्यवसायिक शिक्षा को ,माध्यमिक शिक्षा के साथ शामिल किए जाने को लेकर भी चर्चा की.
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तेजस – मनीष जी आपने एजुकेशन में तमाम नवाचार किये है यही नहीं आप ने जिले से लेकर प्रदेश और देश स्तर तक कार्य किया है मौजूदा परिस्थितियों में एजुकेशन की क्या स्थिति आपको नजर आती है ?
मनीष– बेसिक शिक्षा विभाग में तमाम कठिनाइयों का सामना जरूर करना पड़ रहा है अगर साक्षर होने की बात की जाए तो साक्षर होना और शिक्षित होना यह दो अलग चीजें हैं और मेरा अपना मानना है कि साक्षरता अभियान की जगह शिक्षित अभियान चलाया जाना चाहिए करोना काल के दौरान एक लंबे काल ने प्राथमिक शिक्षा में ठहराव सा ला दिया है। हम गांव की गलियों के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य कर रहे थे लेकिन इस ठहराव से चुनौतियां सामने आ रही है। साथ ही विद्यालय में हो रहे नवाचार पर यह निर्भर करता है कि वहां माहौल क्या है। साथ ही अगर शिक्षक मन में ठान ले तो विषमताओं के रहते भी बड़ा कार्य कर सकते हैं..
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तेजस – अशिक्षित और साक्षरता की बात हो रही है इस शिक्षा से क्या अभिप्राय है?मनीष- शिक्षा का अभिप्राय सिर्फ किसी चीज को पढ़ना या लिखना ही नहीं होता है बच्चों को तर्कसंगत एवं संस्कारवान शिक्षा देने की आवश्यकता है। हमें शिक्षा को उनकी दिनचर्या में शामिल करना है.
तेजस – शिक्षा का जो नया मॉडल है क्या उसमें विकास परक शिक्षा का अभाव है ?मनीष – अगर बच्चे को हम केवल कोई चीज रटाते हैं तो उसके लिए बेकार है बच्चों के साथ हमें संवाद करना होगा बच्चों को अगर हम तर्कसंगत शिक्षा दें तो ज्यादा बेहतर होगा। हम विज्ञान को बच्चों के समक्ष विषय के रूप में प्रस्तुत करते हैं विज्ञान कोई विषय नहीं है विज्ञान एक प्रक्रिया है जिसे हम स्टेप बाय स्टेप सीखते हैं. और आने वाले समय में जीवन का एक नियमित हिस्सा बन जाता है।
तेजस -क्या आप मानते हैं कि सरकार ने अभी हाल ही में 2021 में जो नई शिक्षा नीति लागू की है क्या उस में और सुधार की आवश्यकता है ?मनीष – यह शिक्षा नीति बहुत ही परफेक्ट है यह शिक्षा नीति बहुत बड़ा बदलाव लाने वाली है फिलहाल इसमें चेंजमेंट करने की आवश्यकता नहीं है लेकिन जब हम धरातल पर व्यापक रूप में कार्य करेंगे तब देखा जाएगा और जहां सुधार की आवश्यकता होगी इसकी मांग की जाएगी। बच्चों में जुगाड़ व खिलौनों के माध्यम से कौशल विकास की आवश्यकता है.
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तेजस -मेडिकल और व्यवसायिक शिक्षा में ज्यादातर अंग्रेजी भाषा में पाठ्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं जबकि जापान जर्मन जैसे देशों में यह पाठ्यक्रम मातृभाषा में पढ़ाये जाते हैं क्या या भारत में यह संभव नहीं है और क्या यह सरकार का निर्णय आप सही मानते हैं ?
मनीष– यह बात सही है कि ग्रामीण भारत में निसंदेह बड़े साहित्य आज भी अंग्रेजी मैं है मैं स्वयं भी हिंदी भाषा से 12वीं तक पढ़ा हूं मातृभाषा में बच्चों को आधार भूत ज्ञान होता है हालांकि मैं अंग्रेजी भाषा को भी सीखने की सलाह देता हूँ सरकार ने शैक्षिक विषयों के रूप में स्वछंदता दे रखी है आप किसी भी माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं
तेजस – क्या बच्चों को माध्यमिक शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए तमाम देशों में कक्षा 8 व 10 से बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ दिया जाता है क्या सरकार इसको करने में देरी कर रही है ?मनीष – इस बात को लेकर मैं पूरी तरह से सहमत हूं व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने का जो कार्य बहुत पहले होना चाहिए था उसमें देरी अवश्य हुई हैअभिभावक बच्चों के मन को पढ़ें उनके ऊपर कोई भी शिक्षा थोपी नहीं जानी चाहिए उनके मन मुताबिक शिक्षा ग्रहण करने का अवसर देना चाहिए।
अंत में उन्होंने तेजस के माध्यम से दर्शकों को संदेश देते हुए कहा अगर आप छात्र हैं तो अपना लक्ष्य निर्धारित करें और अर्जुन की तरह लक्ष्य अर्जित करने का प्रयास करें कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है अगर आप अभिभावक हैं तो आप अपने बच्चे की इच्छा का सम्मान करें। यदि आप शिक्षक हैं तो शिक्षा का क्षेत्र व्यापक है और शिक्षा को उच्चतम स्थान तक पहुंचाने का प्रयास करें।अंत में उन्होंने कविता की पंक्ति पढ़ते हुए कहाअंधकार को क्यों धिक्कारें बेहतर है हम एक दीप जलाएं